अजय सेतिया / सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के बाद कहा जा सकता है कि सचिन पायलट ने एक धुरंधर राजनीतिग्य से टक्कर ले कर अपना ही नुक्सान किया | अशोक गहलोत ने सिर्फ उन्हें अध्यक्ष पद से हटवाने की पटकथा लिखी थी , लेकिन सचिन पायलट ने असमय बगावत का झंडा उठा कर दोनों ही पद गवा लिए , वह भी बेआबरू हो कर | मैंने अपने पिछले वीडियो में कहा था कि यह सारी पटकथा अशोक गहलोत की ही लिखी हुई है | राज्यसभा चुनावों के समय विधायकों की खरीद फरोख्त का झूठा नाटक रच कर कांग्रेस आलाकमान के सामने सचिन पायलट को संदेह के घेरे में ला दिया था | उस के बाद से वह लगातार इस तरह के कदम उठा रहे थे , जिन से सचिन पायलट का गुस्सा भडकता रहे | पायलट उन के जाल में फंस रहे थे , सारा दिन उन का दिमाग अशोक गहलोत से निपटने के उपाय सूझने में लगा रहता था , जिस का असर उन के ट्विट पर दिख रहा था , अशोक गहलोत उन सभी ट्विट को कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल को भेज रहे थे , जिन्हें उन्होंने हाल ही में राज्यसभा में भेजा था | जिस से आलाकमान में सचिन पायलट की छवि बिगड़ रही थी |
जब उन्होंने देखा कि सचिन पायलट की असहजता बढ़ रही है , तो उन्होंने राज्यसभा चुनावों के समय पुलिस को दर्ज करवाई गई रपट पर कार्रवाई शुरू करवा दी | पुलिस से सचिन पायलट को नोटिस जारी करवाया गया कि वह इस सिलसिले में उनसे पूछताछ करना चाहती है , वह कब आ सकती है | अब इस बात पर सचिन पायलट भडक गए | लेकिन जैसे ही गहलोत को आभास हुआ कि कहीं आलाकमान उसे उतेजित करने वाली कार्रवाई न मान ले, उन्होंने खुद अपने नाम भी एक नोटिस जारी करवा लिया | उधर भडके हुए सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों को ले कर भाजपा शासित हरियाणा के फाईव स्टार होटल में जा बैठे , उन का यह कदम उन के ओर खिलाफ चला गया , क्योंकि इस से आलाकमान को इस बात की पुष्टि हो गई कि सचिन पायलट की भाजपा से खिचडी पक रही है | अशोक गहलोत पिछले छह महीनों से यही कह कर तो आलाकमान के कान भे रहे थे |
सचिन पायलट को दोनों पदों से बर्खास्त किए जाने के बाद अशोक गहलोत ने कहा कि उनका ( सचिन पायलट ) नजरिया कुछ इस तरह था कि आ बैल मुझे मार और पिछले कई महीनों से वो इसी प्रकार के ट्वीट कर रहे थे। गहलोत ने इसके बाद कहा, 'हाईकमान को मजबूरी में फैसला लेना पड़ा। लंबे समय से भाजापा और हॉर्स ट्रेडिंग की कोशिश कर ही थी। हमें पता था कि यह एक बड़ी साजिश है। अब हमारे कुछ दोस्त इसकी वजह से भटक गए और दिल्ली चले गए।'
अशोक गहलोत की रणनीति एक दम कामयाब रही है | अब सचिन पायलट के साथ गए ज्यादातर लोगों के वापस आने के आसार हो सकते हैं | 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में, फिलहाल कांग्रेस के 107 और भाजपा 72 विधायक हैं । गहलोत को 13 निर्दलीय विधायकों में से 10 विधायकों, सीपीएम और भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP) के दो-दो विधायकों, और राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक का समर्थन प्राप्त है । अगर भारतीय ट्राइबल पार्टी समर्थन वापस भी लेती है और 17 विधायक सचिन पायलट के साथ चले भी जाते हैं , तो भी गहलोत की सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं , लेकिन तब उन का बहुमत निर्दलीय विधायकों पर निर्भर होगा | शायद सचिन पायलट के खतरे को भांपते हुए ही गहलोत ने पिछले साल बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस में शामिल करवा लिया था , सचिन पायलट को इस की भनक तक नहीं थी |
आपकी प्रतिक्रिया