कांग्रेस को होने लगा गलती का एहसास

Publsihed: 19.Jan.2020, 22:28

अजय सेतिया / नागरिकता विरोधी क़ानून के खिलाफ आन्दोलन के कारण शाहीन बाग़ दुनिया भर में चर्चित हो चुका है | दिल्ली का यह शाहीन बाग़ इलाका पूर्णतय मुस्लिम आबादी वाला इलाका है | यहीं पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी है , जहां सब से पहले क़ानून के खिलाफ आवाज उठी थी | इसी इलाके के लोगों ने छात्रों के साथ घुलमिल कर आन्दोलन को हिंसक और साम्प्रदायिक बनाया था , जिस में आन्दोलन की तुलना खिलाफत आन्दोलन से करते हुए ,इसे खिलाफत -2 बताया गया | जो इतिहास से वाकिफ हैं , वे जानते हैं कि खिलाफत आन्दोलन था तो टर्की से खलीफा को हटाए जाने के खिलाफ , लेकिन आन्दोलन में हजारों हिन्दुओं के सिर कलम कर दिए गए थे |

वह चर्चित बाटला हॉउस भी इसी जगह पर है , जहां 2008 में पांच बम धामाकों में 26 लोगों के मारे जाने के बाद आतंकवादियों से मुठभेड़ हुई थी | दो आतंकी मारे गए थे , दो भाग गए थे और एक पकड़ा गया था | इसलिए जब इसी इलाके से नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ मुस्लिम आन्दोलन की शुरुआत हुई तो शाहीन बाग़ की पहचान भारत में मीनीपाकिस्तान के तौर पर हुई | क्यों कि वहां नारे लग रहे थे –“ तुम्हारा मेरा रिश्ता क्या –ला इल्लाह इल्लिआ | “ यानि हिन्दुओं के साथ उन का कोई रिश्ता नहीं है , जबकि पाकिस्तान के मुसलमानों के साथ उन का रिश्ता इस्लाम का है | क़ानून का विरोध इसी बात पर है कि अगर इस्लामिक देशों के प्रताड़ित हिन्दुओं को भारत की नागरिकता दी जा रही है , तो बांग्लादेश और  बर्मा से आए मुस्लिमों को भी भारत की नागरिकता दी जाए |

बाटला हॉउस की मुठभेड़ को कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने फर्जी कहा था , तो अब मणि संकर अय्यर ने मोर्चा सम्भाला है | खिलाफत-2  आन्दोलनकारियों की होंसला अफजाई करने गए मणिशंकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह को कातिल कह कर आए हैं | यह किस संदर्भ में कहा गया ,यह तो स्पष्ट नहीं है  , लेकिन वह अच्छी खासी तालियाँ बटोर कर आए हैं | इस के साथ ही इस आन्दोलन के साथ कांग्रेस का जुड़ाव शुरू हो गया है | शुरुआती हिंसक आन्दोलन के बाद अब वहां शान्ति पूर्वक धरना चल रहा है , जिस में हर रोज हजारों मुस्लिम औरत और मर्द हिस्सा ले रहे हैं | आन्दोलन से साम्प्रदायिकता का लेबल हटाने के लिए कांग्रेस के योगदान को इतिहास याद रखेगा |

कांग्रेस ने बड़े पैमाने पर अपने हिन्दू और सिख कार्यकर्ताओंको मुसलमानों की हौंसला अफजाई के लिए भेजा है | हिन्दुओं की तरफ से हवन किया जा रहा और सिखों की तरफ से ग्रन्थियों ने पाठ करना शुरू किया है | सिख अपना परम्परागत लंगर भी चला रहे हैं | हालांकि धरने में पहले से ही चिकन बरियानी का बदोबस्त था , लेकिन शाकाहारी हिन्दुओं-सिखों के लिए लंगर का इंतजाम हो गया है | खिलाफत आन्दोलन का भी कांग्रेस और गांधी ने समर्थन किया था , जो बाद में हिन्दू विरोधी साबित हुआ |

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल क़ानून का विरोध यह कह कर कर रहे हैं कि यह संविधान के खिलाफ है , सुप्रीमकोर्ट ने इसे असंवैधानिक ठहराने के लिए कांग्रेस ने साठ से ज्यादा याचिकाएं दाखिल करवा दी हैं | अगर आंदोलनकर्ताओं का आधार संवैधानिकता होता तो वे सुप्रीमकोर्ट के फैसले का ही इन्तजार करते, लेकिन उन का आन्दोलन संवैधानिकता या सेक्यूलरिज्म के आधार पर नहीं ,साम्प्रदायिकता के आधार पर और इस्लामिक देशों के बचाव में है | कांग्रेस ने केरल विधानसभा और पंजाब विधानसभाओं से प्रस्ताव पास करवा के साम्प्रदायिकता और पाकिस्तान के बचाव में मददगार की भूमिका तो निभा दी , लेकिन अब कांग्रेस के क़ानूनविदों को अपनी गलती का अहसास होने लगा है | राजनीतिक विरोध में विधायिकाओं का दुरूपयोग संविधान का मजाक उड़ाने वाला कदम है |

संविधान के अनुच्छेद 11 के अनुसार नागरिकता केंद्र का विषय है , अनुच्छेद 256 के अनुसार राज्यों का काम संसद से पारित क़ानून को लागू करवाना है | इस का जिक्र 14 जनवरी के कालम में किया गया था | कांग्रेसी राज्य सरकारों को कानूनी सलाह देने वाले कपिल सिब्बल को यह अब याद आया है कि उनकी केरल और पंजाब सरकारे अपने सवैधानिक दायरे से बाहर जा रही है | अब जा कर उन्होंने कहा है कि राज्य सरकारें नागरिकता संशोधन क़ानून को लागू करने से इनकार नहीं कर सकती | अगर केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छतीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र या बंगाल सरकारें ऐसा करेंगी तो वह असंवैधानिक होगा |                               

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