आत्महत्या के रास्ते से वापस लौटा ट्विटर

Publsihed: 05.Jun.2021, 19:56

अजय सेतिया / ट्विटर का मोदी सरकार से झगड़ा चरम पर पहुंच गया है | शनिवार को सरकार ने नियमों के अनुपालन का आख़िरी नोटिस थमा दिया है | कांग्रेसी और कम्युनिस्ट ट्विटर का बचाव कर रहे हैं | बिलकुल उसी तरह जैसा कोरोना वायरस और गलवान घाटी में घुसपैठ पर चीन का बचाव कर रहे हैं | वैसे तो भारत सरकार ने सोशल मीडिया के के नए नियम 2020 में बना कर लागू  किए थे | लागू करने की आख़िरी तारीख 26 मई 2021 थी | ट्विटर ने भारत सरकार के नियमों की अनदेखी की | किसी नोटिस का जवाब तक नहीं दिया | जब यह चल ही रहा था , तभी कांग्रेस की टूलकिट सामने आ गई | भाजपा के प्रवक्ता संबित महापात्रा ने टूलकिट जारी की | उसे ट्विटर हेंडल पर भी डाला | देखते ही देखते टूलकिट वायरल हो गई | इस टूलकिट में मोदी को बदनाम करने की रूपरेखा थी | कांग्रेस उसी तरह टूलकिट से मुकर गई , जैसे राहुल गांधी की चीन के राजदूत से मुलाक़ात पर मुकरी थी | अपने सम्बन्धों और विचारधारा का फायदा उठा कर कांग्रेस ने ट्विटर से संबित पात्रा के ट्विट पर फेक मीडिया लिखवा दिया | वहीं से विवाद बढ़ गया | कांग्रेस खुल कर ट्विटर के साथ और भाजपा ट्विटर के खिलाफ | ट्विटर का भारतीय दफ्तर सरकार के किसी नोटिस का जवाब ही नहीं दे रहा था | जैसे ट्विटर भारत में सुपर सरकार बन गया हो | ट्विटर के भारतीय अधिकारी साफ़ कह रहे थे कि नोटिस अमेरिका भेजो | पुलिस ट्विटर के गुडगाव दफ्तर में नोटिस देने पहुंची | तो अपन ने टीवी डिबेट में कांग्रेसियों वामपंथियों को खुलेआम ट्विटर का पक्ष लेते देखा |

इतिहास के वे पन्ने याद करो , जब ईस्ट इंडिया कम्पनी भारत आई थी तो भारत के ही कई लोग कम्पनी की पे-रोल पर हो गए थे | आखिर भारत मुगलों के बाद अंग्रेजों का गुलाम हो गया | अब सोशल मीडिया के जरिए भारत में सुपर हकूमत बनने की कोशिश हो रही है | चीन ने अपने देश में ट्विटर को घुसने तक नही दिया | नाईजीरिया जैसे छोटे देश ने ट्विटर को बैन कर दिया , जब उस ने नाईजीरिया के क़ानून को नहीं माना | पर भारत में विपक्ष किस तरह एक विदेशी सोशल मीडिया के हाथों में खेल रहा है | वह समझता है कि सत्ता में उस की वापसी में ट्विटर फेसबुक अहम भूमिका निभा सकते हैं | जैसे मोदी ने 2014 में सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया | वैसे ही वे भी इस्तेमाल कर सकते हैं | लेकिन वे अपनी पुरानी कहावत भूल जाते हैं – काठ की हांडी बार बार नहीं चढती | विपक्ष की शह पा कर ट्विटर बाकायदा भारत सरकार से लड़ने के मूड में है | शनिवार सुबह उस ने उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के ट्विटर हेंडल से ब्ल्यू टिक हटा दिया | वैसे ब्लू टिक का कोई ख़ास मतलब नहीं | मतलब सिर्फ इतना है कि यह अकाउंट वेरीफाईड है , फेक नहीं है | वरना जाने पहचाने लोगों के नाम पर फेक अकाउंट बना कर कोई कुछ भी लिख सकता है | सवाल पैदा होता है कि जब ट्विटर खुद किसी अकाऊंट को वेरीफाई कर चुका होता है , तो उसे फिर अन-वेरिफाईड कैसे किया |

उपराष्ट्रप्ति भारत में दूसरा बड़ा संवैधानिक पद है | यह सीधे सीधे भारत के संविधान ,संसद और सरकार को चुनौती थी | कुछ दिन पहले कम्युनिस्ट विरोधी कंगना रानावत का अकाऊंट उडा दिया गया था | यह वामपंथी ट्विटर की विरोधी विचारधारा को चुनौती की शुरुआत थी | ट्विटर के जरिए भारत और दुनिया के अन्य देशों में फेल कम्युनिज्म का प्रचार किया जा रहा है | ट्विटर ने खुद वामपंथी विचारधारा के नजदीक होना स्वीकार किया है | शनिवार सुबह सिर्फ उप राष्ट्रपति का नहीं , अलबता सरसंघ चालक मोहन भागवत , पूर्व सर कार्यवाह सुरेश भैया जी जोशी , सह सर कार्यवाह अरुण कुमार की ब्ल्यू टिक भी हटाई गई | लेकिन जब विरोध शुरू हुआ तो ट्विटर अधिकारियों की आँखे फटी रह गई | उधर मोदी सरकार ने अंतिम नोटिस थमा दिया | शाम तक ट्विटर को अहसास हो गया कि यह कदम आत्महत्या की ओर बढने वाला है | इस लिए एक एक कर सब ब्ल्यू टिक वापस | ट्विटर अभी भी नहीं समझा | भारत के कानूनों को नहीं माना तो मोदी सरकार चीन के अनेक एपोन की तरह ट्विटर का भी सर कलम करने से पीछे नहीं हटेगी | |

ट्विटर कितनी खतरनाक भूमिका निभा रहा है , उसे भी समझना होगा | इसे एक उदाहरण से समझ सकते हैं - 23 अप्रेल 2013 में एसोसिएटिड प्रेस ने ट्विटर पर एक ट्विट डाला था | जिस में लिखा था कि व्हाईट हाउस में दो बम विस्फोट हुए हैं | पांच मिनट में 4000 लोगों ने इस खबर को रि-ट्विट किया | जबकि यह फेक न्यूज थी | सीरिया के आतंकवादी हैकरों ने एपी के ट्विटर हेंडल को हेक कर के यह खबर डाली थी | इसी तरह 2019-20 में भारत में भी नागरिकता संशोधन क़ानून को ले कर झूठी अफवाहें उड़ा कर दंगे करवाए गए थे |

 

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