आपरेशन गिलगित के लिए तैयार भारत

Publsihed: 10.May.2020, 23:50

अजय सेतिया / कोरोना वायरस के बावजूद पाकिस्तान कश्मीर में घुसपैठ और आतंकवादी वारदातों से बाज नहीं आ रहा | भारत ने भी अब उसे स्थाई सबक सिखाने का मन बना लिया है | मोदी सरकार ने जो संसद में वायदा किया था , उसी के अनुसार पहले पीओके के सारे क्षेत्र भारतीय नक्शे में शामिल किए और अब आपरेशन पीओके की सब से कमजोर कड़ी गिलगित-बाल्टिस्तान के लोगों से सीधा संवाद शुरू कर दिया है | सब से पहले  भारतीय मौसम विभाग अपने रोजाना बुलेटिन में गिलगित-बाल्टिस्तान के साथ मुजफ्फराबाद को भी जोड़ दिया है |

आदत के अनुसार पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कड़ी  प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि भारत का यह कदम राजनीतिक नक्शे की तरह ही पूरी तरह से अवैध, वास्तविकता के विपरीत और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन है | पाकिस्तान की प्रतिक्रिया कितनी बचकानी है , दुनिया भर के टीवी रेडियो दुनिया भर के मौसम का हाल प्रसारित करते हैं | भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के बयान को खारिज किया अलबत्ता प्रसार भारती ने कहा कि आने वाले दिनों में जम्मू कश्मीर के सभी इलाकों की खबरों को स्थान दिया जाएगा | कोई 10 साल पहले की बात है दिल्ली में गिलगित-बाल्टिस्तान पर एक संगोष्टी में वहां के एक बड़े नेता को बुलाया गया था | उसने कहा कि " हम भारत की भूली हुई जमीन के भूले हुए लोग हैं | भारत के लोग यह भी भूल चुके हैं कि हम उसी के अंग हैं |“ जब किसी ने उनसे सवाल किया कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं ?? तो उसने कहा कि 60 साल बाद तो आपने मुझे भारत बुलाया और वह भी अमेरिकन टूरिस्ट वीजा पर और आप मुझसे सवाल पूछते हैं कि क्या आप भारत में रहना चाहते हैं !

उसने कहा कि आप गिलगित-बाल्टिस्तान के बच्चों को आईआईटी , आईआईएम में दाखिला दीजिए, एम्स में हमारे लोगों का इलाज कीजिए , हमें यह लगे तो सही कि भारत हमारी चिंता करता है हमारी बात करता है । पाकिस्तान हमारा शोषण कर रहा है , हमारे हक-ओ-हकूक छीन चुका है , हमारी स्वायत्ता छीन चुका है लेकिन क्या भारत का सरकारी या गैर सरकारी मीडिया हमारी आवाज उठाता है , क्या कभी भारत के नेता हमारे पक्ष में कभी जुबान खोलते हैं , क्या अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर हमारे बारे में बोलते हैं |“ गिलगित के इस नेता का बयान क्या सच नहीं है | किसी कांग्रेस सरकार ने कभी  गिलगित-बाल्टिस्तान को पुनः भारत में मिलाने के लिए कोई बयान तक नहीं दिया , प्रयास करना तो बहुत दूर की बात है । अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान से वार्ता के समय भी पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय पीओके का मुद्दा उठाया गया | फिर 10 साल मनमोहन मोनी बाबा बने रहे , अलबत्ता शरमिल शेख में तो उन्होंने कश्मीर के आतंकवाद को बलूचिस्तान के आतंकवाद से जोड़ कर सेल्फ गोल कर लिया था | पहली बार गृहमंत्री अमित शाह ने प्रतिबद्धता ही जाहिर नहीं की अलबत्ता गिलगित-बाल्टिस्तान के आन्दोलनकारियों को खुला समर्थन देने की शुरुआत भी हो चुकी है | जबकि गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग लम्बे समय से पाकिस्तान के खिलाफ आन्दोलन कर रहे हैं |पिछले साल जिनेवा में यूएन.एच.आर.सी के 42वें सत्र में गिलगित-बाल्टिस्तान के सामाजिक कार्यकर्ता सेंज सेरिंग ने गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत का हिस्सा बताया था । उन्होंने कहा था , संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों को यह समझना होगा कि पाकिस्तान पिछले 70 सालों से एक बड़ी बाधा बना हुआ है।

2018 के पाकिस्तान के प्रसाशनिक आदेश के बाद से गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान के खिलाफ आन्दोलन तेज हो चुका है | इस आदेश में गिलगित-बाल्टिस्तान में एसेम्बली बनाने की बात कही गई थी | अब  पाकिस्तान सरकार के प्रशासनिक आदेश को ले कर पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट का एक फैसला आया है , जिस ने गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान का पांचवां प्रांत बनाने का रास्ता खोला है | आदेश में यह भी कहा गया है कि चुनाव की प्रक्रिया के दौरान पाकिस्तान सरकार वहां अस्थायी सरकार भी बनवा सकती है | असल में यह लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत नहीं है , अलबत्ता वहां की स्वायत्ता को समाप्त कर के इस क्षेत्र को पीओके से अलग कर के पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की कुटिल चाल है | इसलिए स्काट लैंड  में निर्वासित जीवन जी रहे अमजद अय्यूब मिर्जा ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है | उन्होंने कहा कि गिलगित बाल्टिस्तान अगर विवादित क्षेत्र है तो पाकिस्तान सरकार या पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट को क्या अधिकार है कि वह उसे पाकिस्तान में मिलाने का अवैध फैसला करे | भारत के विदेश मंत्रालय ने भी कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का हिस्सा है और उस पर पाकिस्तान की सुप्रीमकोर्ट को कोई फैसला करने का कोई हक नहीं | भारत की तरफ से इतनी कड़ी टिप्पणी पहले कभी जाहिर नहीं की गई थी |

 

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