अजय सेतिया / दो मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ धूप छाँव का खेल खेल रहे हैं | ममता बेनर्जी की चिंता तो कांग्रेस और वामपंथी दलों को करनी चाहिए , क्योंकि उन दोनों को ममता के कभी भी साथ छोड़ जाने का खतरा है | शनिवार 11 जनवरी को जब ममता बेनर्जी बिना किसी तय कार्यक्रम के कोलकाता के राजभवन में नरेंद्र मोदी से मिली तो वामपंथियों की त्यौरियां चढ़ गई | इस से पहले वह यह एलान कर ही चुकी हैं कि 13 जनवरी को विपक्ष की रणनीति के लिए बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होंगी | हालांकि मोदी ममता मुलाक़ात से किसी के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है | ममता बेनर्जी का नागरिकता संशोधन क़ानून , जनसंख्या रजिस्टर और नागरिकता रजिस्टर को लेकर विरोध कायम है , उन्होंने मोदी से बातचीत के दौरान अपना स्टैंड दोहराया भी | मोदी अपनी अध्यात्मिक यात्रा में कोई कडवाहट पैदा नहीं करना चाहते थे , इस लिए उन्होंने कह दिया कि वह राजनीतिक बातें दिल्ली में आ कर करें , इस का मतलब यह नहीं है कि मोदी टस से मस हुए हैं |
दूसरे मुख्यमंत्री नितीश कुमार की चिंता नरेंद्र मोदी को करनी चाहिए , जो इस समय उन के पाले में हैं और प्रशांत किशोर के माध्यम से कांग्रेस के साथ बातचीत का दरवाजा खोले हुए हैं | नागरिकता संशोधन क़ानून पर नितीश कुमार लगातार मोदी के साथ धूप छाँव का खेल खेल रहे हैं | प्रशांत किशोर के बारे में पहले खबर आई थी कि नागरिकता संशोधन क़ानून का विरोध करने के कारण उन्हें उपाध्यक्ष पद से हटा दिया गया है , लेकिन यह खबर भाजपा को भ्रमित करने के लिए फैलाई गई थी | अब कांग्रेस कार्यसमिति के नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी का विरोध करने वाले प्रस्ताव का स्वागत कर के प्रशांत किशोर ने साफ़ संकेत दे दिया है कि नितीश कुमार कभी भी पाला बदल सकते हैं , जैसे जैसे बिहार विधान सभा के चुनाव नजदीक आ रहे हैं , वह सियार की तरह रंग बदल रहे हैं |
कांग्रेस कार्यसमिति का प्रस्ताव खुद कांग्रेस को कटघरे में खड़ा करेगा , क्योंकि ऐसे दर्जन भर प्रमाण हैं कि समय समय पर कांग्रेस नागरिकता संशोधन क़ानून , जनसंख्या रजिस्टर और नागरिकता रजिस्टर की वकालत करती रही है | खुद कांग्रेस के बहुमत वाली गृह मंत्रालय की संसदीय समिति इन तीनों मुद्दों पर सिफारिश कर चुकी है और इसी सिफारिश के आधार पर 2010 में कांग्रेस की ही मनमोहन सरकार ने जनसंख्या रजिस्टर बनाया था , अब सिर्फ उसे अपडेट किया जाना है | अब कांग्रेस सिर्फ इस लिए विरोध कर रही है क्योंकि मुस्लिम विरोध कर रहे हैं , इस लिए यह शाहबानों जैसा तुष्टिकरण का मामला ही है , जैसे शाहबानो का मामला 33 साल से कांग्रेस के गले में फंसा हुआ है , वैसे ही ये तीनों मुद्दे कांग्रेस के गले में फंसेंगे | कांग्रेस अपना इतिहास खुद भूल जाती है , वह भूल गई है कि जब उस ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओ को गुजारा भत्ता से महरूम किया था उस समय लोकसभा में उस की 400 से ज्यादा सीटें थी , उस के बाद कभी 200 पार नहीं हुई |
नरेंद्र मोदी देश की अस्सी प्रतिशत हिन्दू जनभावना को अच्छी तरह समझते हैं , अनुराग कश्यप, दीपिका, स्वरा भास्कर, महेश भट , कन्हैया, येचुरी , राजा टाईप फर्जी सेक्यूलर किस्म के हिन्दुओं की तादाद 2 प्रतिशत से ज्यादा नही है , और उन सब की गिनती भी 2019 के लोकसभा चुनाव में हो चुकी है | ये सब वही असहिष्युणता और अवार्ड वापसी वाले लोग हैं | इसलिए नरेंद्र मोदी ने बिना किसी की परवाह किए कोलकाता की चिक चिक से दूर बेलूर मठ्ठ में रात बिता कर इतिहास लिख दिया | किसी धार्मिक मठ्ठ में रात बिताने वाले वह पहले प्रधानमंत्री बन गए | वह अपने हिन्दू होने का सबूत बार बार देते रहते हैं , इस से पहले जब चुनाव नतीजे आ रहे थे तो वह केदारनाथ की गुफ्फा में जा बैठे थे | जहां कांग्रेस और वामपंथियों को अपना मुस्लिम वोट बैंक बचाने के लिए पापड़ बेलने पड़ते हैं , वहीं मोदी अपने इशारों से ही हिन्दू वोट बैंक को पक्का करते रहते हैं , यही इंदिरा गांधी की ताकत थी , कि वह भी हिन्दू तीर्थस्थलों पर श्रद्धावत लगातार जाती रहती थी , दिखावे के लिए नहीं | रविवार को विवेकानंद की जयंती पर मठ्ठ में अपने भाषण में मोदी ने मुगलिया सल्तनत पर कटाक्ष कर के अपने हिन्दू वोटबैंक को और पक्का कर लिया है |
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