मां-बाप का प्रमाणपत्र मांगने का झूठ

Publsihed: 16.Jan.2020, 14:05

अजय सेतिया / दिल्ली के शाहीन बाग़ में मणिशंकर अय्यर का जाना धरने की साजिश को उजागर कर गया | दिग्विजय सिंह का ताज़ा बयान उसी कहानी को आगे बढाता है | अभी जावेद अख्तर , स्वरा भास्कर और अनुराग कश्यप का आना बाकी है | वे भी आएँगे तो वही कहेंगे जो मणिशंकर और दिग्विजय सिंह कह रहे हैं | मणि शंकर अय्यर ने पाकिस्तान से लौट कर शाहीन बाग़ में धरने पर बैठे मुस्लिमों और वामपंथियों को खूब भडकाया और हर हफ्ते वहां आने का वादा किया | यानी लम्बे समय तक धरने को चलाने के लिए फंडिंग हो चुकी है | दिग्विजय सिंह ने कहा "हम तो कहते हैं कि मोदी अपने पिता और माता का जन्म प्रमाणपत्र हमें बता दें, (इसके बाद) हम सब कागज दे देंगे |" यानी देश के ये बड़े नेता ,जो कई बार मुख्यमंत्री और केंद्र में मंत्री रह चुके हैं , बिना सिर पैर की बयानबाजी कर रहे हैं , वे जानते हैं कि उन्होंने मुसलमानों को जैसी शिक्षा दी है , उस में उन के पास उन के बयानों पर भरोसा करने के सिवा कोई चारा ही नहीं है |

आखिर जो भी होगा , होगा तो भारतीय नागरिकता क़ानून के अंतर्गत | इस लिए राजनीतिक दल उन्हें क्यों बरगला रहे हैं कि उन के बाप-दादाओं के कागज मांगे जाएंगे | संविधान के अनुच्छेद 5 के अनुसार 26 जनवरी 1947 तक भारत में रह रहे सभी लोगों को भारतीय नागरिक मान लिया गया था , इस लिए उन की नागरिकता पर तो सवाल ही नहीं होता | 1955 में नागरिकता क़ानून बना , जिस में जन्म अथवा न्यूट्रालाईजेशन के आधार पर भारतीय नागरिकता की बात कही गई थी | इस क़ानून में समय समय पर छह बार संशोधन हो चुका है | राजीव गांधी ने पहला बड़ा संशोधन यह करवाया था कि पहली जुलाई 1987 के बाद जन्मा वही भारतीय नागरिकता का हकदार होगा जिस के माता पिता में से कोई एक भारतीय नागरिक होंगे | क्या आप जानते हैं राजीव गांधी ने यह संशोधन क्यों करवाया था , इसलिए क्योंकि 1985 के असम समझौते में यह बात सामने आई थी कि लाखों बांग्लादेशी भारत में रह रहे हैं और यहाँ पैदा होने वाले उन के बच्चे जन्म के आधार पर भारतीय नागरिकता के हकदार हो जाएंगे |

बाद में जब यह बात सामने आई कि घुसपैठिए स्थानीय नागरिकों से शादी कर के अपने बच्चों को वैध भारतीय नागरिक बना रहे हैं , तो सोनिया गांधी ने दिसम्बर 2004 में इस क़ानून को और सख्त बनवाया | जिस के अनुसार 3 दिसम्बर 2004 के बाद भारत में जन्में वही लोग भारत की नागरिकता के हकदार होंगे जिन के माता पिता भारतीय नागरिक हों , अगर उस के जन्म के समय उस के माता-पिता में से एक अवैध घुसपैठिया है तो वह जन्म के आधार पर नागरिकता का हकदार नहीं होगा |

इस बीच एक बड़ी घटना 2003 में वाजपेयी सरकार के समय हुई | सोनिया कांग्रेस के कोटे से गृहमंत्रालय की स्थाई समिति के अध्यक्ष बने प्रणब मुखर्जी ने 12.12.2003 में संसद पटल पर एक रिपोर्ट रखी जिस में उन्होंने नागरिकता रजिस्टर बनाने की जरूरत बताई थी | प्रणब मुखर्जी की रिपोर्ट के आधार पर 2003 में संसद ने क़ानून में नागरिकता रजिस्टर बनाने का संशोधन बिल पास किया था | संसदीय समिति में कांग्रेस, कम्युनिस्ट और अन्य मौजूदा विपक्षी दलों के भी सदस्य थे और बिल भी सर्वसम्मति से पास हुआ था |

वोटर कार्ड, राशन कार्ड , ड्राईविंग लाईसेंस , पैन , पासपोर्ट या आधार बनाने के लिए एक मूल पहचान पत्र की जरूरत होती है , हम सब को पता है कि भारत में से कोई भी एक कार्ड दलालों के माध्यम से कैसे बन जाता हैं | आधार कार्ड भी ऐसे ही बने हैं , आधार कार्ड और बाकी कार्डों में अंतर सिर्फ यह है कि बाकियों में आँखों की पुतलियों और उँगलियों के पोरों के निशान नहीं हैं | इन के माध्यम से बड़े पैमाने पर आर्थिक चोरी रुकी है , लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण पत्र तो नहीं हो सकता | नागरिकता का प्रमाण पत्र नागरिकता क़ानून के अनुसार बनेगा | 3 सितम्बर 2013 को बाम्बे हाईकोर्ट ने जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड और पासपोर्ट को नागरिकता का प्रमाण पत्र मानने से इनकार कर दिया | इसलिए सिर्फ सोनिया गांधी के बनवाए दिसम्बर 2004 के क़ानून के मुताबिक़ सिर्फ घुसपैठियों को ही नागरिकता  का सबूत देने में दिक्कत होगी | भारत के आम हिन्दू , मुस्लिम, सिख , पारसी , ईसाई को तो कोई दिक्कत नहीं होगी | नागरिकता क़ानून 3 (सी)2 सिर्फ उन की नागरिकता पर रोक लगाएगा  जिन के माता पिता में से एक घुसपैठिया है |

 

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