70 साल बाद मुस्लिम औरतों को भी आज़ादी का अहसास

Publsihed: 22.Aug.2017, 20:40

तीन तलाक की फिलहाल इतिश्री हो गई | देश भर में मुस्लिम औरतों ने जश्न मनाया | मुस्लिम औरतों ने कहा-"देश को 1947 में आज़ादी मिली थी | पर मुस्लिम औरतों को आज आजादी मिली |" अगर यह आज़ादी है, तो मुस्लिम औरतों की इस आज़ादी की रहनुमा उत्तराखंड की शायरा बानो है | जो अपने तलाक का मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले कर गई | वैसे मुस्लिम औरतों को आज़ादी 1985 में ही मिल जाती | जब शाहबानों सुप्रीमकोर्ट में मुआवजे का हक जीती थी | पर तब आज़ादी की भ्रूण हत्या हो गई थी | प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अब राजीव गांधी नहीं है | जो सुप्रीमकोर्ट के फैसले को संसद से बदलवा देंगे | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लालकिले से मुस्लिम महिलाओं को इन्साफ का वायदा किया है | इस लिए जल्द ही नया क़ानून आएगा | जो 1937 और 1939 के शरिया क़ानून की जगह लेगा | सुप्रीमकोर्ट के फैसले से ब्रिटिश राज के दोनों क़ानून खत्म हो गए | क़ानून मंत्री रवि शंकर प्रशाद ने कहा कि यह धर्म का मामला नहीं | यह आस्था का मामला नहीं | यह बराबरी का मामला है | वह कपिल सिब्बल की उस टिप्पणी पर बोल रहे थे | जिस में उन ने तीन तलाक की तुलना राम मंदिर में आस्था से की थी | रवि शंकर प्रशाद ने संकेत दिया है कि क़ानून आएगा | पर छह महीने की सीमा नहीं | क्योंकि वह सिर्फ दो जजों की राय है, फैसला नहीं | दो जजों जगदीश सिंह खेहर और एस अब्दुल नजीर ने छह महीने में तलाक का क़ानून बनाने को कहा है | यानि इन दोनों जजों ने भी तीन तलाक़ को खारिज किया | इस लिए बहुमत फैसला मत कहो | अलबत्ता सर्वसम्मत फैसला ही है | फिर भी  मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले से भी सबक नहीं सीखा | बोर्ड ने नरेंद्र मोदी को धमकी दी है कि वह जजमेंट का दुरूपयोग कर क़ानून बनाने की गुस्ताखी न करें | तो क्या पर्सनल ला बोर्ड मुसलमानों को सिविल नाफ़रमानी के लिए भड़का रहा है | पर्सनल ला बोर्ड है क्या | तसलीमा नसरीन ने ठीक कहा है कि मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड को खत्म किया जाए | बोर्ड मानवाधिकारों के खिलाफ है | वैसे मुस्लिम पर्सनल बोर्ड की कानूनी हैसियत क्या है | कुछ नहीं, वह सिर्फ एक ट्रस्ट है, उसे क़ानून बनाने , तय करने का हक क्या है | अगर पर्सनल ला बोर्ड ने टकराव का रास्ता अख्तियार किया | तो उस की प्रतिक्रिया होगी | जिस का फायदा भाजपा को ही होगा | इस बार कांग्रेस भी मुस्लिम कट्टरपंथियों के साथ नहीं है | कांग्रेस ने शाहबानों वाली गलती नहीं की | सुप्रीमकोर्ट की जजमेंट का स्वागत किया है | सेक्यूलर वामपंथियों को समझ नहीं आ रहा कि वे क्या स्टेंड लें | उन को लगता है कि जब उन का कहीं कोई वोट बैंक नहीं रहा, तो क्यों न कट्टरपंथी मुसलमानों को गले लगा लें | खैर बात तीन तलाक पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले की | पीठ में सिख, ईसाई, पारसी, हिन्दू और मुस्लिम जज रखे गए थे | यानी चार जज अल्पसंख्यक समुदाय से थे | सुप्रीमकोर्ट ने तीन जजों कुरियन जोसेफ, आर एफ नरिमन और उदय यू ललित को देश का आभार | इन तीनों जजों ने संविधान के अनुच्छेद 14-15 को सर्वोच्च करार दिया | जिस में कहा गया है कि क़ानून की नजर में सभी बराबर हैं | धर्म ,जाति , लिंग या जन्म स्थान के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं हो सकता | मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 को सर्वोच्च बता रही थी | जिस में धार्मिक आज़ादी का जिक्र है | फैसले में तीन तलाक को असंवैधानिक’, ‘मनमाना’ और कुरआन के भी खिलाफ कहा | पर्सनल ला बोर्ड की बात चली है | तो बताते चलें कि शाहबानों के वक्त राजीव गांधी को जिन सलाहाकारों ने गुमराह किया किया था | वे अभी भी कांग्रेस में हैं | पर्सनल ला बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल हैं | जिन ने सुप्रीमकोर्ट को धमकी दी कि तीन तलाक हटाया गया , तो मुस्लिम औरतों को जलाया जाएगा | कपिल सिब्बल ने अपनी बहस में औरतों को कमजोर कहा | कहा इसी लिए मुस्लिम औरतों को हक नहीं दिए गए | वैसे तीन तलाक का केस तो कपिल सिब्बल हार गए | अब कहीं उन का खुद का कांग्रेस से तलाक़ न हो जाए | कांग्रेस के दो और वकीलों सलमान खुर्शीद और मनीष तिवारी ने जजमेंट का स्वागत किया है | इस टिप्पणी को राहुल गांधी के दरबार में नंबर बनाना भी समझ सकते हैं | कपिल सिव्बल के ट्विटर पर राहुल गांधी को "अनफालो" करने की चर्चाएँ कांग्रेस में छाई हुई हैं | पर बात मोदी सरकार के इरादों की | मोदी सरकार के मंत्री पीपी चौधरी का बयान राजनीति का सब से तीखा बयान है | उन ने मुस्लिम समाज की ओर इशारा करते हुए कहा- “देश परंपराओं से नहीं बल्कि संविधान से चलेगा | ” क्या यह कामन सिविल कोड की ओर इशारा तो नहीं | रविशंकर प्रशाद ने कुछ ज्यादा साफ़ किया | उनने कहा-" भाजपा के घोषणापत्र में वादा है | विधि आयोग इस पर काम कर रहा है |" 
 

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