“भारत माता” मुसलमानों की देशभक्ति की कसौटी

Publsihed: 22.Aug.2018, 20:24

अजय सेतिया / फारूख अब्दुला ने अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजली सभा में भारत माता की जय का नारा लगा कर भाजपा का दिल जीत लिया था | पर कश्मीर घाटी के मुसलमानों की आँख की किरकिरी बन गए हैं | बुधवार को ईद के मौके पर फारुख अब्दुला के खिलाफ नारेबाजी हुई | भारत माता पर भी मुसलमानों का उतना ही एतराज रहा है , जितना वन्देमातरम पर | अपन देखते रहे हैं कि संसद में भी मुस्लिम सांसद वन्देमातरम के वक्त गायब हो जाते हैं | खासकर इतेहा-ए-मुसलमीन का एक मात्र सांसद वन्देमातरम पर एतराज जताता रहा है | इस पर देवबंद से फतवा भी जारी हो चुका है | भारत माता और वन्देमातरम पर मुसलमानों को आज़ादी के पहले से एतराज रहा है | मुसलमानों का मानना है कि वे खुदा के सिवा किसी के सामने न सर झुका सकते हैं, न किसी की इबादत कर सकते हैं | जबकि भारत माता और वन्देमातरम दोनों ही धरती की पूजा है |

 

30 दिसंबर, 1908 को अमृतसर के अधिवेशन में मुस्लिम लीग के अध्यक्ष सैयद अली इमाम ने वंदे मातरम का पहली बार विरोध किया | लेकिन असली विरोध खिलाफत आंदोलन के विफल होने के बाद शुरू हुआ | 1923 में कांग्रेस के काकीनाडा अधिवेशन में विष्णु दिगंबर पलुस्कर ने वन्देमातरम गाया | तो मौलाना अहमद अली ने इस का विरोध किया | धीरे धीरे विरोध बढ़ता गया | मुसलमानों का विरोध देख कांग्रेस का एक तबका वन्देमातरम से पिंड छुडाना चाहता था | पर कांग्रेस का दूसरा बड़ा तबका वन्देमातरम पर अड़ गया | 26 अक्तूबर, 1937 को कांग्रेस कार्यसमिति ने बयान जारी करके मुसलमानों से अपील की कि वे वंदे मातरम को आनंदमठ के साथ न जोड़ें | और वन्देमातरम के सिर्फ पहले दो छंद ही पढ़े जाएं | जिनमें किसी देवी देवता का उल्लेख नहीं है | सिर्फ मातृभूमि के सौंदर्य और गुणों का वर्णन करके उसकी वंदना की गई है |

 

इन्हीं कारणों से मुसलमानों का अलग देश बन भी गया | भारत में तो वही मुसलमान रह गए, जो इस्लाम के आधार पर देश के पक्ष में नहीं थे | फिर अब उन की ओर से वन्देमातरम और भारत माता की जय का विरोध क्यों | 14 अगस्त, 1947 को संविधान सभा की कार्यवाही से पहले सुचेता कृपलानी ने वंदे मातरम गाया | संविधान सभा की बैठक में मौलाना अबुल कलाम आजाद और मुस्लिम लीग के चौधरी खलीकुज्जमां भी मौजूद थे | चौधरी खलीकुज्जमां बाद में पाकिस्तान चले गए | आज़ादी के एक साल बाद 25 अगस्त, 1948 को नेहरू ने खुद संविधान सभा में वन्देमातरम का समर्थन किया | 24 जनवरी, 1950 को संविधान सभा के अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा में कहा-“ वंदे मातरम को जन गण मन के समकक्ष दर्जा प्राप्त होगा |”  

 

वंदे का अर्थ सम्मान प्रकट करना, नमन करना और सलाम करते समय झुकना है | करोड़ों मुसलमान सूफी संतों की दरगाहों पर जाकर सिर झुकाते हैं | मध्यकाल में मुस्लिम शासकों के दरबारों में कोर्निश की जाती थी | मौलाना अबुल कलाम आजाद इस्लाम के जाने माने विद्वान थे | उन्होंने वंदे मातरम के पहले दो छंदों को गाए जाने में किसी प्रकार का इस्लाम विरोध नहीं देखा | पहले दो छंदों और इस्लाम की बुनियादी मान्यताओं के बीच किसी भी प्रकार का विरोध नहीं है | इस के बावजूद भारत में कुछ मुसलमानों ने वन्देमातरम का विरोध जारी रखा | जो अब भारत माता के विरोध में भी जोरशोर से जुड़ गया है | वामपंथी वैसे तो धर्म से अलर्जी करते हैं | पर मुसलमान अगर इस्लाम का नाम लेकर वन्देमातरम और भारत माता की जय का विरोध करते हैं | तो वे इस में कुछ गलत नहीं मानते | इस लिए वामपंथी बुद्धिजीवी भी भारत माता की जय कहने के विरोध में कोई खामी नहीं देखते | मुसलमानों को अपने साथ बनाए रखने के लिए कांग्रेस ने भी वन्देमातरम का महत्व कम कर दिया है | जो कांग्रेस आज़ादी से पहले भी वन्देमातरम के मुद्दे पर झुकने को तैयार नहीं थी | वह वोट बैंक की राजनीति के लिए अब यह समझौता करने को तैयार है |

 

ऐसे समय में फारुख अब्दुला ने भारत माता की जय कर एक बड़ी लकीर खिंच दी है | उन्होंने देशभक्त मुसलमानों और देश विरोधी मुसलमानों की परिभाषा तय कर दी है | भले ही महबूबा मुफ्ती से भाजपा गठबंधन टूटने बाद भविष्य की राजनीति के इरादे से ऐसा किया हो | पर फारुख अब्दुला भाजपा के लिए नए मसीहा बन कर उभरे हैं | फारुख ने घाटी के मुसलमानों के साथ पंगा ले लिया है | पर भारत के लिए यह सुखद घटना है | घाटी के अलगाववादी मुसलमानों का मुकाबला करने के लिए शेख अब्दुला का परिवार खड़ा हो रहा है | कांग्रेस का एक तबका मान रहा था कि घाटी को बचाए रखना मुश्किल होगा | उन निराशावादियों को फारख अब्दुला ने जवाब दिया है | ईद के मौके पर जब नमाज के समय फारख का जबर्दस्त विरोध हुआ | पर फारुख टस से मस नहीं हुए हैं | वह भारत माता के साथ और मजबूती के साथ खड़े हो गए हैं | उन का कहना है कि अपनी मातृभूमि की पूजा नहीं कर सकता, वह सच्चा मुसलमान भी नहीं हो सकता |

 

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