सोनिया ने क्यों खड़ा किया राहत कोष का विवाद

Publsihed: 10.Apr.2020, 14:00

अजय सेतिया / कांग्रेस की ओर से सत्ता के दुरूपयोग की कहानियाँ बहुत गहरी हैं , इन में से कुछ कहानियाँ तो हमें पता हैं , लेकिन कुछ कहानिया सत्ता के गलियारों में पड़ी फाईलों में अभी तक कैद हैं | मोरारजी देसाई , वीपी सिंह , अटल बिहारी वाजपेयी और अब छह साल से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहने के बावजूद कुछ राज नहीं खुले हैं | जब किसी मुद्दे पर बात शुरू होती है , तो मुद्दे की फाईल खुलती है , तब जा कर राज खुलता है कि कांग्रेस सत्ता का अपनी पार्टी के लिए कैसे इस्तेमाल करती रही है | हम ने चरण सिंह , चन्द्र शेखर , देवेगौडा और गुजराल का जिक्र इस लिए नहीं किया क्योंकि चारों कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री बने थे |

पिछले साल देश उस समय हैरान रह गया था , जब खुलासा हुआ कि जलियांवाला राष्ट्रीय स्मारक के ट्रस्ट में सिर्फ एक राजनीतिक दल के अध्यक्ष को ट्रस्टी रखा गया है , और यह ट्रस्ट 68 साल से काम कर रहा था | 1951 में संसद से क़ानून बना कर बनाए गए गए ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष को स्थाई सदस्य बनाया गया था | ट्रस्ट में ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रधानमंत्री के बाद दूसरा नाम कांग्रेस अध्यक्ष था , जबकि संस्कृति मंत्री , लोकसभा का नेता प्रतिपक्ष , पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री का नाम भी कांग्रेस अध्यक्ष के बाद था |

मोदी सरकार ने 3 अगस्त 2019 को संसद में संशोधन बिल ला कर कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से बाहर किया तो कांग्रेस ने वाक आउट किया | वैसे मोदी चाहते तो लोकसभा में विपक्ष के नेता को ट्रस्टी बनाए रखने का प्रावधान जस का तस रख सकते थे , अगर ऐसा होता तो 2019 में कांग्रेस का कोई भी सदस्य ट्रस्टी नहीं रहता क्योंकि सौलहवीं लोकसभा में कांग्रेस को विपक्ष का दर्जा भी नहीं मिला था | लेकिन मोदी ने वहां विपक्ष के नेता शब्द की बजाए लोकसभा में सब से बड़े विपक्षी दल का नेता लिखवाया |

अब एक नया राज खुला है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में भी कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्टी बनाया हुआ है , यह ट्रस्ट 24 जनवरी 1948 में पाकिस्तान से आए शरणार्थियों की मदद के लिए बनाया गया था , जिसे बाद में प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए 72 साल से इस्तेमाल किया जा रहा है | यहाँ भी कांग्रेस अध्यक्ष का नाम प्रधानमंत्री के बाद दूसरे नम्बर पर और उप प्रधानमंत्री , वित्त मंत्री से पहले है | प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने उसी तरह अपने आदेश से इस ट्रस्ट को बनाया था, जैसे उन्होंने अपने आदेश से संविधान में 35 ए घुसेड दिया था |

कोरोना वायरस की आपदा से निपटने लिए राहत कोष में लोगों को अपील जारी करने से पहले जब ट्रस्ट की फाईल खोली गई तो यह राज खुला | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जलियांवाला बाग़ ट्रस्ट को लोकतांत्रिक बनाने के लिए क़ानून में संशोधन करवाया था , लेकिन प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष जवाहर लाल नेहरु के व्यक्तिगत आदेश से बना था , जिस की बाकायदा भारत सरकार के प्रेस सूचना केंद्र से विज्ञप्ति जारी हुई थी | मोदी चाहते तो अपने आदेश से कांग्रेस अध्यक्ष को ट्रस्ट से हटा सकते थे क्योंकि देश में कांग्रेस ही राजनीतिक दल नहीं है , बाकी दलों के अध्यक्ष क्यों सदस्य नहीं होने चाहिए |

प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसे समय में कोई विवाद खड़ा करने के बजाए कोरोना वायरस के लिए फिलहाल प्रधानमंत्री केयर नाम से नया फंड बना दिया , जिस के ट्रस्ट में प्रधानमंत्री के अलावा छह लोग रखे गए हैं | रक्षा मंत्री , गृह मंत्री , वित्त मंत्री के अतिरिक्त अनुसन्धान , स्वास्थ्य , विज्ञान , सामाजिक कार्य , क़ानून , जन प्रसाशन आदि से जुड़े कोई तीन विशेषग्य होंगे जिन्हें प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे | इस के अतिरिक्त विशेषज्ञों का दस सदस्यीय सलाहाकार बोर्ड होगा , लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री केयर बनाने पर आपत्ति जता कर खुद ही विवाद खड़ा कर दिया |

कांग्रेस के लिए गाईड लाईन तय करने वाले इतिहासकार रामचंद्र गुहा पहले ही पीएम केयर्स का विरोध कर चुके थे | उन्होंने कहा है कि जब पहले ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष है तो फिर पीएम केयर्स फंड बनाने की क्या जरूरत ? सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री से कहा है कि प्रधानमंत्री केयर का सारा पैसा पहले से बने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में ट्रांसफर किया जाए , लेकिन आने वाले समय में इस का उलटा हो सकता है | मोदी की अपील पर प्रधानमंत्री केयर में एक हफ्ते में ही प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से दुगनी राशि जमा हो चुकी है |  

 

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