अजय सेतिया / शाहीन बाग़ का धरना किसी पर कोई असर नहीं कर रहा | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों साफ़ साफ़ कह चुके हैं कि न 370 वापस बहाल होगी , न ट्रिपल तलाक बहाल होगा और न सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून से पीछे हटेगी | अमित शाह ने बातचीत का न्योता दे कर धरने से उठ जाने का अच्छा मौका दिया हुआ है | पर धरने का कोई वाली वारिस न होने के कारण बातचीत करने वाली टीम तय नहीं हो पा रही | संवैधानिक पदों पर बैठे जिम्मेदार लोग इस तरह भीड़ से मुलाक़ात नहीं किया करते | अमित शाह ने कहा था कि वक्त मांगे जाने के तीन दिन के अंदर वह मिलने का समय दे देंगे | जब मिलने का वक्त माँगा जाता है तो यह भी बताना पड़ता है कि मंत्री से मिलेगा कौन कौन | लिस्ट बनाने के मुद्दे पर आपस में जूतम पैजार की नौबत है |
कोई टीम बना कर मुलाक़ात का वक्त मांगने की बजाए संडे के दिन अमित शाह के घर की तरफ कूच करने की योजना किसी सिर फिरे दिमाग की उपज थी | इसी मुद्दे पर असल में धरने पर बैठे लोगों के स्वयम्भू सलाहाकार कुछ पत्रकार हैं , जो सरकार विरोधी खबर बनाने की ताक में रहते हैं | इसलिए वे इसी तरह का अव्यवहारिक ज्ञान बांटते हैं | बिना मुलाक़ात का वक्त और प्रतिनिधिमंडल तय हुए पुलिस किसी को अमित शाह के घर की तरफ कैसे कूच करने दे सकती थी | हालत तो यह थी कि पुलिस से बातचीत करने की टीम भी तय नहीं हो पा रही थी , सिर फुटोवल की नौबत तो इसी बात पर आ गई थी | आखिर दो दादियों को पुलिस से बातचीत करने भेजा गया |
धरने का राजनीतिक मकसद पूरा हो चुका है | केजरीवाल फिर से एक बार मुख्यमंत्री बन चुके हैं | धरने का एक मकसद तो यही था कि दिल्ली के चुनाव में भाजपा हारे , ताकि नतीजों को नागरिकता संशोधन क़ानून और नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ जनादेश माना जा सके | पर चुनाव नतीजों के बाद मोदी और अमित शाह ने इसे नागरिकता क़ानून , जनसंख्या रजिस्टर और नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ जनादेश मानने से इनकार कर दिया है | हाँ इतना फर्क जरुर आया है कि मोदी सरकार नागरिकता रजिस्टर को अनिश्चित काल तक टालने का मन बना चुकी है |
जनसंख्या रजिस्टर का काम पहली अप्रेल से शुरू हो जाएगा , कोई खुद को बिल्ला रंगा लिखवाएगा , तो लिखवाए | दोनों बलात्कारी और हत्यारे थे | शहरी नक्सलियों की सलाह भी मुसलमानों का नुक्सान करने वाली है , किसी बिल्ला रंगा का आधार कार्ड नहीं होगा , उन के बैंक खाते आधार कार्ड से नहीं जुड़ेंगे , आने वाले समय में वोटर कार्ड को भी आधार कार्ड से जोड़ने वाला क़ानून आ रहा है | उन बिल्लों रंगों के वोटर कार्ड भी आधार कार्ड से नहीं जुड़ेंगे | जिन आधार कार्डों का जनसंख्या रजिस्टर से मिलान नहीं होगा , आप समझ सकते हैं कि उन के बैंक खातों , रसोई गैस की सब्सिडी , वोट के अधिकार आदि सब खत्म हो जाएंगे | इन शहरी नक्सलियों की सलाहों से कम्युनिस्ट पार्टियों ने तो खुद को बर्बाद कर लिया , अब मुसलमान ऐसी मूर्खतापूर्ण सलाहों को मानने से रहे | सो मोदी और अमित शाह को पता है कि धीरे धीरे सब लाईन पर आ जाएंगे |
धरना तो वैसे भी अब दमदार नहीं रहा | अमित शाह से मुलाक़ात कर के धरना खत्म किया जा सकता है | दूसरा रास्ता सुप्रीमकोर्ट के निर्देशों का हो सकता था , लेकिन सुप्रीमकोर्ट ने जैसी टिप्पणी विधानसभा चुनावों से पहले की थी , वैसी ही टिप्पणी अब कर दी है | सुप्रीमकोर्ट ने कहा है कि धरना लगाना है तो कोई और जगह ढूंढ लो , शाहीन बाग़ से तो धरना हटाना होगा | सुप्रीमकोर्ट ने तो सरकार को भी बातचीत कर के धरना खत्म कराने को नहीं कहा | साफ़ संदेश है सडक खाली करो और धरना कहीं और ले जाओ | कोर्ट ने उन से बातचीत के लिए दो वकीलों संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन को नियुक्त कर दिया | स्वाभाविक है मोदी सरकार बातचीत से धरना खत्म करवाने की कोशिश अब नहीं करेगी | धरने को अपनी मौत मरने के लिए किसी बुराड़ी जैसी जगह भेजने का सुझाव देगी , रामलीला मैदान और जन्तर मंतर पर धरने के लिए सरकार कतई नहीं मानेगी |
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