मस्जिद न बनने की कसक मिट नहीं रही

Publsihed: 14.Jun.2021, 20:19

अजय सेतिया / बेईमानी तो अपन भारतीयों की रग रग में है | इसीलिए अपन खरीदारी में कच्चा पक्का और जमीन–मकान खरीदते समय एक नंबर , दो नंबर करते हैं | ताकि रजिस्ट्री के कुछ पैसे बच जाएं औए काला धन भी निपट जाए | इस काले धंधे को खत्म करने के लिए सरकार ने सर्किल रेट का फार्मूला निकाला था | अब अपन असली मुद्दे पर आते हैं | समाजवादी पार्टी , आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने एक मुद्दा उठाया है कि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 2 करोड़ रूपए कीमत की जमीन 18.50 करोड़ में खरीदी है | इस खरीद घोटाले में भाजपा के नेताओं को फायदा पहुँचाने का आरोप भी लगाया |

सपा के पवन पांडे . आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और कांग्रेस के सुरजेवाला ने शनि, रवि और सोमवार को धुंआधार प्रेस कांफ्रेंसें करते हुए ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय को घेरा क्योंकि वह उस विश्व हिन्दू परिषद के भी महासचिव हैं , जिस के आन्दोलन की बदोलत आज राम जन्मभूमि हिन्दुओं को मिली | वरना सपा वहां भव्य मस्जिद बनवाना चाहती थी , कम्युनिस्ट तासीर वाली आम आदमी पार्टी स्कूल या अस्पताल का प्रस्ताव रख रही थी और कांग्रेस ने तो कोर्ट में कह दिया था भगवान राम एक कल्पना है , उन के पैदा होने का कोई सबूत ही नहीं है | यह अच्छी बात है कि अब इन तीनों को राम जन्मभूमि मंदिर की इतनी चिंता है | सुरजेवाला ने सोमवार को अपनी जुबान से “ मर्यादा पुरषोतम भगवान श्री राम “ कह कर सम्बोधित किया तो अच्छा लगा |

मुद्दा यह है कि 2 करोड़ कीमत वाली जमीन श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में क्यों खरीदी | इन तीनों ने प्रेस कांफ्रेंस में बहुत बड़ा झूठ बोला , क्योंकि जिस जमीन को ट्रस्ट ने खरीदा है उस का सर्किल रेट 5.79 करोड़ रुपए हेक्टर है | तो उस का मार्केट रेट 2 करोड़ तो नहीं हो सकता | असल कहानी यह है कि कुसुम पाठक ने 17 सितंबर 2019 में यह जमीन 2 करोड़ रूपए में सुलतान अंसारी को बेचने का सौदा किया था | लेकिन सुलतान अंसारी ने सिर्फ 50 लाख रूपए एडवांस दिए थे , दावा किया जा रहा है कि रजिस्ट्री के लिए तीन साल की मोहलत थी | जो 16 सितंबर 2022 में पूरी होनी है | यानी अभी करीब डेढ़ साल पड़ा है | वैसे तो रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला आने के बाद अयोध्या में जमीनों के भाव चार से आठ गुना बढ़ चुके हैं | इस पर अंतर्राष्ट्रीय मेग्जिनों में भी खबरें छपीं थीं | अयोध्या के रेलवे स्टेशन के पास की इस 1, 208 हेक्टर जमीन की मार्केट वेल्यू 23 करोड़ के आस पास है |

फिर भी डेढ़ साल पहले भी यह दो करोड़ की तो नहीं होगी , कम से कम 5 करोड़ की तो होगी ही | अपन ने कहा ना कि बेईमानी अपन भारतीयों के रग रग में है | कुसुम पाठक ने टेक्स बचाने के लिए बाकी की ब्लैक मनी ली होगी और अंसारी ने रजिस्ट्री के पैसे बचाने के लिए कम कीमत का लिखित सौदा किया होगा | हो सकता है सौदा मार्केट वेल्यू से कम कीमत पर हुआ हो | उस के पीछे की भी एक कहानी है | सुलतान अंसारी के पिता इरफ़ान अंसारी ने 2017 में इस जमीन पर दावा ठोका था | सुलतान के दादा जाम मोहम्मद ने भी 2011 में इस जमीन पर दावा ठोका था | यानी डिस्प्यूट के कारण कोई और जमीन को खरीदता नहीं होगा और वह सुलतान अंसारी को ही कम कीमत पर बेचने पर मजबूर होगी | श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने भविष्य के किसी विवाद से बचने के लिए पहले सुलतान अंसारी के नाम पर रजिस्ट्री होने की शर्त रखी होगी | इसी लिए 18 मार्च को पहले अंसारी के नाम और फिर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के नाम रजिस्ट्री करवाई गई |

मस्जिद बनवाने में विफल रही सपा , आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को अभी भी रामजन्म भूमि पर मंदिर बनने की बात पच नहीं रही | तीनों दलों के मन में एक कसक रह गई है कि देवेगौडा , गुजराल और मनमोहन सिंह की बारह सालों की मिलीजुली केंद्र सरकारों के बावजूद मस्जिद क्यों नहीं बनवा पाए , मोदी सरकार छह साल में ही मंदिर बनवाने में कैसे कामयाब हो गए | अभी कम्युनिस्टों का बयान आना तो बाकी है , उन के मन में तो मस्जिद नहीं बनने की कसक सब से ज्यादा है , तभी तो उन्होंने मुसलमानों को नागरिक संशोधन क़ानून के खिलाफ भडका कर दंगे करवाए थे |

 

 

 

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