संघ को समझने से इनकार

Publsihed: 18.Sep.2018, 13:48

अजय सेतिया / राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के बारे में कई गलतफहमियाँ हैं | संघ के लोगों ने उन्हें कभी इस तरह दूर करने की कोशिश नहीं की | जैसे अब सरसंघ चालक मोहन भागवत कर रहे हैं | उन ने पहली बार सभी राजनीतिक दलों को संघ को समझने का मौक़ा दिया है | असल यह यह मौक़ा दिल्ली प्रांत के संघ ने दिया | जब सरसंघ चालक ने दिल्ली को अपने तीन दिन दिए तो दिल्ली के संघ ने उन्हें यह आईडिया दिया | सोमवार 17 सितंबर से तीन दिन के लिए मोहन भागवत दिल्ली के विज्ञान भवन  में समाज से मिल रहे हैं | उत्तर प्रान्त के संघ चालक बजरंग लाल ने सफाई दी कि यह जन मिल्न अभी क्यों | राजनीतिक दलों और संघ विरोधियों की ओर से सवाल उठ रहा है कि अभी क्यों | तो बजरंग लाल ने समझाया कि इस का कोई और मतलब न निकाला जाए | क्योंकि सरसंघ चालक ने अपने प्रवास में दिल्ली को यही तीन दिन दिए थे , इसी लिए अभी |

पहले तो संघ की भाषा ही सब को उलझन में डालती है | तो पहले अपन उसे समझ लें | अपने यहाँ जैसे स्टेट के लिए राज्य शब्द का ज्यादा प्रचालन है, वैसे संघ में राज्य को प्रांत कहते हैं | आजादी से पहले राज्य को प्रांत ही कहा जाता था | किसी संस्था के जैसे अध्यक्ष, महामंत्री , सह महामंत्री होते हैं , वैसे ही संघ में भी हैं | पर शब्दावली अलग है | संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष को सर संघ चालक कहते हैं | मतलब वही है, पर भाषा अलग है | राष्ट्रीय महामंत्री को सर संघ कार्यवाह कहते हैं | इसी तरह सह सर कार्यवाह आदि | संघ के सारे राष्ट्रीय पदाधिकारी प्रचारक होते हैं , वे आजीवन अविवाहित रहते हैं | पर निचले स्तर पर सभी अधिकारी अविवाहित नहीं होते | हर स्तर पर अधिकारियों की समान्तर व्यवस्था चलती है | अध्यक्ष महामंत्री जैसे पदाधिकारी शादीशुदा और साथ में हर स्तर पर एक एक प्रचारक | जैसे नगर प्रचारक, विभाग प्रचारक, प्रांत प्रचारक, क्षेत्र प्रचारक आदि | प्रचारक निकलने के लिए संघ का तीन वर्ष का ग्रेजुएशन करना होता है | जो तीन वर्षों में हर साल संघ के तीन महीने महीने के शिविर से पूरा होता है | जिन्हें संघ की भाषा में प्रथम वर्ष , द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष कहते हैं | संघ ने प्रांत और क्षेत्र भी संघठन की दृष्टी से अपने हिसाब से बनाए हुए हैं | संघ बाहर से चंदा इकठ्ठा नहीं करता | हर वर्ष गुरु दक्षिणा होती है, सारा साल उसी गुरु दक्षिणा से ही चलता है |

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संघ के कट्टर विरोधी बन कर उभरे हैं | उन की मां सोनिया गांधी भी संघ के खिलाफ इतना नहीं बोलती थी | सीताराम केसरी ने संघ के खिलाफ टिप्पणियाँ की थी , पर जब अदालत का सामना हुआ , तो माफी मांग ली थी | नेहरु और इंदिरा गांधी ने एक एक बार संघपर प्रतिबंध लगाया था | राहुल गांधी संघ विरोधी टिप्पणियों के कारण अभी जमानत पर हैं | पर सवाल सरसंघ चालक के संघ को समझने के न्योते का | तो सरसंघ चालक के न्योते को कांग्रेस या कांग्रेस के किसी सहयोगी दल ने मंजूर नहीं किया | कुछ विदेशी दूतावासों के मेहमान, कुछ समझने बूझने वाले राजनीतिक नेता , कुछ संघ विरोधी बुद्धिजीवी , कुछ संघ विरोधी पत्रकार जरुर पहुंचे हुए थे | कुछ संघ से एकदम अनजान किस्म के लोग भी थे , जो भारत सरकार से बड़े पदों से रिटायर हुए हैं | सरसंघ चालक ने पहले दिन संघ क्यों बना, कैसे बना यह समझाया | सब से बड़ी यह गलतफहमी दूर की कि संघ ने आज़ादी के आन्दोलन में हिस्सा नहीं लिया | खुद आज़ादी के आन्दोलन से दूर रहे और क्रांतिकारी सुभाष चन्द्र बोस के विरोधी कम्युनिस्ट यह आरोप सब से ज्यादा लगाते हैं | सरसंघ चालक मोहन भागवत ने बताया कि संघ के निर्माता डा. हेडगेवार खुद जेल गए थे | ब्रिटिश अदालत ने उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ भाषण देने के लिए एक साल कैद की सजा सुनाई थी | डा. हेडगेवार नागपुर में कांग्रेस की कोर कमेटी के सदस्य थे | कांग्रेस ने जब सम्पूर्ण आज़ादी का प्रस्ताव पास किया था , तब संघ की सभी शाखाओं ने उस के समर्थन में प्रस्ताव पास कर के कांग्रेस को भेजा था |

सरसंघ चालक मोहन भागवत ने दूसरी गलतफहमी यह दूर की कि संघ अलोकतांत्रिक है | उन ने बताया कि 16 बालकों ने संघ का नाम बाकायदा वोटिंग कर के तय किया था | यह पद्धति संघ में अब भी जारी है | पहले सरसंघ चालक डा. हेडगेवर ने राष्ट्रीय स्वयसेवक मंडल नाम सुझाया था , जबकि नाम तय हुआ संघ | उन ने यह भी बताया कि संघ की शाखा 1925 में संघ के बनते ही शुरू नहीं हुई थी | अलबत्ता आम सहमती के बाद संघ की शाखाएं तीन साल बाद 1928 से लगनी शुरू हुई | इसी तरह वर्दी कैसे बनी, बैंड कैसे बना ,यह सब समझाया | संघ चालक ने पहले दिन यह भी बताया कि संघ अपने विरोधियों को भी अपना ही मानता है | उन के पहले दिन के भाषण का अंतिम वाक्य हिन्दू और हिन्दू राष्ट्र था | यही आरएसएस विरोधियों का संघ के खिलाफ सब से बड़ा हथियार है कि संघ सेक्युलर देश को हिन्दू राष्ट्र बनाना चाहता है | वह भारत के संविधान को नहीं मानता , अब संघ चालक उसी पर अपनी सफाई देंगे | इस संवाद का सब से महत्वपूर्ण पहलू यह है कि सरसंघ चालक तीसरे दिन सवालों का जवाज देंगें | वह यह भ्रम भी दूर करना चाहते हैं कि संघ सवालों से डरता है | अपन को लगता है कि तीसरा दिन सेक्यूलर जमात का संघ पर हमलों का होगा , जिस का जवाब सरसंघ चालक मोहन भागवत देंगे |

 

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