यूपी-उत्तराखंड के ब्राहमणो पर असर करेंगे एन.डी.तिवारी 

Publsihed: 18.Jan.2017, 22:22

तो आ गए एन.डी.तिवारी भी बीजेपी में . हफ्ते भर से बात चल रही थी. जब सोमवार को यशपाल आर्य बीजेपी में आए  . अपन ने तभी लिख दिया था,अब एन.डी.तिवारी की बारी.  तिवारी ने तीसरी बार दलबदल किया.  शुरु में वह सोशलिस्ट पार्टी में थे. 1952-57 के दो चुनाव प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की टिकट पर लडे और जीते.  फिर कांग्रेस में आए. नरसिंह राव के जमाने में कांग्रेस छोड अर्जुन सिंह के साथ मिल कर तिवारी कांग्रेस बनाई.  फिर जब सीता राम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष बने तो कांग्रेस में लौटे.  यो तिवारी को  बीजेपी में आना तो मंगलवार को था. पर तिवारी कुछ ज्यादा मांग रहे थे.  बीजेपी के पास कुछ ज्यादा देने को बचा ही नहीं था. सो बुधवार को बीजेपी में आ गए. तिवारी के लिए बीजेपी में अब कुछ नहीं बचा. बीजेपी 75 साल की लिमिट तय कर चुकी.  जब आडवाणी-जोशी-शांता-यशवंत मार्ग दर्शक मंडल में चले गए. जब कलराज मिश्र और प्रेम कुमार धूमल को रिटायर करने की तैयारी.  जब कोशियारी और खंडूरी उत्तराखंड के मार्गदर्शक . तो 93 साल के तिवारी का क्या काम. तिवारी के बीजेपी में आने का मनोवैज्ञानिक प्रभाव पडेगा. जैसे भगवत झा आज़ाद के बीजेपी में आने का बिहार में पडा था. अपन ने लिखा था-" सब से पहले उत्तराखंड कांग्रेसमुक्त  होगा ." तो हो रही है ना कांग्रेसमुक्त . अब समझ आने लगा कि राजीव-सोनिया ने हरीश रावत को बर्फ में लगा रखा था.  हरीश रावत के सीएम बनते ही उत्तराखंड में कांग्रेस के परखचे उड गए.  अपन इसे ठाकुर-ब्राह्मण की कशमकश या लडाई न भी माने. तो भी ठाकुर हरीश रावत की कार्यशैली ब्राह्मणो को नहीं जंची.  ठाकुरो को भी कहाँ जंची . गढवाल के दिग्गज ठाकुर सतपाल महाराज सब से पहले निकले. दूसरी खेप में हरक सिंह रावत की रहनुमाई में ब्राह्मण-ठाकुर-बनिए सब आए. ठाकुर-ब्राहम्णो के बाद अब तो दलित भी बीजेपी में आ गए. अपन ने राजस्थान के एक दिग्गज कांग्रेसी नेता को फोन पर यशपाल आर्य का बीजेपी में आना बताया . तो वह मानने को तैयार नहीं हुए. वह समझते थे. कुमाऊ से हरीश रावत 20 सीटे ले आएंगे. गढवाल से 15 ही चाहिए होंगी. पर जैसे उन ने यशपाल का बीजेपी में जाना सुना. उन की उम्मींदो पर पानी फिर गया. यो 2012 के नतीजे छोड दे ,तो कुमाऊ में कांग्रेस का पलडा भारी रहा. नारायण दत्त तिवारी ठहरे कुमाऊ के ब्राह्म्ण . इस लिए कांग्रेस का पलडा भारी रहता था. पिछले चुनाव में तिवारी पिक्चर में नहीं थे. बीजेपी ने ब्राह्मण भुवन चंद्र खंडूरी को जरुरी बताया. तो कुमाऊ के ब्राहमणो ने बीजेपी को 29 में से 16 सीटे दी. अब तो तिवारी , खंडूरी , निशंक और बहुगुणा  सारे पूर्व ब्राहमण सीएम बीजेपी में . गढवाल के बडे ठाकुर नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत, सतपाल  रावत (महाराज) हरक सिंह रावत, तीर्थ सिंह रावत सब बीजेपी में .  