अयोध्या फैसले पर उद्धव ने आडवानी को याद किया

Publsihed: 09.Nov.2019, 20:25

अजय सेतिया / सुप्रीमकोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड के दावे को खारिज कर के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के पक्ष में सर्वसम्मत फैसला दिया है | पांच सदस्यीय पीठ में चार हिन्दू और एक मुस्लिम जज था | फैसले का आधार पुरातत्व विभाग की वही रिपोर्ट है , जिस के आधार  पर हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था | लेकिन सुप्रीमकोर्ट के फैसले का महत्वपूर्ण हिस्सा यह है उस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को पूरी तरह खारिज कर दिया , जिस में विवादास्पद 2.77 एकड़ भूमि को तीन हिस्सों में बाँट दिया गया था | हाईकोर्ट का फैसला कानूनी नुक्तों पर आधारित होने के बजाए हिन्दू मुस्लिम सद्भावना को ध्यान में रख कर किया गया था | दोनों समुदायों को संतुष्ट करने के लिए जमीन के तीन टुकड़े कर दिए गए थे | 2003 में हाईकोर्ट के आदेश पर खुदाई करने के बाद पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट  में कहा था कि विवादास्पद जमीन के नीचे विशाल हिन्दू मंदिर पाया गया है | मंदिर ही नहीं , अलबता भगवान राम की प्रतिमा , बावडी और बावडी में जाने के लिए सीढियां भी पाई गई थीं |

साफ़ था कि मंदिर तोड़ कर उस के मलबे के ऊपर मस्जिद खडी की गई थी , जैसा की देश में सैंकड़ों अन्य मंदिरों को तोड़ कर उस के मलबे पर मस्जिदें खडी हैं | हालांकि सुप्रीमकोर्ट ने भी अपने फैसले में इस पर संशय जाहिर किया है कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई | कोर्ट ने कहा कि पुरातत्त्व विभाग ने नीचे मंदिर होने की बात तो कही है , लेकिन यह नहीं कहा कि मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई गई | इस के बावजूद सुप्रीमकोर्ट ने पुरात्व विभाग की रिपोर्ट को मुख्य आधार बताया है| हाईकोर्ट ने ढाँचे के नीचे मंदिर के सबूत मिल जाने के बावजूद जमीन को तीन हिस्सों में बाँट दिया था | 1990 में चन्द्र शेखर ने हिंदुओं और मुसलमानों में बीच बचाव करने की कोशिश की थी , उस समय की बैठकों में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कह दिया था कि अगर खुदाई में ढाँचे के नीचे मंदिर के अवशेष पाए गए तो मुस्लिम मस्जिद पर दावा छोड़ देंगे | सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी अपने 1990 के वायदे को नहीं निभाया जबकि खुदाई में मंदिर के अवशेषों के सबूत कोर्ट में पेश किए गए थे |

साढे चार सौ साल से जिस रामजन्मभूमि को हासिल करने के लिए हिन्दू संघर्ष कर रहे थे , उसे हासिल करने का श्रेय लाल कृष्ण आडवानी को जाता है | असदुदीन ओवैसी ने ठीक ही तो कहा है कि अगर बाबरी ढांचा न टूटा होता तो क्या तब भी सुप्रीमकोर्ट का यही फैसला होता | लेकिन अगर ढांचा न टूटा होता तो कोर्ट ढाँचे के नीचे खदाई के आदेश भी न देती और खुदाई में मंदिर के सबूत भी न मिलते | सुप्रीमकोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ ने सर्वसम्मती से दिए फैसले में जहां यह कहा कि विवादास्पद स्थान ही रामजन्म भूमि होने के दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं , वहीं यह भी कहा कि 1992 में बाबरी ढांचा तोड़ा जाना गैर कानूनी था | 6 दिसम्बर 1992 में बाबरी ढांचा लाल कृष्ण आडवानी की राम रथ यात्रा की ही परिणिति थी |

शनिवार को जब अयोध्या का फैसला रामजन्मभूमि के पक्ष में आया , तो किसी ने लाल कृष्ण आडवानी को याद नहीं किया , आडवानी को याद किया शिव सेना प्रमुख उद्दव ठाकरे ने , उन्होंने रामजन्मभूमि प्राप्त करने का श्री आडवानी को देते हुए कहा कि वह 24 नवम्बर को अयोध्या भी जाएंगे और आडवानी को भी मिलने जाएंगे | उद्दव ठाकरे के आज आडवानी को याद करने का दूसरा कारण भी है | वह कारण यह है कि 1993 में लाल कृष्ण आडवानी ने ही शिवसेना से गठजोड़ किया था , जो अब टूट रहा है क्योंकि भाजपा के ताजा नेतृत्व ने आडवानी- बाला साहिब ठाकरे में तय हुए समझौते की शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है | अयोध्या पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले से शिवसेना के मुख्यमंत्री बनने की सम्भावना बढ़ गई है , क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी को समर्थन करने में अब शायद ही कोई दिक्कत हो |

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