कोविंद राष्ट्रपति पद पर भाजपा का मास्टर स्ट्रोक

Publsihed: 19.Jun.2017, 17:19

भाजपा ने एनडीए में भी अपनी सर्वोच्चता स्थापित कर दी | पहले उम्मींद थी कि भाजपा एनडीए से विचार करेगी | भाजपा ने एनडीए से विचार नहीं किया | विपक्ष से विचार करना तो दूर की बात | सीता राम येचुरी को जब राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू मिले थे | तब मीटिंग के बाद येचुरी ने मीटिंग को सरकार की पीआर एक्सरसाईज कहा था | सोमवार को  जब भाजपा ने एकतरफा राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीन्दवार बना दिया | तो हक्के बक्के गुलामनबी आज़ाद ने कहा -" सीता राम येचुरी ने ठीक कहा था | वह सिर्फ पीआर एक्सरसाईज ही थी |" असल में कांग्रेस एकतरफा घोषणा से ही हक्की बक्की नहीं है | पढ़े-लिखे दलित नेता का नाम सामने आने से भी हक्की बक्की रह गई | गुलामनबी ने अनौपचारिक प्रेस कांफ्रेंस बुला कर खुन्नस निकाली | यह अनौपचारिक प्रेस कांफ्रेंस का जुमला अपने लिए नया ही था | अब आप खुन्नस का प्रूफ देखिए | बोले- " हमें उम्मींद थी कि घोषणा से पहले आम सहमती बनाने के लिए हम से चर्चा करेंगे | हम ऐसी एकतरफा घोषणा की उम्मींद नहीं करते थे | अब आम सहमती की गुंजाईश कहाँ रही | " अब अपन खुलासा कर दें | मोदी, अमित शाह, वेंकैया नायडू और अरुण जेटली ने एलान से पहले की विपक्षी नेताओं को नाम बताया | जिन्हें एलान से पहले बताया गया | उन में सोनिया के अलावा नीतीश कुमार , मायावती और येचुरी भी थे | बस फर्क इतना रहा कि सहमती लेने की गुंजाईश नहीं रखी |  बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद भाजपा के मंझे हुए नेता हैं | पर संघ बैकग्राऊंड से हैं, इस लिए विपक्ष उम्मीन्दवार जरुर खडा करेगा | यह बात अपन ने शनिवार को ही लिख दी थी | सीता राम येचुरी ने सोमवार को फिर चुनाव का इशारा कर दिया | उन्होंने कहा -"राम नाथ कोविंद आरएसएस बैकग्राऊंड से हैं | यह राजनीतिक लड़ाई है | और 1977 को छोड़ कर कभी कोई राष्ट्रपति सर्व सम्मति से नहीं चुना गया |" तो समझदारों को इशारा काफी है | इस इशारे को अपन पहले ही समझ गए थे | इस लिए अपने शनिवार के कालम में अपन ने लिखा था- " सर्वसम्मति से नहीं चुना जाएगा राष्ट्रपति |" सब से बड़ा झटका तो शरद यादव को लगा | वह अब विपक्ष के उम्मीन्दवार भी नहीं बन पाएंगे | रामनाथ कोविंद का नाम सुन कर सब से ज्यादा हक्के बक्के तो शरद यादव थे | हक्के बक्के होने का कारण सिर्फ यह नहीं कि भाजपा ने दलित को उतार दिया | उन की आशंका यह भी थी कि  नीतीश कुमार ही धोखा दे जाएंगे | यह आशंका सोनिया गांधी को भी है | इस लिए सोनिया गांधी ने फौरन नीतीश कुमार को फोन किया | अब दोनों में क्या बात हुई , यह तो वे दोनों ही बता सकते हैं | पर बाडी लँग्वेज कहती है नीतीश कुमार ने सोनिया के सामने अपनी रिजर्वेशन जता दी है | रामनाथ कोविंद का नाम घोषित होते ही नीतीश कुमार उन्हें मिलने गए | मुलाक़ात के बाद खुशी का इजहार किया | कोविंद की तारीफ़ में कसीदे पढ़े | उन की निष्पक्षता की तारीफ़ की | साथ में मीडिया से वह बोले-  " मैंने सोनिया गांधी और लालू यादव को अपनी फीलिंग से अवगत करवा दिया है |" अब समझदार को तो इशारा ही काफी होता है | विपक्ष की मीटिंग में उम्मीन्दवार खडा करने पर आसानी से आम सहमती नहीं बनेगी |  पर लेफ्ट ने चुनाव का एलान कर ही दिया है | गुलाम नबी आज़ाद का लहजा भी कुछ ऐसा ही था | जो विपक्ष को अपमानित किया जाना मानते हैं | विपक्ष को अब रामनाथ कोविंद के सामने किसी दलित को ही उतारना पडेगा | मायावती ने विपक्ष के सामने शर्त रख दी है कि अब दलित उम्मीन्द्वार हुआ , तभी वह विपक्ष के साथ होंगी | अन्यथा रामनाथ कोविंद का समर्थन करेंगी | भले ही वह संघ बेकग्राऊंड से हैं | यही मजबूरी अंब द्रमुक की भी होगी | यानी विपक्षी एकता के लिए मीरा कुमार मजबूरी हो गई हैं | अब अपन आंकड़ों पर गौर करें | भाजपा के पास 47.7 फीसदी वोट थे | यानि 20090 वोटों की कमी थी | जिसे तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने पूरा कर दिया है | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद चंद्रशेखर राव को फोन कर के अपने पाले में कर लिया |  टीआरएस के 23200 वोट हैं |  यानी एनडीए के पास अब 3110  वोट ज्यादा हो गए | मुख्यमंत्री केसीआर ने समर्थन का ऐलान करते हुए कहा-" वह दलित नेता हैं "| भाजपा को शिव सेना से ही खतरा था, जिसे अमित शाह ने वक्त से पहले मातोश्री जा कर राजी कर लिया | भले ही | शिवसेना के अखबार सामना ने सोमवार को लिखा -" “अमित शाह का कहना है कि अगर महाराष्ट्र में मध्यावधि चुनाव हुए तो वे उसमें जीत हासिल कर लेंगे | वे राष्ट्रपति चुनाव भी जीत सकते हैं | लेकिन जम्मू एवं कश्मीर में चल रही लड़ाई कौन जीतेगा ? ” पर इस के बावजूद शिवसेना एनडीए उम्मीन्दवार का इस बार समर्थन करेगी | शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव नहीं चाहती | मोदी ने अन्नाद्रमुक के दोनों धडों का जुगाड़ भी कर रखा है | भले ही अन्नाद्रमुक ने अभी ऐलान नहीं किया | पर अन्नाद्रमुक के 50 हजार वोट भी पक्के समझिए | यानी एनडीए एक लाख वोटों से भारी है | अब कुछ रामनाथ कोविंद के बारे में | वह यूपी के कानपुर के छोटे गाँव परौख में पैदा हुए | पेशे से वकील हैं | दो बार राज्यसभा में रह चुके हैं | 

 

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