ख़िलाफ़त-2 का मतलब क्या है

Publsihed: 22.Dec.2019, 16:57

इंडिया गेट से खिलाफ सोनिया गांधी की रैली के जवाब में नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली में रैली कर ली | इस बीच दिल्ली समेत देश के करीब करीब सभी राज्य हिंसा का नजारा देख चुके हैं | यह पूरी हिंसा मुस्लिम समुदाय की ओर से खासकर पढ़े लिखे मुस्लिम युवाओं की ओर से की गई | जिस की शुरुआत सोनिया गांधी की रैली के अगले दिन 15 दिसम्बर को जामिया मिल्लिया से हुई थी | नरेंद्र मोदी ने इस हिंसा के लिए कांग्रेस और कम्यूनिस्टों को तो झूठ फैलाने के लिए कटघरे में खड़ा किया ,लेकिन हिंसा में सीधे तौर पर शामिल मुस्लिम समुदाय को गुमराह बताया | इस तरह मोदी ने मुसलमानों से सीधे संवाद की कोशिश की है , यह अच्छी बात है कि उन्होंने नागरिकता संशोधन क़ानून को सीधे सीधे शब्दों में देश के सामने स्थिति साफ़ की | हालांकि उन के पास यह रिपोर्ट तो होगी ही कि जामिया मिल्लिया में पढ़ रहे मुस्लिम युवाओं और युवतियों, खासकर वामपंथी विचारधारा की युवक युवटियों की क्या भूमिका थी , जो अनपढ़ तो नहीं हैं कि संशोधन के दो पेज पढ़ और समझ न सकते हों |

जिन्होंने जामिया मिल्लिया में पढ़ रही केरल की शादीशुदा आयशा और लदीदा को सुना होगा , वे अच्छी तरह समझते हैं कि ये गुमराह युवक नहीं हैं , अलबत्ता इस्लामी कट्टरपंथी वहाबी  तालीम के छात्र हैं, जिन के दिमाग में हिन्दुओं और हिन्दुस्तान के खिलाफ नफरत भरी हुई है | नागरिकता संशोधन क़ानून पर लदीदा कहती हैं –“ यह अस्तित्व का सवाल है | पहले 370 हटाई गई , हम चुप रहे , फिर अयोध्या का फैसला आया , तो हमारा न्यायपालिका से विशवास उठ गया | अब सीएए आया है तो हमें पता है कि इस बार उन का लक्ष्य सिर्फ असम है लेकिन  उन का अगला कदम पूरे देश का है | “ आप ने समझा उन के कहने का मतलब क्या है , सीएए के माध्यम से मोदी सिर्फ असम के बांग्लादेशी घुसपैठियों की शिनाख्त करना चाहते हैं , लेकिन इस के बाद एनआरसी ला कर सारे देश के बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों की पहचान करेंगे | यह उन की समझ का प्रमाण है कि वे जानते हैं कि मोदी बांग्लादेशी मुस्लिम घुसपैठियों की पहचान कर के उन के नागरिक और वोटिंग के अधिकार को छिनना चाहते हैं , इसलिए मुस्लिम होने के नाते उन का कर्तव्य है कि वे घुसपैठियों का बचाव करें |

मोदी जी , वे गुमराह नहीं हैं , वे भारत को इस्लामिक देश बनाने के एजेंडे पर चल रहे हैं , इसलिए वे ये नारे कांग्रेसियों या कम्युनिस्टों के गुमराह करने पर नहीं लगा रहे थे कि “ हिन्दुओं से लेंगे आज़ादी , लड कर लेंगे आज़ादी”  , “ हंस के लिया पाकिस्तान , छीन कर लेंगे हिन्दुस्तान” | ये दोनों नारे उन की भविष्य की तैयारी का संकेत दिखाती है | मोदी और अमित शाह पाकिस्तान , बांग्लादेश और अफगानिस्तान के आंकड़े दे कर बताते हैं कि इन देशों में अल्पसंख्यक हिन्दुओं की आबादी कितनी घट गई है , क्योंकि आयशा और लदीदा दोनों केरल से आती हैं , इसलिए केरल का जिक्र करते चलें | सन 1901 में केरल में हिन्दुओं की आबादी 68.50 प्रतिशत थी , जो 2011 की जनगणना में 55.05 प्रतिशत रह गई है | मुसलमानों की आबादी 1901 में 17.50 प्रतिशत थी , जो 2011 की जनगणना में 26.56 प्रतिशत हो गई है | अगर मोदी और अमित शाह को समझ नहीं आता , तो समझ लें कि यह भारत को दारुल इस्लाम बनाने की ओर बढ़ता कदम है और मुस्लिम घुसपैठियों की रक्षा करना उन का इस्लामिक धर्म है ,इसलिए वे गुमराह नहीं हैं | गुमराह हिन्दू हैं |

यह सच है कि शर्मनाक हार से खार खाए बैठी कांग्रेस और अस्तित्व के लिए लड रही कम्युनिस्ट पार्टियां सभी वर्गों से आज़ादी आज़ादी के नारे लगा कर उन में अलगाववाद पनपा रही हैं , लेकिन अगर मुस्लिमों को सिर्फ कम्युनिस्टों और कांग्रेस ने गुमराह किया होता तो वे जामिया मिल्लिया की दीवारों पर खिलाफत -2 के नारे क्यों लिखते | खिलाफत-1आन्दोलन का समर्थन महात्मा गांधी की सब से बड़ी भूल थी, जो बाद में हिन्दुओं ( उन की नजर में काफिर ) के खिलाफ हो गया और इस्लाम धर्म के नाम पर केरल के मालाबार इलाके में हजारों हिन्दुओं का कत्ल किया गया और हजारों हिंदुओं की औरतों के साथ बलात्कार हुआ | मुसलमानों की हिन्दुओं के खिलाफ नफरत की यह आग बाद में बंगाल में डायरेक्ट एक्शन के रूप में देखी गई, जिस में लाखों हिन्दू मार दिए गए थे | अब खिलाफत-2 की धमकी का मतलब हिन्दुओं के कत्ल-ए-आम की चेतावनी है | पहले खिलाफत आन्दोलन में कांग्रेस और कम्युनिस्टों के समर्थन में हिन्दुओं का कत्लेआम हुआ था और अब भी ये दोनों पार्टियां उन्हें खिलाफत -2 के लिए भडका रही हैं |     

 

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