दिल्ली में मोदी से सवा सेर निकले योगी

Publsihed: 03.Feb.2020, 23:01

अजय सेतिया / लगता है नरेंद्र मोदी ने दिल्ली विधानसभा के पिछले दो चुनावों से सबक सीखा है | उन्होंने चुनाव अभियान की बागडोर अमित शाह और योगी आदित्या नाथ को थमा दी | सोमवार को वह चुनाव मैदान में उतर भी , तो उतने हमलावर नहीं थे , जितने पहले हुआ करते थे | या तो उन पर से बजट का नशा अभी उतरा नहीं था , या वह मान कर चल रहे हैं कि बजट की कुछ अच्छी बातें दिल्ली के वोटरों को प्रभावित करेंगी | उन्होंने उन आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का जिक्र किया , जो केजरीवाल ने दिल्ली में लागू नही की | हालांकि दिल्ली का मध्यम वर्ग बजट से कटी उत्साहित नहीं है , क्योंकि बजट उन की उम्मींदों पर खरा नहीं उतरा | आयकर में सलीके से कोई रियायत दी होती , तो दिल्ली के वोटर जरुर प्रभावित होते |

भले ही तीन दशक पहले की तरह दिल्ली अब सरकारी कर्मचारियों वाला शहर नहीं रहा | बड़े पैमाने पर बिहारियों और पूर्वांचलियों ने दिल्ली की डेमोग्राफी को बदल दिया है | कभी में पंजाबियों और बनियों का अधिपत्य था , तीन दशक पहले समीकरण बदल गए , तो भाजपा सो रही थी | कांग्रेस ने यूपी की शीला दीक्षित को ला कर हरियाणा की सुषमा स्वराज को चारो खाने चित कर दिया था | भाजपा उस के बाद भी नहीं सम्भली , उस ने दिल्ली में उभर रहे कीर्ती आज़ाद और उन की पत्नी को पहले दिल्ली छोड़ने पर मजबूर किया और बाद में तो वह भाजपा ही छोड़ गए | मनोज तिवारी आज भी कीर्ति आज़ाद का विकल्प नहीं बन पाए कि वह दिल्ली के बिहारी वोटरों को प्रभावित कर सकें | इस लिए पूर्वांचल के वोत्रोंको साधने के लिए मोदी ने दो सीटें नीतीश कुमार को दी |

मोदी ने अपने भाषण में बिहारी और पूर्वांचल के वोटरों को लुभाने के लिए नीतीश कुमार के भाषण का वह अंश दोहराया , जिस में केजरीवाल पर हमलावर रूख अपनाते हुए नीतीश कुमार ने कहा था कि बिहार से आने वाली बसों को दिल्ली में एंट्री नहीं दी जा रही | मोदी ने याद दिलाया कि केजरीवाल ने एक बार कहा था कि बिहारी 500 रुपए का टिकट लेकर दिल्ली आते हैं और पांच लाख का मुफ्त इलाज करवा कर लौट जाते हैं | बजट के नुक्ते गिनाने से फुर्सत मिली तो मोदी ने शाहीन बाग़ का रुख किया और दिल्ली की जनता को सचेत किया कि इन्हें अभी रोकना होगा , अभी नहीं रोका तो ये जब चाहेंगे कोई भी सडक जाम कर देंगे | ये बात तो संविधान की करते हैं , दुनिया को संविधान सीखाते हैं ,  लेकिन बात सुप्रीमकोर्ट की भी नहीं मानते |

मोदी के निशाने पर केजरीवाल जरुर था | अमित शाह और योगी आदित्यनाथ की तरह शाहीन बाग़ भी एजंडे पर था , लेकिन मोदी उतने हमलावर नहीं थे , जितने तीन दिन से योगी हैं | योगी के आगे तो अमित शाह भी फीके पड गए | योगी का अंदाज-ए-बयां ही अलग है , वह भाजपाई भीड़ का मिजाज समझते हैं | इस लिए वह उनके मिजाज के अनुसार ही बोलते हैं , इसलिए मोदी मोदी के साथ साथ योगी योगी के नारे भी लगते हैं | मुसलमानों  का जिक्र भी नही करते , किसी को समझने में दिक्कत भी नहीं होती | कावड यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जो उस में बाधा डालेगा , और वह बोली से नहीं समझा तो उसे गोली से समझा देंगे |

जो मोदी और अमित शाह नहीं बता पाते , लेकिन हर कोई जानता है कि शाहें बाग़ वालों का दर्द नागरिकता क़ानून नहीं , बल्कि दर्द राम जन्मभूमि का है, तो उसे बेझिझक योगी बता रहे हैं  | वह अपने हर भाषण में पाकिस्तान के मंत्री फवाद हुसैन का कुनेकशन केजरीवाल से जोड़ते हुए योगी कहते हैं कि केजरीवाल शाहीन बाग़ में ब्रियानी खिला रहे हैं और पाकिस्तान के मंत्री केजरीवाल की तारीफ़ कर रहे हैं कि वह अच्छा कर रहे हैं | इस तरह उन्होंने एक तीर से दो निशाने = साध दिए , एक तरह से उन्होंने कह दिया कि शाहीन बाग़ का धरना पाकिस्तान के इशारे पर भारत तोड़ने के लिए हो रहा है और भारत के मुसलमान उन का साथ दे रहे हैं | यह बात भाजपाई हिन्दू भीड़ अच्छी तरह समझती है और जम कर योगी योगी के नारे लगते हैं | योगी के भाषण हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण को इतना तेज कर रहे हैं कि केजरीवाल के कैम्प में दहशत फ़ैल गई है | आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने चुनाव आयोग को धमकी दे दी कि अगर योगी के भाषणों पर रोक नहीं लगाई गई तो वह धरना देंगे |

 

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