कुमाऊ के महाठाकुर भगत सिंह कोशियारी बीजेपी में . कुमाऊ के ब्राहमण नारायण दत्त तिवारी, अजय भट्ट , प्रकाश पंत सब बीजेपी में . हरीश रावत के साथ गढवाल के ब्राहमण किशोर उपाध्याय कोई कदावर नेता नहीं.  वह भी हरीश रावत के साथ नहीं, अलबत्ता कांग्रेस के साथ. कुमाऊ से सिर्फ एक ब्राहमण इंदिरा हृदेश ही बची रह गई. प्रदेश के बडे दलित नेता यशपाल आर्य भी बीजेपी के हो गए. बीजेपी ने ब्राहमण-ठाकुर-दलित का गठबंधन बना लिया. कांग्रेस के पास क्या बचा- ठुन-ठुन गोपाल. सो हरीश रावत कांग्रेस पर बहुत भारी पडेंगे. हालांकि टिकट बंटवारे के बाद बगावत के सुर उभर रहे.  पर जातीय समीकरणो का फायदा बीजेपी को मिलना तय. बीजेपी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं. तिवारी उत्तराखंड ही नहीं यूपी में भी काम आएंगे. यो तिवारी के मुलायम के साथ बेहतरीन रिश्ते . अखिलेश ने भी तिवारी को लखनऊ में घर देकर खुश किया.  पर तिवारी जब बीजेपी में शामिल हो गए. तो उन्हे यूपी में जाना होगा. कांग्रेस ने यूपी के ब्राहमणो के बूते ही तो शीला दीक्षित को प्रोजेक्ट किया था. तिवारी तो शीला से बडे ब्राहमण नेता. शीला वैसे भी तस्वीर से बाहर हो चुकी. कांग्रेस ने शीला को प्रोजेक्ट कर के अचानक बेआबरू कर दिया. वह मुह्न लटका कर यूपी से लौट चुकी. कांग्रेस साईकिल के  कैरियर पर बैठ गई. राहुल गांधी की राजनीति का जवाब नहीं. उस दिन तालकटोरा में "वेदना" प्रकट करते हुए कह रहे थे-" 2019 में कांग्रेस आएगी, तब आएंगे अच्छे दिन. " हफ्ते भर बाद कांग्रेस साईकिल पर बिठा दी. पर अपन बात कर रहे थे नारायण दत्त तिवारी की. जो अपने पुत्र रोहित शेखर को ले कर बीजेपी में आए. उत्तराखंड के किसी कांग्रेसी नेता की जुबान नहीं खुली . पर यूपी के ब्राहमण कांग्रेसी नेता प्रमोद तिवारी का बयान जरूर आया. उन ने कहा -" तिवारी होश में नहीं हैं. वह अपने जैविक पुत्र  को राजनीति में स्थापित करना चाहते हैं." तिवारी ने प्रमोद तिवारी को इग्नोर करते हुए कहा- " उसे इग्नोर करो. मैं पूरे होशहवास में हूं . मेरी हालत बिल्कुल ठीक है . मैं क्या कर रहा हूं मुझे पता है। " पर रोहित ने प्रमोद पर पलट वार किया. उनने कहा-" क्या प्रमोद तिवारी खुद अपने बच्चों को जैविक बच्चे कहते हैं. यह महज मेरा अपमान ही नहीं . अदालत की भी अवमानना है . जो लोग मेरे  पिताजी को देखने कभी नहीं आए. कभी उनकी हेल्थ के बारे में नहीं पूछा . वह आज उनकी दिमागी हालत खराब बता रहे हैं. " लगता है बीजेपी में आसरा मिलते ही रोहित ट्रेंड हो गए. उन ने प्रमोद  तिवारी को कांग्रेस का  डर्टी वर्क्स डिपार्टमेंट कह डाला. पर दलबदल के मौसम में एन.डी.तिवारी का बयान बेहद महत्वपूर्ण . जब उन से पूछा- " वह बुढापे में कांग्रेस छोड भाजपा में क्यो आ गए ?" तिवारी ने कहा‌- " बीजेपी और कांग्रेस में अब कोई बुनियादी फर्क नहीं." 

आपकी प्रतिक्रिया