अजय सेतिया / भाजपा ने राज्यपाल से मुलाक़ात के बाद मान लिया कि शिवसेना के साथ सरकार नहीं बन पा रही , इस लिए अब दुसरे कानूनी रास्ते खोजे जा रहे हैं | महाराष्ट्र में शिव सेना का इरादा एक बार राष्ट्रपति राज लगवाने का दिखता है ताकि देवेन्द्र फडनवीस के घमंड को तोड़ा जाए जिन्होंने चुनाव नतीजे आते ही खुद को मुख्यमंत्री घोषित कर दिया था | फडनवीस के इसी एक तरफ़ा बयानबाजी के कारण शिवसेना उन को किसी भी हालत में मुख्यमंत्री मानने को तैयार नहीं | शिवसेना की फडनवीस के खिलाफ जिद्द के चलते भाजपा के नेता नितिन गडकरी का नाम राजनीतिक गलियारों में उछला है , हालांकि नितिन गडकरी इस तरह की किसी सम्भावना से इनकार कर रहे है | मोदी और अमित शाह को अगर मजबूरी में अपने प्रतिनिधि देवेन्द्र फडनवीस को बदलना भी पड़ा तो नितिन गडकरी उन दोनों की वैकल्पिक पसंद नहीं हो सकते , क्योंकि नितिन गडकरी न सिर्फ कदावर नेता हैं , वह संघ के भी सर्वाधिक करीबी हैं, जो आगे चल कर उन के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं |
राजभवन में हुई बातचीत से साफ़ जाहिर है कि भाजपा लाचारी की स्थिति में आ गई है | विधानसभा चुनावों के चौदहवें दिन भी सरकार बनने के आसार नहीं दिखने के कारण अब राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत की भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता | 2014 में भी सरसंघ चालक मोहन भागवत ने शिव सेना को गठबंधन में लौटने को राजी किया था | पिछले तीन दिन से राजनेताओं का संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकातों का सिलसिला बढ़ गया है | हालांकि शिवसेना मोहन भागवत से किसी तरह के सम्पर्क से इनकार कर रही है , लेकिन शिवसेना के एक नेता ने मोहन भागवत को चिठ्ठी लिख कर संघ की भूमिका का रास्ता खोला है | देवेन्द्र फडनवीस संघ की भी पहली पसंद नहीं बताए जाते , चुनाव जीतने के बाद बारह दिन तक उन्होंने मोहन भागवत से मुलाक़ात नही की थी , लेकिन अब जब पेंच फंस गया है तो फडनवीस ने मंगलवार को मोहन भागवत से मुलाक़ात की | दो बार पहले भी मोहन भागवत से मुलाक़ात कर चुके नितिन गडकरी ने गुरूवार को फिर उन से मुलाक़ात की | खबर तो यहाँ तक है कि नितिन गडकरी को रेशम बाग़ से बुलावा आया था , जिस कारण वह सारे कार्यक्रम रद्द कर के नागपुर पहुंचे |
उधर 50-50 पर अड़ी शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को मुम्बई बुला कर रंग शारदा होटल में ठहरा दिया है , ताकि भाजपा उन के विधायकों का कर्नाटक के कांग्रेसी विधायकों की तरह अपहरण न कर सके | शिवसेना विधायक दल की बैठक में 50 – 50 फार्मूले की बात ही दोहराई गई है | अगर भाजपा 50-50 फार्मूले को लिख कर दे दे तो सम्भवत शिवसेना पहली टर्म में मुख्यमंत्री बनाए जाने की शर्त से पीछे हटने पर विचार कर सकती है , ऐसी सूरत में भी शिवसेना स्पीकर , आधे मंत्री और केंद्र में तीन मंत्री बनाने का वायदा चाहती है | दूसरी तरफ जिस तरह उद्धव ठाकरे के करीबी संजय राउत बार बार शिव सेना का मुख्यमंत्री ही बनने की बात कह रहे हैं , उस से लगता है कि शिवसेना ने वैकल्पिक फार्मूला भी तैयार किया है | वैकल्पिक फार्मूला मराठा राजनीति का है , जो शरद पवार की मजबूरी बन सकती है |
संजय राउत की जिस तरह शरद पवार से बार बार मुलाकातें हो रही हैं , उस से संकेत मिलता है कि वैकल्पिक फार्मूले में शरद पवार की सहमती है , लेकिन शिवसेना और एनसीपी की सरकार तब तक नहीं बन सकती , जब तक कांग्रेस की सहमती न मिले | शरद पवार और सोनिया गांधी की मुलाक़ात हो चुकी है , यह मुलाक़ात महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मुद्दे पर ही हुई थी , इस के बावजूद शरद पवार ने मीडिया को यह बताया कि शिव सेना की तरफ से किसी तरह का कोई प्रस्ताव ही नहीं दिया गया | उन का यह बयान कि शिव सेना और भाजपा को मिल कर सरकार बनानी चाहिए , उन की परिपक्व राजनीति का परिचायक है | इसे शिवसेना एनसीपी सरकार की सम्भावना को खारिज करने वाला नहीं समझा जाना चाहिए | असल में इस गठबंधन की बड़ी अडचन रामजन्मभूमि पर अगले हफ्ते होने वाला सुप्रीमकोर्ट का फैसला है , इस पर शिवसेना का रूख कांग्रेस की किरकिरी करवा सकता है | इस लिए वैकल्पिक फार्मूले पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद उत्पन्न हालातों के बाद ही विचार हो सकता है | शिवसेना ने इस लिए फिलहाल राष्ट्रपति राज लगने देने का विकल्प खोल लिया है |
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