चिराग का  “मिलें न मिलें हो गया”

Publsihed: 15.Jun.2021, 20:19

अजय सेतिया / चिराग पासवान फिल्मों के बाद राजनीति में भी पटकनी खा गए हैं | रामविलास पासवान की दूसरी पत्नी के बेटे चिराग को अपनी ख़ूबसूरती का भ्रम था | क्योंकि वह अपनी खूबसूरत मां रीना और पिता का मिलाजुला रूप हैं | एयर होस्टेस रीना शर्मा की ख़ूबसूरती पर फ़िदा हो कर पासवान ने अपनी पहली ग्रामीण पत्नी को तलाक दे दिया था | अपनी ख़ूबसूरती के भ्रम में चिराग ने 2011 में मुम्बई का रूख किया था | पहली और आख़िरी फिल्म की थी  “ मिलें न मिलें हम “ जिस में वह कंगना रानावत के साथ हीरो थे | हालांकि फिल्म पिट गई थी , लेकिन कंगना रानावत मुम्बई में इतनी छा चुकी है कि वहां के मुख्यमंत्री को चुनौती देने की हैसियत रखती हैं | उधर पिट कर दिल्ली लौटे चिराग को रामविलास पासवान ने राजनीति का पहला पाठ पढाया , जब 2014 के चुनाव से ठीक पहले यूपीए छोड़ एनडीए के साथ गठबंधन किया | देश को मोदी राजनीति का बुखार चढा था , तो इसी का फायदा उठा कर लास पासवान ने चिराग को भी चुनाव लडवा दिया | पिता के साथ वह भी जीत गए | इस तरह उन का राजनीतिक सफर शुरू हुआ | मोदी लहर में 2019 का चुनाव भी जीत गए | लोकसभा में जब खुल कर मोदी की तारीफ़ करते थे तो ऐसा लगता था कि अपने पिता से भी आगे निकलेंगे |

पर मोदी का आशीर्वाद होने के बावजूद चिराग की नीतीश कुमार से दुश्मनी भारी पड गई | अब जब यूपी विधानसभा चुनाव से पहले मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होने वाला है , तो नीतीश कुमार ने चिराग को राजनीति में पैदल कर दिया है | सोमवार को चिराग के चाचा पशुपतिनाथ पारस ने लोजपा के सारे सांसदों से बगावत करवा कर खुद को नेता चुनवा लिया | बिहार के एक कदावर भाजपा नेता ने लोकसभा स्पीकर से मिलने का समय तय करवाया और स्पीकर ने चिठ्ठी मिलते ही चिराग की जगह पारस को नेता घोषित कर दिया | मंगलवार को पटना में बैठक बुला कर चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से भी हटवा दिया | सूरजभान को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है | वह 20 जून तक  नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया संपन्न कराएंगे | पारस ही पार्टी के नए अध्यक्ष होंगे | जब पारस बगावत करवा रहे थे तो रामविलास की पत्नी और चिराग ने उन्हें मिलने की बहुत कोशिश की | दोनों पारस के घर भी गए , लेकिन उन्होंने मिलने से ही इनकार कर दिया | इस तरह 48 घंटे में चिराग की राजनीतिक पारी का भी “मिले न मिलें हम”  हो गया |  

2020 में बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रामविलास पासवान का देहांत हो गया | तो चिराग को भ्रम हो गया कि वह राजनीति में अपने पिता का स्थान ले लेंगे | इसलिए उन्होंने रामविलास की तरह ही चुनावों से ठीक पहले बिहार में एनडीए से अलग होने का फैसला किया | अपन नहीं जानते कि चिराग जब गठबंधन तोड़ने का फैसला करने से पहले अमित शाह से मिले थे तो उन्होंने क्या मंत्र दिया था | लेकिन वामपंथी पत्रकारों ने नीतीश के मन में भाजपा के खिलाफ जहर भरने में कोई कसर नहीं छोडी थी | जम कर लिखा था कि अमित शाह ने ही चिराग को अकेले चुनाव लड़ने को उकसाया है | ताकि चुनाव में भाजपा की सीटें जदयू से ज्यादा आएं , चिराग की मदद से भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में आ जाए और नीतीश को धक्का मार दिया जाए |

चिराग ने भी भ्रम फैलाने में कोई कसर नहीं छोडी | हर चुनावी सभा में नीतीश के खिलाफ जहर उगला और भाजपा की सरकार बनवाने का दावा करते रहे | भाजपा की सीटें तो जदयू से ज्यादा आईं , पर चिराग का सूपड़ा साफ़ हो गया | तब से नीतीश कुमार चिराग को सबक सिखाने के मूड में थे | अब जब मोदी मंत्रिमंडल में खाली पड़े 28 पद भरने की कवायद शुरू हो चुकी है | ज्योतिरादित्या सिंधिया , जितिन प्रशाद , सुशील मोदी , दिलीप घोष और अनुप्रिय पटेल जैसे चेहरे इन्तजार में हैं | तो चिराग पासवान भी उम्मींद लगाए बैठे थे कि मोदी उन्हें पिता की जगह मंत्रिमंडल में ले लेंगे | लेकिन जिस तरह भाजपा और जदयू ने मिल कर चिराग के चाचा को लोजपा की कमान सम्भलवाई है , तो तय है कि मंत्री भी पारस ही होंगे | इस राजनीतिक उठापटक से उन पत्रकारों को जरुर धक्का लगा होगा , जो विधानसभा चुनाव में चिराग के अलग चुनाव लड़ने को मोदी–अमित शाह की रणनीति बता रहे थे | वैसे तब अपना भी मानना था कि जब चिराग बिहार में राजग से अलग हो रहे थे , तो उस समय अमित शाह मिलने से इनकार करते | पर शायद उन्होंने रामविलास की मौत के कारण मुलाक़ात की |

 

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