अब निगाह बिहार और नीतीश पर

Publsihed: 12.Feb.2020, 13:43

अजय सेतिया / भाजपा विरोधियों में एक बात तो है , अगर वे खुद हार जाएँ पर भाजपा न जीते , तब भी वे ताली बजाने लगते हैं | बेगाने की शादी में अब्दुल्ला दीवाना | पी. चिदम्बरम का कुछ यही हाल है | कांग्रेस का पिछली बार की तरह, इस बार भी दिल्ली में खाता नहीं खुला |  लेकिन पी चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए भाजपा को हराने के लिए दिल्ली को लोगों को सेल्यूट किया | चिदंबरम ने ट्वीट करते हुए लिखा, 'आप की जीत हुई और धोखेबाज हार गए | दिल्ली के लोग, जो कि भारत के सभी हिस्सों से ताल्लुक रखते हैं , ने भाजपा के ध्रुवीकरण, विभाजनकारी और खतरनाक एजेंडे को हरा दिया | मैं दिल्ली के लोगों को सेल्यूट करता हूं, जिन्होंने उन राज्यों के लोगों के लिए एक उदाहरण पेश किया है, जहां 2021 और 2022 में चुनाव होने वाले हैं |'

उन का इशारा बिहार बंगाल आदि की ओर है , पर अपन उस की चर्चा बाद में करेंगे | पहले चिदम्बरम को उन्हीं के ट्विट पर मिले जवाब को देख लें | प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके इस ट्वीट पर निशाना साधा है | उन्होंने लिखा- 'महोदय, मैं पूछना चाहती हूं कि क्या कांग्रेस ने भाजपा को हराने का काम क्षेत्रीय दलों को आउटसोर्स कर दिया है क्या...? यदि ऐसा नहीं है, तो हम अपनी करारी हार की चिंता करने के स्थान पर आम आदमी पार्टी की जीत पर खुशी क्यों मना रहे हैं...? और अगर इसका जवाब 'हां' में है, तो हमें (प्रदेश कांग्रेस समितियां) दुकान बंद कर देनी चाहिए..." चलिए ,कांग्रेसियों की आपसी जूतम पैजार के बीच एक बात तो साफ़ हुई कि कांग्रेस के नेता ही अपनी पार्टी को दूकान मानने लगे हैं |

अब बात बिहार की , तो बिहार की राजनीतिक हवा नीतीश कुमार के राजनीतिक रूख पर तय होगी | पवन वर्मा और प्रशांत किशोर को निकाले जाने के बाद अब ऐसी कोई उम्मींद नहीं लगती कि नीतीश पाला बदलेंगे | अलबत्ता देखना यह होगा कि प्रशांत किशोर और पवन वर्मा बिहार में लालू यादव के सलाहाकार बनेंगे या नहीं | प्रशांत किशोर ने दिल्ली विधानसभा के चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है | अरविन्द केजरीवाल को चुनाव से काफी समय पहले यह मंत्र प्रशांत किशोर ने ही दिया था कि वह मोदी पर कोई भी टिप्पणी करना बंद कर दें | इस के बाद चुनावों में भी यह मंत्र उसी ने दिया था कि वह शाहीन बाग़ के धरने पर न जाएं | प्रशांत किशोर का कहना था कि मुस्लिम वोटरों के पास उन को वोट देने के सिवा कोई चारा ही नहीं है | जबकि शाहीन बाग़ जा कर वह अपने बनिया वोटरों को नाराज करेंगे |

शाहीन बाग़ से किनारा कर के अरविन्द केजरीवाल ने बिजली,पानी,सडक,शिक्षा,स्वास्थ्य के मुद्दे को जम कर भुना लिया | प्रशांत किशोर ऐसा ही कोई मंत्र लालू यादव के बेटे तेजस्वी को नीतीश कुमार के खिलाफ भी दे सकते हैं | बिहार में नागरिकता संशोधन क़ानून , जनसंख्या रजिस्टर और नागरिकता रजिस्टर नीतीश कुमार पर भारी पड सकते हैं | तो बिहार की चुनावी राजनीति दिल्ली के एक दम उल्ट होगी | पर बिहार और दिल्ली में फर्क यह है कि बिहार के चुनाव की बागडौर अमित शाह के हाथ में नहीं होगी | नीतीश कुमार राष्ट्रीय मुद्दों पर चुनाव नहीं होने देंगे | भाजपा भी वहां राष्ट्रीय मुद्दों से बचती हुई दिखाई देगी | प्रशांत किशोर की रणनीति नीतीश कुमार को तीनों मुद्दों पर घेरने की रहेगी | जबकि नीतीश कुमार वही नीति अपनाएंगे , जो दिल्ली में केजरीवाल ने अपनाई | इन तीनों मुद्दों पर अमित शाह का स्टेंड नीतीश के लिए मुसीबत खडी करेगा |

अब देखना यह होगा कि नीतीश कुमार इन तीनों मुद्दों से कैसे पीछा छुडाते हैं | नीतीश कुमार की अब तक की सब से बड़ी उपलब्धि यह है कि उन्होंने बिहार में सामाजिक शांति क़ायम रखी है | लालू और लालू से पहले कांग्रेस के शासन में जातीय नरसंहार और साम्प्रदायिक दंगे होते रहते थे | इन सब बातों के बावजूद बिहार में जातीय आधार पर समीकरणों और वोटिंग से कोई इनकार नहीं कर सकता | नीतीश कुमार इस बार अति पिछड़ी जाति का कार्ड खेलने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे क्योंकि 15 सालों में उन्होंने अति पिछड़ी जातियों में अपना प्रभाव जमाया है , इसलिए उन का फोकस बिहार के इस सब से बड़े वर्ग पर होगा , जो बाकी किसी भी मुद्दे पर भारी पड़ेगा |

 

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