रोहिंग्या को बसाने का कलंक नहीं लेंगे मोदी 

Publsihed: 14.Sep.2017, 23:32

मोदी सरकार बधाई की पात्र है | वह संयुक्त राष्ट्र की ब्लैकमेलिंग के दबाव में नहीं आयी | जेएनयू  ब्रिगेड और सेक्यूलरिज्म ब्रिगेड के दबाव में भी नहीं आई | कश्मीरी आतंकियों और नक्सलियों के हमदर्द प्रशांत भूषण के दबाव में भी नहीं आई | मोदी सरकार ने सुप्रीमकोर्ट को भी कह दिया कि वह रोहिंग्य मुसलमानों के मामले में दखल न दे | प्रशांत भूषण ने रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में सुप्रीमकोर्ट में अलख जगाई हुई है | वह नक्सलियों और आतंकियों के पक्ष में भी अदालत जाते रहते हैं | मोदी सरकार ने अदालत से कहा कि रोहिंग्या भारत में नहीं रह सकते | रोहिंग्या देश की सुरक्षा के लिए खतरा हैं | कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के साथ मिले हुए हैं | विदेशियों की घुसपैठ मौलिक अधिकारों के तहत नहीं आती | ये संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत नहीं आता | मोदी सरकार ने अवैध रूप से भारत में घुस आए रोहिंग्य मसलमानों को खदेडेगी | भाजपा बांग्लादेशियों की घुसपैठ का ठीकरा कांग्रेस के सिर फोडती रहती है | मोदी राज में घुसे 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम न निकाले गए | तो मोदी भाजपा कैडर और आरएसएस को क्या मुहं दिखाएंगे | इस लिए मोदी को सेक्यूलर ब्रिगेड और संयुक्त राष्ट्र के दबाव की कोई परवाह नहीं | अपन जरा मुद्दे को समझा दें | रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार से निकाला जा रहा है | म्यांमार के बोद्धों ने रोहिंग्या मुसलमानों की हरकतों से तंग आकर यह निर्णायक फैसला किया है | एक लाख से ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश के एक द्वीप में घुस गए हैं | करीब 40 हजार रोहिंग्या भारत में घुस आए हैं | भारत के मुसलमानों ने उन्हें भारत में बसाने का दबाव बनाया है | भारतीय मीडिया का एक वर्ग रोहिंग्या मुसलमानों को बेसहारा, बेचारा बता रहा है | जेएनयूं गैंग के पत्रकार रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में सक्रिय हैं | बिना यह जाने कि उन्हें म्यांमार से भागना क्यों पड रहा है |  रोहिंग्या मुसलमान 12वीं सदी में म्यांमार चले गए थे | ब्रिटिश राज में भी (आज के बांग्लादेश से ) बड़ी तादाद में मुसलमान मजदूर म्यांमार ले जाए गए | तब म्यांमार भी ब्रिटेन का उपनिवेश था | तब उसे बर्मा कहते थे | ब्रिटेन उसे भी भारत का ही एक राज्य मानता था | 1948 में भारत-पाक के साथ ही म्यांमार को भी आजादी मिली | म्यांमार का नागरिकता कानून बना तो कुछ शर्तों के साथ रोहिंग्या मुसलमानों को शामिल किया गया | जो रोहिंग्या मुस्लिम दो पीढ़ियों से म्यांमार में रह रहे थे सिर्फ  उनके पहचान पत्र बनाए गए | कुछ रोहिंग्या मुसलमान सांसद भी चुने गए | पर एक पीढी पहले बर्मा में आ कर बसे रोहिंग्या मुसलमानों को नागरिकता नहीं दी गई | इन्हीं रोहिंग्या मुस्लिमों ने राखइन प्रान्त को धीरे धीरे मिनी पाकिस्तान बनाना शुरू कर दिया | नतीजतन राखइन प्रांत में बर्मा के मूल निवासी बोद्धों का जीना मुश्किल हो गया था | बौद्ध समुदाय के 7 - 8 साल के बच्चों का बलात्कार कर मार डाले गए | न जाने कितने बौद्ध मठो और स्तूपो को तहस नहस कर दिया गया | जहाँ ये लोग बहुसंख्यक थे , वहां घुसने की किसी पुलिस अधिकारी की हिम्मत नहीं होती थी | वे रोहिंग्या मुसलमानों के किले बन गए थे | अपराध कर के रोहिंग्या मुसलमान अपने किले में जा घुसते थे | पुलिस की हिम्मत नहीं होती थी कि उस जगह पर जा कर दोषी को पकड़ सके | अगर किसी को पुलिस पकड़ भी लेती थी | तो रोहिंग्या मुस्लिम झुण्ड में जाकर सरकारी दफ्तरों और जेलों में आग लगा देते थे | सन 1962 में म्यांमार में सैन्य विद्रोह होने के बाद रोहिंग्या मुसलमानों के बुरे दिन शुरू हुए | उन्हें रोजगार, शिक्षा सहित अन्य सुविधाओं से वंचित कर दिया गया | सन 1982 में एक और नागरिक कानून आया | इस नए क़ानून के जरिए रोहिंग्या मुसलमानों की नागरिकता पूरी तरह छीन ली गई | रोहिंग्या मुस्लिमों ने म्यांमार की शान्ति भंग कर रखी है | अब म्यांमार ने रोहिंग्या से मुक्ति का फैसला कर लिया है | मुस्लिम म्यांमार से खदेड़े जा रहे हैं | म्यांमार ने यह कदम मजबूरी में उठाया है | यह वैसा ही बड़ा कदम है जिसे उठाने मे इज्राइल जैसे सुपर पावर के भी पसीने छूट गए थे | जब इसराइल ने अपने यहाँ से 10 लाख मुसलमानों को भगाया था ...| दुनिया भर के मुसलमान जैसे इस्राइल के खिलाफ हैं | वैसे ही म्यांमार के खिलाफ हो गए हैं | वीडियो आडियो टेप जारी कर म्यांमार को अत्याचारी बताया जा रहा है | जबकि मौजूदा हालात के जिम्मेदार खुद रोहिंग्या मुसलमान हैं | पिछले महीने रोहिंग्या मुस्लिमों ने 9 पुलिसकर्मियों को मार दिया | सितम्बर के पहले हफ्ते से आमने सामने की जंग चल रही है | दुनिया भर के मुस्लिम और सेक्यूलर मार दिया -पीट दिया का शोर मचा रहे हैं | भारत और म्यांमार पर उन्हें बसाने का दबाव बनाया जा रहा है |  पर उत्तरी म्यांमार के गांवों में रोहिंग्या मुसलमान उसी तरह लड़ रहे हैं | जैसे सीरिया और ईराक में आईएस के मुस्लिम जेहाद के नाम पर लड़ रहे हैं | भारत को सीरिया, ईराक बनने से बचाने के लिए रोहिंग्या के खिलाफ सख्त कदम उठाना होगा | और मोदी सरकार बधाई की पात्र है कि वह किसी दबाव में नहीं |

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