कोरोनावायरस का फिर उछाल

Publsihed: 23.Nov.2020, 20:38

अजय सेतिया / केंद्र सरकार को सुप्रीमकोर्ट के खिलाफ कडा स्टेंड ले कर साफ़ कर देना चाहिए कि वह संविधान में मिले अपने अधिकारों के दायरे से बाहर जा कर काम न करे | नरसिंह राव के जमाने से सरकारों के रोजमर्रा के काम काज में शुरू हुआ दखल बढ़ता ही जा रहा है | अब कोरोनावायरस को ले कर सुप्रीमकोर्ट जिस तरह राज्य सरकारों को तलब कर रही है , वह राज्य सरकारों के रोजमर्रा के काम में दखल है | ऐसे समय में जब कोरोनावायरस फिर से उछाल मार रहा है , राज्य सरकार के अधिकारियों की जिम्मेदारी और काम बढ़ जाता है , लेकिन सुप्रीमकोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों से जवाब तलब कर के उन का समय और एनर्जी बर्बाद कर रहा है |

सुप्रीमकोर्ट का काम कानूनों की व्याख्या करना और पेश किए गए दस्तावेजों के आधारपर फैसला करना होता है | लेकिन एनडीटीवी की वेबसाईट के मुताबिक़ सोमवार को सुप्रीमकोर्ट ने कहा –“ हम सुन रहे हैं कि इस महीने में केसों में भारी बढोतरी हुई है | हम सभी राज्यों से एक ताजा स्टेटस रिपोर्ट चाहते है | यदि राज्य अच्छी तरह से तैयारी नहीं करते तो दिसंबर में इससे भी बदतर चीजें हो सकती हैं |” “हम सुन रहे हैं”  से टिप्पणी शुरू करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, गुजरात, महाराष्ट्र और असम से कोविड मामलों के प्रबंधन, मरीजों को सुविधा समेत अन्य व्यवस्थाओं पर दो दिन में स्टेटस रिपोर्ट मांगी है |” अब इन चारों राज्यों के स्वास्थ्य विभाग का अमला सुप्रीमकोर्ट में दाखिल करने के लिए रिपोर्ट बनाने में लग जाएगा और प्रबंधन के 48 घंटे बर्बाद होंगे |

महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और असम के अलावा केरल, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में पिछले 48 घंटों में कोरोनावायरस संक्रमण की घटनाएं बढी हैं | पिछले साल सर्दियों में कोरोनावायरस फैला था तो इस तरह की खबरें थीं कि गर्मियों में संक्रमण अपने आप रुक जाएगा , जुलाई अगस्त सितम्बर में संक्रमण की रफ्तार कुछ कम पड़ी तो उसे संक्रमण पर विजय मान लिया गया और केजरीवाल जैसे बडबोले कई मुख्यमंत्रियों ने अखबारों और टीवी पर करोड़ों रूपए के इश्तिहार दे कर अपनी पीठ थपथपाना शुरू कर दिया था | हालांकि अपन दुनिया भर में देख रहे थे कि कोरोनावायरस लौट लौट कर दुबारा ,तिबारा आ रहा है | मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय मंत्रियों को बडबोलेपन से बचना चाहिए क्योंकि जब तक प्रभावी वेक्सीन नहीं आ जाती किसी बीमारी पर विजय पाने का ढोल नहीं पीटना चाहिए |

प्रधानमंत्री और सभी राज्यों के मुख्यमंत्री हर रोज संक्रमण की समीक्षा करते हैं , और जरूरी कदम उठाने के आदेश दिए जाते हैं , जहां कहीं केजरीवाल जैसे बडबोले मुख्यमंत्री सिर्फ अपनी पीठ थपथपाते रहते हैं , उन राज्यों पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह निगाह बनाए हुए हैं और वह खुद दखल दे कर प्रबंधन करवा रहे हैं | इसी कारण भारत का रिकवरी रेट दुनिया में सब से ज्यादा है | प्रधानमंत्री ने उन आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मंगलवार को भी बैठक बुलाई हुई है , जिन में दीवाली के बाद संक्रमण ने ज्यादा उछाल मारा है | इन सभी 8 राज्यों में इतवार को ही सेंट्रल टीम भेजी जा चुकी थी | सुप्रीमकोर्ट के किसी दखल से पहले ही अमित शाह की सलाह पर एनआरसी में टेस्ट तेज हो गए थे , नोयडा, गुडगाँव से आने वालों का टेस्ट शुरू हो चुका था , इसी तरह उत्तराखंड , उतरप्रदेश सरकारों ने भी सीमा सील कर के दिल्ली से आने वालों का कोविड टेस्ट शुरू कर दिया था | महाराष्ट्र ने तो दिल्‍ली-एनसीआर , राजस्थान, गुजरात और गोवा से आने वाले लोगों को कोविड रिपोर्ट साथ लाना अनिवार्य कर दिया है | 

इस बीच कोरोनावायरस की अमेरिकन वेक्सीन दिसम्बर में आ जाने की उम्मींद है क्योंकि फाईजर   और मोडरना कम्पनियां दो हफ्तों में दवा के रजिस्ट्रेशन के लिए अमेरिकन अधिकारियों को याचिका देने वाली हैं | लेकिन 94 प्रतिशत और 95 प्रतिशत सफलता के दावों वाली इन दोनों दवाओं का भारत में लाया जाना असम्भव सा है | क्योंकि मोडरना की वेक्सीन को रखने के लिए शून्य से बीस डिग्री नीचे का तापमान चाहिए और फाईजर के लिए शून्य से 70 डिग्री नीचे का तापमान चाहिए , जो भारत में असम्भव जैसा है , ये दोनों वेक्सीन महंगी भी बहुत ज्यादा होंगी | लेकिन इस बीच सुखद खबर यह है कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च पर आधारित भारत की सीरम कम्पनी में बन रही वेक्सीन भी फरवरी में आने की उम्मींद बंध गई है , उस की एक डोज़ 500 रूपए के आसपास होगी और उसे फ्रीज में रखा जा सकता है , जैसे कि केमिस्ट कई अन्य टीके फ्रीज में रखते हैं | अब तक बात कही जा रही है कि हर व्यक्ति को 28 दिन के भीतर दो डोज़ लगवानी पड़ेगी |

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