अजय सेतिया / राहुल गांधी ने नई शुरुआत की है | चीन के एप ज़ूम से एक घंटा पत्रकारों से गुफ्तगू की | बेबाक सवाल और बेबाक जवाब | कोरोना वायरस से लड़ने के लिए नरेंद्र मोदी को बिना शर्त समर्थन का एलान | पर साथ ही नसीहत भी कि वह जीत का एलान करने में जल्दबाजी न करें | एक सवाल जो हमेशा दिमाग में खड़ा होता है कि लाक डाउन कब तक चलेगा | और जब लाक डाउन खत्म होगा , तो क्या वायरस खत्म हो चुका होगा | उस का जवाब भी राहुल गांधी ने अपनी आशंका में दिया | उन की राय है कि लाक डाउन खत्म होगा , तो वायरस फिर से उठ खड़ा होगा | लाक डाउन सिर्फ पाउज बटन है | सरकार उस के बाद की तैयारी करे |
वायरस की तीव्र गति से टेस्टिंग में तो हम फेल रहे ही हैं | आईसीएमआर सफेद हाथी साबित हुआ है | हमारे सारे सरकारी अदारे सच में सफेद हाथी हैं | दो दिन पहले “जिज्ञासा” के वेबिनार में अर्थशास्त्री आर.वैधनाथन कह रहे थे कि सरकार के कई मंत्रालय ही फिजूल हैं , जैसे स्टील मंत्रालय | जब कोरोनावायरस हमारे दरवाजे पर आ कर खड़ा हो गया था , तो आईसीएमआर के पास टेस्ट के लिए सिर्फ एक लैब थी | अमेरिका में जब 3 लाख से ज्यादा टेस्ट हो गए , हम हजारों में घूम रहे हैं | दस लाख लोगों में से सिर्फ 199 लोगों का टेस्ट हो रहा है |
राहुल गांधी भी मानते हैं कि टेस्ट किट नहीं , तो कोई और हल निकालना होगा | आखिर टेस्ट किट की डिमांड सारी दुनिया में है | अभी तो सिर्फ वायरस के पीछे दौड़ कर जांच हो रही है , जांच वायरस से आगे दौड़ कर होनी चाहिए | यानी उन इलाकों में भी जो हाट सपाट नहीं हैं | हालांकि राहुल गांधी जब गुफ्तगू कर रहे थे , तब चीन साढ़े छह लाख किट भारत को रवाना कर चुका था | राहुल गांधी की नई पारी अपन ने इस लिए कहा कि उन से उकसाने वाले कई सवाल पूछे गए , पर वह मोदी के खिलाफ बोलने से कतराए | बोले , मोदी से कई मुद्दों पर मतभेद हैं , पर कोरोना वायरस से लड़ाई में देश एकजुट है | तो क्या मान लिया जाए कि राहुल को मोदी की रणनीति पसंद है | नहीं, ऐसा भी नहीं है | उन्होंने मोदी की शैली को इस लिहाज से तानाशाही कहा कि वह सब कुछ ऊपर से कर रहे हैं | मुख्यमंत्रियों को अधिकार और पैसा नहीं दे रहे | लाक डाउन और सारी रणनीति नीचे से नहीं, उपर से चल रही है , जबकि यह राज्य और जिला स्तर पर होना चाहिए था |
कोरोना वायरस से लड़ने में मोदी की विफलताओं पर कांग्रेस सवाल उठाती रही है , खुद राहुल ने भी कई ट्विट किए हैं | पर गुरूवार को राहुल बीती ताहि बिसार दे के मूड में थे | हालांकि 1, 17,000 करोड़ के पॅकेज पर उन्होंने जरुर कहा कि राज्यों को पैसा स्पीड से नहीं पहुंच रहा | गोदाम भरे पड़े हैं , पर गरीबों को राशन नहीं पहुंच रहा | जिन के पास राशन कार्ड नहीं उन्हें भी राशन तो मिलना चाहिए | माइग्रेटेड वर्कर न घर पहुंच पा रहे हैं , न उन्हें राशन पहुंच रहा है | हालांकि वह इस बात पर चुप्पी साध गए कि दिल्ली , मुम्बई जैसे महानगरों में फंसे मजदूरों को घर पहुँचाने की व्यवस्था होनी चाहिए या नहीं | पर उन की सलाह थी मोदी मुख्यमंत्रियों से क्यों नहीं पूछते | शायद उन का इशारा बांद्रा वाली घटना के कारण उद्धव ठाकरे से बात करने की ओर था |
चुप्पी तो वह इस बात पर भी साध गए , जब उन से डाक्टरों , नर्सों , पुलिस पर हमला करने वाले मुसलमानों के बारे में पूछा गया | वह इतना ही कह पाए कि किसी को टेस्ट से डरना नहीं चाहिए | जबकि यह बेहतरीन मौक़ा था , जब वह मुसलमानों को अपील करते | उन की मां ने जब 14 मार्च वीडियो जारी किया तो उन्होंने भी खुल कर मुसलमानों का नाम ले कर नहीं कहा था |
पर यह सच है कि राहुल गांधी ही वह व्यक्ति हैं , जिन्होंने कोरोना वायरस के खतरे पर देश को सब से पहले आगाह किया था | इस लिए आज कही उन की बातें गम्भीरता से सुननी चाहिए | हालांकि इंसान को बचाना पहले होना चाहिए या आर्थिकी की फ़िक्र पहले करनी चाहिए , इस पर राहुल पूरी गुफ्तगू में कन्फ्यूज्ड दिखे | जैसे एक बार उन्होंने कहा कि आगे आर्थिक तंगी होगी , इस लिए खर्चा सीमित हो , अपने सारे हथियार अभी मत झोंक दो | यानी जितनी चादर हो उतना पैर पसारिए | पर साथ ही गरीबों के खाते में पैसा जमा कराने की बात कही | इन कन्फ्यूजनों के बावजूद उन की इन बातों पर गौर की जरूरत है –“ लाक आउट के बाद वायरस से निपटने की तैयारी कीजिए | न्याय योजना की तरह पैसा सीधा ट्रांसफर कीजिए | आगे बेरोजगारी बढ़ेगी , उस से निपटने की तैयारी कीजिए | छोटी और मध्यम इकाईयों के लिए पॅकेज | बड़ी औद्योगिक इकाईयों को संरक्षण | वायरस को रोकने की रणनीति |”
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