चुनाव आ गए . तो ची-ची करने वाले भी आ गए . साक्षी महाराज ने ऐसा क्या कहा था. जो बवाल हुआ. साल भर पहले जो अभिव्यक्ति की आज़ादी मांग रहे थे. वही साक्षी महाराज से अभिव्यक्ति की आज़ादी छीनना चाहते हैं. जो अपन ने टीवी चैनलो पर सुना. वही तो आप ने भी सुना होगा. वह मेरठ के शनिधाम मंदिर में बोल रहे थे. सुनने वाले भी सारे साधु-संत ही थे. संत समागम जो था. उन ने कहा- बच्चो का भविष्य बेहतर कैसे बने. सब से बडी समस्या तो आबादी है. जो सुरसा के मुह्न की तरह बढ रही. चार बीवी , चालीस बच्चो का जमाना नहीं रहा. अब बताईए इस में क्या गलत है. पर पिल पडे सारे अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले. उन ने दूसरी बात कही. बच्चा एक हो या चार. पर एक सख्त कांनून बने. कानून सब के लिए एक-सा हो. सब पर लागू हो. अब बताओ इस में क्या गलत है. कोई साम्प्रदायिक बात कही क्या. पर इसी बात पर अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले लगे बड-बड करने. उन ने जो आगे कहा. वह अपन उन के शब्दो में हू-ब-हू लिख रहे. उनने कहा -" वो कहते हैं,हिंदु घटा तो देश बटा." अब वो कौन है, वह तो अपन को पता नहीं. पर उन ने कोई नया शोध नहीं किया. हिंदू है कौन. सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला कर चुका. सुप्रीम कोर्ट ने कहा-"हिंदू इस देश की जीवन पद्ध्ति है. संस्कृति है." हिंदुओ की कोई एक पूजा पद्धति नहीं. हिंदू घटा का मतलब क्या है. मतलब है - देश की जीवन पद्ध्ति पर हमला हुआ. तो देश बटा. और ये भी "वो" कहते हैं. अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले मानते हैं. साक्षी महाराज ने ये जो "वो" कहा है. वही साम्प्र्दायिकता है. चुनाव आयोग को शिकायत हो गई. चुनाव आयोग ने नोटिस भेज दिया. आयोग साक्षी महाराज से पूछेगा- "ये वो कौन है ? " अब इस का जवाब अनाडी से अनाडी जानता है . पर मूल सवाल है बढती आबादी का. आबादी पर कंट्रोल नहीं. सब समस्यायो का मूल वही है. तो क्या कोई कानून बनना चाहिए या नहीं. या अभिव्यक्ति की आज़ादी की तरह बेलगाम ही रखा जाए. मजेदार बात तो यह है. ये अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले सारे चीन के हिमायती . और चीन आबादी पर लगाम का हिमायती. साक्षी महाराज ने वही तो कहा. जो उन के प्रिय चीन में पहले से लागू. उन ने कहा -" अब चार बीवी और चालीस बच्चे का वक्त नहीं रहा . अब ये नहीं चलेगा. माताएं कोई मशीन नहीं है." बताईए इस में क्या गलत है. बस उन से एक गलती हुई. तो यह हुई कि उन ने तीन तलाक का मुद्दा उठा दिया. हिंदू हो कर उन्हे समाज सुधार की बात नहीं करनी चाहिए. हिंदू मंच से तो बिलकुल नहीं. साक्षी महाराज का यह बयान राजनीतिक था. जी हाँ . समाज सुधार की बात करना अब राजनीति होता है. यह वोटो का साम्प्रदायिक-करण है. हिंदू यानि इस देश का हर बाशिंदा . अब इस बात पर अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले चिढेंगे. बात बात पर सविधान की बात करेंगे. बात बात पर कानून झाडेंगे. बात बात पर सुप्रीमकोर्ट के फैसले पेलेंगे. पर जब इसी सविधान,इसी कानून, इसी सुप्रीमकोर्ट से अफजल गुरु को फांसी होगी. तो नहीं मानेंगे. यही संविधान,यही कानून,यही सुप्रीमकोर्ट हिंदू को जीवन पद्ध्ति बताएगा. तो नहीं मानेंगे . इस देश की जीवन पद्ध्ति में तीन तलाक कभी नहीं था. यह देश के बाहर की जीवन पद्ध्ति का है. यही बात साक्षी महाराज ने कही. जब इस जीवन पद्ध्ति पर हमला होगा. तो देश बंटेगा. बताओ क्या गलत कहा. उन ने कहा-" तीन तलाक को समाप्त करने का समय आ चुका . और मोदी इस बात को लेकर आगे बढ़ गए है .और ये बहस छिड़ गई है .औरत मशीन नहीं .तीन तलाक बंद करने का कानून बनना चाहिए." अपने एक मित्र हैं युसुफ अंसारी. अपने साथ नवज्योति में थे. फिर लम्बा समय जीटीवी में रहे. उन ने एक आर्टिकल लिखा-" आलिम नही,जालिम हैं तीन तलाक के पैरोकार" http://indiagatenews.com/SUPORTER-OF-TRIPLE-TALAQ-ARE-NOT-SCOLER-THEY-A… . तो क्या युसुफ अंसारी भी साम्प्रदायिक्ता फैला रहे. हाँ साक्षी महाराज ने एक बात और साम्प्र्दायिक कह दी. उन ने कह दिया-" मोदी गौ हत्या और कत्लखाने बंद नहीं करेंगे. तो श्वेत क्रांति का सपना कैसे पूरा होगा." यह सवाल मोदी पर है. पर पेट में दर्द अभिव्यक्ति की आजादी वालो के हो रहा. मूल सवाल चुनाव आयोग का. चुनाव आयोग क्या करेगा. कोई चंडूखाना पेलेगा क्या .
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