टेंट से मेकशिफ्ट टेम्पल में चले जाएंगे रामलला

Publsihed: 20.Feb.2020, 14:38

अजय सेतिया/ सुप्रीमकोर्ट से हारने के बाद भी सेक्यूलर गेंग ने हिन्दुओं को आहत करने वाली हरकतें नहीं छोडी | जब श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टियों ने नृत्य गोपाल दास और चम्पत राय को ट्रस्टी बना कर अध्यक्ष और महासचिव की जिम्मेदारी सौंपी तो यह यह सेक्यूलर गैंग कुछ क्षणों में ही सोशल मीडिया पर इन दोनों के खिलाफ एक्टिव हो गया | लिखा गया कि बाबरी मस्जिद तोड़ने की साजिश वाले मामले में दोनों चार्जशीटेड हैं | सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद भी उन्हें वह ढांचा मस्जिद लगता है , जो फैसला उन की पसंद का हो , वह संवैधानिक , जो उन की विभाजनकारी नीतियों को सूत न करता हो उसे मंजूर नहीं करेंगे | सेक्यूलर गैंग मुसलमानों को हिन्दुओं के खिलाफ भडकाने का कोई मौक़ा नहीं चूकता | 

नृत्य गोपाल दास और चम्पत राय ने रामजन्मभूमि आन्दोलन में अपना जीवन खपाया है | रामजन्मभूमि मंदिर के पक्ष में फैसला सुनने के लिए विष्णु हरी डालमिया , आचार्य गिरिराज किशोर और अशोक सिंघल तो मौजूद नहीं हैं , जिन्होंने आन्दोलन को चरम पर पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी , लेकिन नृत्य गोपाल दास और चम्पत राय जी की भूमिका भी कम कर के नहीं आंकी जा सकती | इस लिए ट्रस्ट के महासचिव पद पर तैनात होने के बाद मीडिया से बात करते हुए चम्पत राय का गला भर आया था , रूंधे गले से उन्होंने साढे चार सौ साल के संघर्ष की विजय पर खुशी का इजहार किया |

सुप्रीमकोर्ट ने नृत्यगोपाल दास के नेतृत्व वाले रामजन्मभूमि न्यास को श्रीराम मंदिर निर्माण की जिम्मेदारी देने की बजाए सरकार से नया ट्रस्ट बनाने का आग्रह किया था , सुप्रीमकोर्ट के फैसले के अनुसार नया ट्रस्ट बन गया , लेकिन कोर्ट ने यह पाबंदी तो नही लगाई थी कि रामजन्मभूमि आन्दोलन से जुड़े लोग ट्रस्ट में नहीं होंगे | आन्दोलन करने वाले ट्रस्ट में नहीं होंगे , तो क्या कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी , राजीव धवन और असुद्दुदीन ओवैसी को ट्रस्टी बनाया जाता | ट्रस्टियों को अपना अध्यक्ष और महासचिव चुनने का अधिकार था और उन्होंने उन्हीं को चुना , जिन्हें चुना जाना चाहिए था | अगर नृत्य गोपाल दास और चम्पत राय को नहीं बनाया जाता तो मोदी-शाह को अपने ही संघ परिवार में मुश्किल का सामना करना पड़ता | लेकिन मोदी-शाह ने अपने विश्वस्त नृपेन्द्र मिश्रा को मंदिर निर्माण के सब से ज्यादा महत्वपूर्ण जिम्मेदार पद पर बिठवा दिया |

नृपेन्द्र मिश्रा के निर्माण समिति का अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण की उल्टी गिनती शुरू हो गई है | सबसे पहला काम रामलला को टेंट से हटा कर मेक-शिफ्ट टेम्पल में विराजमान करना है | ताकि निर्माण के दौरान रामलला की पूजा-अर्चना और भोग-राग निर्बाध रूप से चलती रहे | मंदिर के निर्माण में वक्त लगेगा यही वजह है कि तब तक के लिए मेक शिफ्ट मंदिर में रामलला की प्रतिमा को पूजा-अर्चना और दर्शनों के लिए विराजमान किया जाएगा | यह अस्थाई मंदिर गर्भ गृह से करीब 150 मीटर की दूरी पर मानस भवन के करीब बनाया जाएगा | मंदिर बुलेटप्रूफ और फाइबर का होगा | इसी योजना के तहत विशेषज्ञों ने बुधवार को दिल्ली में हुई बैठक से पहले मौजूदा गर्भगृह और सिहांसन की नाप-जोख की, जिस का बयोरा बैठक में दिया गया |

क्योंकि श्रीरामजन्मभूमि मंदिर का शिलान्यास 2024 में होगा इसलिए वैकल्पिक मंदिर को सभी सुविधाओं से लैस किया जाएगा | असल में जहां अभी रामलला विराजमान हैं, वह गर्भगृह है, लेकिन मंदिर निर्माण के लिए उस जगह को खाली करना होगा | इसलिए अप्रेल-मई तक रामलला को अपने स्थान से करीब 150 मीटर दूर मानस मंदिर के पास ले जाया जाएगा | जब तक राम लला का मंदिर बनकर तैयार नहीं होता तब तक उनकी पूजा-अर्चना वहीं होगी | रामलला का गर्भगृह फिलहाल 35 गुणे 25 फीट में है और जिस सिंहासन पर चारो भाइयों सहित विराजमान हैं, वह तकरीबन पांच गुणे चार फीट का है | इसी माप के अनुरूप ही रामलला का वैकल्पिक गर्भगृह बनेगा | वैकल्पिक गर्भगृह अधिग्रहीत परिसर में स्थित रामचरितमानस भवन के दक्षिण दिशा में स्थापित किया जाएगा, यह परिसर का वह परिक्षेत्र होगा, जो प्रस्तावित मंदिर के मुख्य ढांचे से विलग होगा | ताकि निर्माण की गतिविधियों के संक्रमण से वैकल्पिक गर्भगृह मुक्त रहे |

 

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