सुप्रीम कोर्ट ने दोहराया , मंदिर वहीं बनेगा

Publsihed: 12.Dec.2019, 17:27

अजय सेतिया / गुरूवार सुबह अपन लोकसभा टीवी के “नमस्ते भारत” कार्यक्रम में गेस्ट थे | इस प्रोग्राम में अखबारों की सुर्ख़ियों पर बातचीत होती है | इन में एक खबर यह भी थी कि आज सुप्रीमकोर्ट अयोध्या फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार करेगी | मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की पांच याचिकाओं समेत 18 याचिकाएं थीं |   हिन्दू महासभा ने भी एक याचिका दाखिल कर दी थी | जिस में मुसलमानों को मस्जिद के लिए जमीन दिए जाने को चुनौती दी गई थी | हिन्दू महासभा का कहना था कि जब खुदाई में मंदिर के अवशेष मिल चुके हैं | यह साबित हो चुका है कि बाबरी ढाँचे के नीचे मंदिर था | तो मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए जमीन क्यों दी गई है | एंकर रामवीर सिंह ने जब अयोध्या के केस का जिक्र किया तो अपन ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि सभी याचिकाएं रद्द हो सकती हैं |

शाम चार बजते बजते आखिर यही खबर आ गई | कोई सामान्य बुद्धी वाला भी समझ सकता था कि इन याचिकाओं का क्या हश्र होगा | रिटायर्ड चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कोई कम मेहनत नहीं की थी | नई बैंच में उन की जगह पर एक ही जज तो जुड़ा था | चीफ जस्टिस बोबोड़े के साथ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एस अब्दुल नजीर तो पहले वाली बैंच में ही थे | जस्टिस संजीव खन्ना ही नए जुड़े थे | पहले फैसला देने वाले चार सीनियर जजों ने सारे पहलू देख समझ कर सबूतों के आधार पर ही फैसला किया था | पांचवा नया जज तो सिर्फ पहली जजमेंट की खामी ही देखता | कोर्ट अपने फैसले पर पुनर्विचार तब करता है जबकि फैसले में साफ तौर पर कानूनी या तथ्यपरक खामी हो | फैसले को चुनौती भी जजमेंट की खामियां बता कर दी गई थी | पाँचों जजों ने बाकायदा अपनी जजमेंट को ध्यान से पढ़ा और फिर से सर्वसम्मती से सारी याचिकाएं खारिज कर दीं | यानी कहा कि मंदिर वहीं बनेगा |

कांग्रेस 1992 के पहले से ही बाबरी ढाँचे को बाबरी मस्जिद कहती रही थी | जब कारसेवकों ने 6 दिसम्बर को उस ढाँचे को तोड़ा था | तो मुस्लिम वोट बैंक बचाने के लिए नरसिंह राव ने एलान किया था कि वहां दुबारा मस्जिद बनाएंगे | हालांकि यूपीए राज में तो कभी दुबारा मस्जिद बनाने की बात नहीं कहीगई , लेकिन कांग्रेस की मंशा तो हमेशा यही रही थी | मंदिर न बने , इस के लिए सालों से कांग्रेस के वकील सुनवाई टलवाने की जुगत में लगे रहते थे | 2019 के चुनाव से पहले भी कपिल सिब्बल सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई टलवाने चले गए थे | अयोध्या पर रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसले के बाद कांग्रेस ने कोई टिप्पणी नहीं की थी | वह हिन्दुओं को नाराज नहीं करना चाहती थी | पर दबी जुबान से कांग्रेसी कोर्ट को भी बुरा-भला कहते रहे हैं |

वैसे दूबारा मोदी सरकार आने के बाद से सुप्रीमकोर्ट ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है | जनता के दरबार में दूसरी बार हारी कांग्रेस अब मोदी सरकार के हर फैसले को कोर्ट में ले जाती है | फैसला सरकार के नोटिफिकेशन से हुआ हो, या संसद से पास हुआ हो | कभी खुद याचिका लगाती है , तो कभी अपने वामपंथी , मुस्लिम सहयोगियों को आगे कर देती है | पर जब उन के वकील कपिल सिब्बल , अभिषेक मनु सिंघवी , पी.चिदम्बरम और राजीव धवन होते हैं तो बात लुकी-छिपी नहीं रहती | सिब्बल , सिंघवी, चिदम्बरम को कई कांग्रेसियों का हक मार कर इसी लिए राज्यसभा में भेजा जाता है | ट्रिपल तलाक क़ानून , 370 हटाए जाने को कोर्ट में चुनौती दिए जाने के बाद अब नागरिकता क़ानून को चुनौती दी गई है |

अभी 100 दिन जेल में रह कर पी.चिदम्बरम ने सिर्फ राज्यसभा में कोर्ट जाने की धमकी नहीं दी | बिल पास हो जाने के बाद राज्यसभा से निकलते हुए भी उन्होंने कहा कि “  सीन विल बी शिफ्टेड टू कोर्ट ” ( अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगा ) | अपन यह नहीं कह सकते कि कांग्रेस खुद कोर्ट में जाएगी या कोई मूर्गा ढूंढेगी | वैसे केरल में कांग्रेस की सहयोगी मुस्लिम लीग ने सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया है | यह वही मुस्लिम लीग है जिस ने अपने कोटे की सीट राहुल गांधी के लिए खाली की थी | मुस्लिम लीग के वकील कपिल सिब्बल होंगे | मुस्लिम लीग के सांसद मोहम्मद बशीर और पी.के कुन्हालीकुटी ने यह एलान किया | आधार वही है जिसे बहस में कहा गया था – संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन | पर अपन को एक बात समझ नहीं आती कि यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को बराबरी का हक देता है या सारे विश्व के नागरिकों को | 

आपकी प्रतिक्रिया