क्या पाकिस्तान की पत्रकारिता हम से बेहतर है

Publsihed: 05.Oct.2019, 01:06

अजय सेतिया / पाकिस्तान के टीवी चेनलों को देख कर लगने लगा है कि पाकिस्तान की पत्रकारिता हम से बेहतर होने लगी है | वह इस लिए कि पाकिस्तान के मंत्रियों को सामने बैठ कर उन की धुनाई की जाती है | मंत्री भी उसी तीखे अंदाज में जवाब देते हैं या सवाल से कन्नी काट लेते हैं , लेकिन इंटरव्यू से उठ कर नहीं जाते | यानी दोनों तरफ से पेशेवाराना ईमानदारी बनी हुई है , पेशेवाराना ईमानदारी यह है कि पारदर्शिता का सम्मान | शुक्रवार को पाकिस्तानी न्यूज चेनल एक्सप्रेस न्यूज के एंकर जावेद चौधरी की सिर्फ साढे बारह मिनट की क्लिपिंग भारत और पाकिस्तान के राजनीतिक और मीडिया सर्कल में चर्चा का मुद्दा बन गई, जिस में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और चौधरी में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की विफलता पर तू-तू-, मैं-मैं की नौबत आ गई |  

भारत में कोई न्यूज चेनल ऐसा नहीं कर रहा , जो कोई न्यूज एंकर ऐसा करता है , मंत्री उस के सामने बैठने को तैयार ही नहीं होते | मंत्रियों की बात तो छोडिए विपक्ष के नेता भी अपने विरोधी एंकरों के तीखे सवालों का जवाब देने की बजाए कन्नी काट लेते हैं | पिछले करीब तीन साल से कांग्रेस ने उन तीन न्यूज चेनलों का बायकाट कर रखा है , जो गांधी परिवार के नेतृत्व पर सवाल उठाते हैं | नरेंद्र मोदी का भी सात साल पुराना सार्वजनिक सवाल-जवाब का एक वीडियो चर्चा में रहता है , जिस में एक एंकर के तीखे सवालों से तंग आ कर खुल कर उन्होंने सामने बैठी अखबार की मालकिन से कह दिया था कि कोई एंकर अगर तय मुद्दे से हट कर अपने एजेंडे पर सवाल करे तो मालकिन को तय करना चाहिए कि उन्हें कैसे एंकरों से इंटरव्यू करवाना है | इसी तरह मोदी का एक ऐसा इंटरव्यू भी हुआ था , जिस में वह बीच इंटरव्यू में उठ कर चले गए थे | 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण की जैसी चीर-फाड़ पाकिस्तान में हो रही है , वैसी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण की नहीं हो रही, मीडिया में भारत के प्रधानमंत्री के भाषण की चर्चा होउडी-मोदी कार्यक्रम में दिए भाषण की हो रही है | इस का कारण यह है कि मोदी ने होउडी –मोदी कार्यक्रम का इस्तेमाल पाकिस्तान और इमरान खान के खिलाफ बोलने के लिए किया और इमरान खान ने संयुक्त राष्ट्र में दिए गए भाषण में भारत और मोदी के खिलाफ जहर  उगला | कश्मीर- इस्लाम-मुस्लिम की आवाज उठाने पर इमरान खान का जम कर स्वागत हुआ और चार दिन तारीफ़ भी हुई , लेकिन अब पाकिस्तान का हर एंकर पूछ रहा कि तक़रीर तो अच्छी थी , पर हासिल क्या हुआ | लगभग सभी न्यूज चेनल का मुद्दा अब यही है | कोई भी चेनल या एंकर इमरान की अच्छी तक़रीर के कसीदे नहीं पढ़ रहा | 

दूसरी तरफ भारत को करीब करीब सभी ने नसीहत दी कि वह पाकिस्तान के साथ मिल बैठ कर बातचीत से कश्मीर का मसला हल करे | किसी ने खुल कर यह नहीं कहा कि 370 भारत के संविधान का हिस्सा है , वह भारत ने खुद अपने संविधान में रखा था , संयुक्त राष्ट्र के कहने पर नहीं , तो इसे संयुक्त राष्ट्र में क्यों उठाया जा रहा है | तो हमे समर्थन कहाँ मिला , क्या हम यह किसी भी देश से यह कहला सके कि संयुक्त राष्ट्र का प्रस्ताव आउट डेटिड   हो चुका है , अब उस का कोई मतलब नहीं | इस के बावजूद हम संयुक्त राष्ट्र में अपनी जीत समझ रहे हैं | पाकिस्तान में प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री से खुल कर पूछा जा रहा है कि उन्होंने इस्लाम, मुसलमान और कश्मीर की तीखी तकरीर दे कर क्या हासिल किया | शाह महमूद कुरैशी से जावेद चौधरी की तकरार इसी बात पर हुई | जब जावेद ने पूछा कि आप ने 58 देशों के समर्थन का दावा किया था , आप को समर्थन तो तीन देशों का नहीं मिला | तो कुरैशी इस बात पर भडक गए , उन्होंने कहा कि आप किस के एजेंडे पर काम कर रहे हैं | कुरैशी ने कहा कि उन्होंने न तो 58 देशों के समर्थन का बयान दिया न ट्विट किया | इस पर जावेद ने कहा कि उन्होंने इमरान खान का ट्विट जारी किया था , कुरैशी ने उन्हें चुनौती दी कि वह उन का ट्विट दिखाएं ,इमरान खान का नहीं | जावेद चौधरी ने इंटरव्यू के दौरान ही ट्विट की कापी मंगवा कर उन के हाथ में दी , इस के बावजूद इंटरव्यू जारी रहा | 

 

 

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