अजय सेतिया / अब एक नए तरीके की बहस भी चल निकली है कि लाक डाउन लम्बा चला तो देश की आर्थिकी का बंटाधार हो जाएगा | हालांकि आर्थिकी को कंट्रोल करने के लिए वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बनी टास्क फ़ोर्स पहले ही अनेक बड़े कदम उठा चुकी है | कोरोना वायरस की महामारी से निपटने को ले कर सरकार की भूमिकाओं को दो तरह से देखा जा रहा है, सरकारों को मनुष्य की चिंता ज्यादा करनी चाहिए या आर्थिकी की |
अमेरिका , जहां एक एक व्यक्ति की जान बचाने के लिए हवाई एम्बुलेंस का इस्तेमाल किया जाता है , वहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आर्थिकी को महत्व दिया था तो 6 अप्रेल सुबह तक 336 ,776 लोग कोरोनावायरस से पीड़ित हो चुके हैं और 9655 मौते हो चुकी हैं | जब कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्रम्प के उल्ट भारत में मानवीय जीवन को आर्थिकी पर ज्यादा तरजीह दी , जिस का नतीजा यह निकला है कि भारत में अब तक सिर्फ 4314 ( हालांकि भारत सरकार का आंकडा 4066 है ) प्रभावित और 118 मौतें हुई हैं | इस के लिए दुनिया भर में भारत की तारीफ़ हो रही है कि मानवीय जीवन को बचाने के लिए उस की भूमिका उल्लेखनीय है |
अब ट्रम्प को भी मोदी का रास्ता अख्तियार करना पड़ा है और वहां भी लाक डाउन शुरू हो चुका है , लेकिन अमेरिका भी वही गलती कर रहा है , जो शुरू में इटली ने की थी | अमेरिका में कोरोना वायरस का पहला केस 20 जनवरी को आया , भारत में 30 जनवरी को और इटली में 31 जनवरी , हालांकि इटली में पहली मौत 20 फरवरी को हुई | इन तीनों ही देशों में कोरोना वायरस वुहान से लौटे मध्य आयु के लोगों में पाया गया था | सवाल पैदा होता है कि जब भारत में 65 दिनों में सिर्फ 4314 केस और 118 मौतें हुई तो इटली में सिर्फ 45 दिनों में 1,28 , 948 केस और 15887 मौतें क्यों हुई | इस की सब से बड़ी वजह है भारत का समय से पूर्व जाग जाना |
भारत ने 22 मार्च को लाक डाउन का पहला प्रयोग कर लिया था और 24 को पूर्णत: लाक आउट किया , जबकि इटली ने 27 मार्च को पूर्णत: लाक आउट किया , उस से पहले पूर्णत: लाक आउट नहीं था | मेडिकल सुविधाएं उतनी तेजी से काम नहीं करती , जितनी जल्दी से लाक आउट काम करता है | यह बात अमेरिका और इटली को बाद में समझ आई और भारत को पहले समझ आई | अगर तबलीगी जमात के प्रभावित 1445 निकाल दें तो भारत में 65 दिन में सिर्फ 2869 केस हुए | 24 मार्च की रात से शुरू हुआ 21 दिन का लाक आउट 14 अप्रेल आधी रात को खत्म होना चाहिए , लेकिन अब सवाल यह है कि मोदी लाक आउट खत्म करने का जोखिम उठाएंगे क्या |
केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर से जब सोमवार को पूछा गया कि 15 अप्रेल से लाक डाउन खुल जाएगा क्या ? तो उन्होंने कहा-" हर मिनट दुनिया की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं | राष्ट्रहित में निर्णय लिया जाएगा | सही समय आने पर इस बारे में फैसला लिया जाएगा और आप लोगों को जानकारी दे दी जाएगी |" वैसे आप उन के इस बयान से भी अंदाज लगा सकते हैं कि लाक आउट पूर्णत: नहीं खुलने वाला | यूपी के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी के इस बयान से अंदाजा लगा लीजिए -" हम यह सुनिश्चित करने के बाद ही लॉकडाउन खोलेंगे कि राज्य कोरोना मुक्त है | अगर एक भी व्यक्ति संक्रमित है तो यह बहुत मुश्किल होगा और इसलिए लॉकडाउन के खत्म होने की संभावना कम है |"
कम से देश के 80 प्रभावित जिले तो पूरी तरह लाक किए ही जाएंगे | हाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार देश के बाकी जिलों में पांच दिन के लिए कुछ ढील दी जा सकती है | अब जब कि आल आउट का चौदहवा दिन है तो मोदी सरकार ने कोरोना संकट को देखते हुए सारे सांसदों के वेतन में एक साल तक 30 प्रतिशत की कटौती का अध्यादेश जारी कर के और दो साल की सांसद निधि बंद करवाने पर सभी दलों में सहमति बनवा कर संकेत दे दिया है कि अभी संकट टला नहीं , जल्दी से टलने के आसार भी नहीं | लोगों की धडकने बढ़ रही हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 या 14 की रात को टीवी पर आ कर क्या कहेंगे |
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