भारत विरोधी भारतीय बुद्धिजीवियों  के छिपे इरादे

Publsihed: 12.May.2020, 19:47

अजय सेतिया / लाइन-ऑफ-एक्चुअल-कंट्रोल के पास चीनी हेलीकॉप्टर को एक हफ्ते पहले उड़ान भरते हुए देखा गया था | हालांकि, वह चीनी क्षेत्र में ही उड़ रहा था | जिसके बाद, भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान हरकत में आये और उन्होंने पेट्रोलिंग के लिए उड़ान भरी | यह घटना 5-6 मई के बाद की है , लद्दाख के इसी इलाके में 5 मई और 6 मई के बीच भारतीय और चीनी सेना के बीच पेट्रोलिंग के दौरान झड़प और पत्थरबाजी हुई थी , जिसमें दोनों तरफ के सैनिक घायल हुए थे | भारत में इन घटनाओं को मोदी सरकार के गिलगित बाल्टिस्तान पर अपनाई जा रही नी रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है | केंद्र शासित लद्दाख के अंतर्गत आने वाले गिलगित बाल्टिस्तान का कुछ इलाका चीन के कब्जे में भी है | इसी कब्जे वाले इलाके से चीन बलूचिस्तान बन्दरगाह तक पहुंचने का रास्ता बना रहा है | 

रणनीतिक कूटनीतिक हलकों में चर्चा यहाँ तक हो रही है कि गिलगित अब भारत और पाकिस्तान के बीच मामला नहीं रहा | गिलगित-बाल्टिस्तान को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की कूटनीतिक जंग शुरू हो चुकी है | कोरोना वायरस के कारण अमेरिका खुल्लम खुल्ला चीन के खिलाफ आ कर खड़ा हो गया है | गिलगित बालतिस्तान पिछले दो सौ साल से चीन और रूस के लिए सामरिक महत्व का क्षेत्र रहा है | मोदी के नेतृत्व की भारत सरकार अब अगर गिलगित में कोई महत्वाकान्शी कदम उठाती है , तो उसे चीन का भी समर्थन मिलेगा और रूस का भी | इसे ले कर पाकिस्तान के रणनीतिकारों के होश उड़े हुए हैं |

पिछले दिनों लन्दन में निर्वासित जीवन जी रहे आरिफ आजदिकिया ने खुलासा किया था कि पाकिस्तान की सीनेट ने मोदी सरकार को अस्थिर करने के लिए भारत के मुसलमानों के अतिरिक्त मोदी और भाजपा विरोधी राजनेताओं , बुद्धिजीवियों और पत्रकारों को इस्तेमाल करने की रणनीति बनाई है | अपने यूट्यूब चेनल पर आरिफ ने भारत के कई पत्रकारों और फ़िल्मी हस्तियों के कुछ तवीत भी हाईलाईट किए थे , जिन में करीब करीब वही बातें कही गई थीं , जो पाकिस्तान के भारत विरोधी नेता ट्विट में लिखते रहते हैं | अपना माथा तब ठनका जब इंडियन एक्सप्रेस और इंडिया टूडे के एडिटर रहे एक वरिष्ठ पत्रकार ने हाल ही में अपने यूट्यूब चेनल पर गिलगित बाल्तिस्तान का जिक्र करते हुए कहा कि महाराजा हरिसिंह ने जब जम्मू कश्मीर का भारत में विलय हुआ , तब गिलगित-बाल्तिस्तान का पाकिस्तान में विलय हो चुका था |

अब कोई भी आसानी से समझ सकता है कि यह कथन भारत के पक्ष में है या पाकिस्तान के पक्ष में है | क्या किसी भारतीय से यह उम्मींद की जा सकती है कि वह तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर दुश्मन के पक्ष में प्रस्तुत करेगा | सच यह है कि जब पाकिस्तान के कबाईलियों ने कश्मीर पर हमला किया , उस समय गिलगित-बाल्टिस्तान के स्थानीय कमांडर कर्नल मिर्जा हसन खान ने हमले का फायदा उठाते हुए महाराजा हरिसिंह के खिलाफ विद्रोह कर ​गिलगित-बाल्टिस्तान  की आजादी का ऐलान भी कर दिया था | गिलगित बाल्तिस्तान 21 दिन तक इसी हालत में था , जब पाकिस्तानी सेना ने कश्मीर के मौजूदा अपने नियन्त्रण वाले इलाके के साथ अवैध रूप से कब्जा किया | भारत से युद्ध विराम के बाद पाकिस्तान ने पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में एक मुखौटा सरकार का गठन किया, जिसका नियंत्रण पूरी तरह से पाकिस्तान के हाथ में था | 28 अप्रैल, 1949 को पीओके की मुखौटा सरकार ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के सुपुर्द कर दिया |

अब इसी घटनाक्रम को भारत विरोधी भारतीय पत्रकार और बुद्धिजीवी भारत के खिलाफ और पाकिस्तान के पक्ष में इस्तेमाल कर रहे हैं | यह एक उदाहरण हैं ,इसी तरह के अनेक भारत विरोधी स्टेंड आए दिन लेते रहते हैं | इतना ही नहीं , ये पाकिस्तान समर्थक भारतीय पत्रकार गाहे-ब-गाहे यह भी लिखते रहते हैं कि 1947 में देश के विभाजन के समय गिलगित-बाल्टिस्तान न तो भारत का हिस्सा था और न ही पाकिस्तान का | वे इतिहास के इस तथ्य को छिपा जाते हैं कि ब्रिटिश सरकार ने रूस और चीन सीमा लगने के कारण सीमान्त क्षेत्र की सुरक्षा के लिए महाराजा हरिसिंह की सहमती से यह इलाका गिलगित एजेंसी को 60 साल के लिए लीज पर दिया था , और आज़ादी से पन्द्रह दिन पहले 1 अगस्त 1947 को लीज समाप्त कर के गिलगित- बाल्टिस्तान बाकायदा महाराजा हरी सिंह को सौंप दिया था | इस लिए आज़ादी के वक्त यह उस कश्मीर का हिस्सा था , जिस का महाराजा हरिसिंह ने 31 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय किया था | यह जवाहर लाल नेहरु की घोर लापरवाही थी कि युद्धविराम कर के सेना को कश्मीर का वह इलाका वापस नहीं लेने दिया , जिस पर पाकिस्तान ने बलात कब्जा किया था |

 

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