अजय सेतिया / न चाहते हुए भी एक बार फिर राजनीति के कोरोनावायरस पीके अर्फ प्रशांत किशोर से आज के कालम की शुरुआत करनी पड रही है | चौबीस घंटों के भीतर प्रशांत किशोर को बडबोलेपन का अहसास हो गया | प्रशांत किशोर के भरोसे भाजपा को हराने की उम्मींद बांधे मोदी विरोधियों ने प्रशांत किशोर के बडबोलेपन से उस का बचाव करते हुए कहना शुरू किया था कि उस ने धंधा छोड़ने की नहीं , बल्कि ट्विटर छोड़ने की बात कही थी | लेकिन प्रशांत किशोर की बातों को बढा चढ़ा कर प्रदर्शित करने वाले एनडीटीवी के मुताबिक़ ही 24 घंटे बाद 22 दिसम्बर को प्रशांत किशोर नेअपनी बात को स्पष्ट करते हुए कहा- "बीजेपी पश्चिम बंगाल में दहाई के आंकड़े को पार करने में संघर्ष करेगी और 100 से कम सीटें हासिल करेगी | अगर उन्हें इससे ज्यादा सीटें मिलती हैं तो मैं अपना काम छोड़ दूंगा |" पहले उन्होंने कहा था कि भाजपा दहाई के लिए संघर्ष करेगी , अब कहा है दहाई पार नहीं कर पाएगी |
प्रशांत किशोर के मुताबिक़ अगर भाजपा 99 सीटें जीत रही है तो समझ लो कि भाजपा डेढ़ सौ तक पहुंच सकती है , सदन में बहुमत के लिए 147 सीटें चाहिए होती हैं , अगर भाजपा बहुमत हासिल नहीं करती और 125 से ज्यादा सीटें लेती है , तो समझ लो कि बंगाल में त्रिशंकू विधानसभा आएगी | क्योंकि ममता विरोधी मुस्लिम वोटर भाजपा को वोट डालने की बजाए ओवेसी की पार्टी एआईएमआईएम या कांग्रेस कम्युनिस्ट गठबंधन को वोट देगा | ममता बेनर्जी का हौंसला बुलंद करने के लिए उन्होंने मंगलवार को यह भी कहा कि अगर भाजपा 100 सीटें हासिल न कर पाई तो क्या अमित शाह गृहमंत्री से इस्ताफा दे देंगे |
अमित शाह तो कह आए हैं कि चुनाव आते आते ममता अकेली रह जाएगी | बंगाल का मोर्चा सम्भाले हुए कैलाश विजयवर्गीय ने तृणमूल कांग्रेस में बगावत को बढावा देने के लिए पार्टी के आराज नेताओं की दुखती रग पकड़ ली है , ज्यादातर नेता उन के राजनीतिक काम और टिकटों के बंटवारे में प्रशांत किशोर की भूमिका से खफा हैं , उसी को हवा देते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने ममता बेनर्जी से पूछा है कि क्या उन्होंने आत्म विश्वास खो दिया है और अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर तथा उनकी टीम के पास ''गिरवी'' रख दिया है | भाजपा के नेताओं को बाहरी कहने वाली ममता बेनर्जी को मुहं तोड़ जवाब देते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा - ''कोई भी स्वाभिमानी व्यक्ति अब टीएमसी में नहीं रह सकता क्योंकि अब इसकी लगाम बाहरी प्रशांत किशोर और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक के हाथों में चली गई है |”
जाते जाते 370 हटाए जाने के बाद पहली बार हुए जम्मू कश्मीर की जिला विकास परिषदों के चुनाव नतीजों की चर्चा भी कर लें , शायद इन्हीं चुनाव नतीजों के कारण प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया है कि वह भाजपा को बंगाल में 99 सीटें तो देते हैं | जम्मू कश्मीर में 20 जिले हैं , और हर जिले में 14 सीटें हैं , इस तरह कुल 280 सीटों पर चुनाव हुआ , जिस के नतीजे 22 नवम्बर को आए | हालांकि नेशनल कांफ्रेंस , पीडीपी और कम्युनिस्टों के गठबंधन ने आधी से ज्यादा सीटें जीती हैं , लेकिन भाजपा अकेले सब से बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है | भाजपा ने कांग्रेस को बुरी तरह पीछे छोड़ कर जम्मू कश्मीर में अपने पाँव पसारे हैं | कांग्रेस पहले गुपकार गठबंधन का हिस्सा थी , लेकिन जब भाजपा ने उसे चुनौती दे कर पूछा कि क्या वह भी गुपकार गठबंधन की तरह 370 दुबारा लगाने की मांग करती है | कांग्रेस को इस से सारे देश में नुकसान होता दिखा तो वह लोक दिखावे के लिए गठबंधन से बाहर हो गई , हालांकि उस का टेक्टिकल गठबंधन बना रहा था |
भाजपा ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी प्रभावशाली क्षेत्रीय पार्टियों के गुपकार गठबंधन का सामना करते हुए पहली बार कश्मीर की तीन सीटों पर भी जीत दर्ज की है | भाजपा के ऐजाज हुसैन ने श्रीनगर में खोन्मोह-दो जिला विकास परिषद सीट जीती और ऐजाज अहमद खान ने बांदीपोरा जिले में तुलैल सीट जीती , तीसरी सीट मीना लतीफ ने घाटी में जीती ।| कालम लिखे जाने तक भाजपा अकेले चुनाव लड कर सब से ज्यादा 74 सीटें जीत चुकी थी , दूसरे नम्बर पर 55 सीटों के साथ नेशनल कांफ्रेंस थी , तीसरे नम्बर पर 27 सीटों के साथ कांग्रेस और पीडीपी चौथे नम्बर पर 24 सीटें ही जीत पाई थी , जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी को 11 और जम्मू कश्मीर पीसी को छह सीटें मिली हैं | अन्य 46 सीटें जीत चुके थे और 20 पर आगे चल रहे थे | जम्मू कश्मीर में पाँव जमने से उत्साहित भाजपा के चुनाव प्रभारी अनुराग ठाकुर ने कहा कि भविष्य में जल्द ही विधानसभा चुनाव भी होंगे | लगते हाथों उन्होंने वादा किया कि जम्मू कश्मीर फुल स्टेट भी होगा और अपना सीएम भी होगा |
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