केजरीवाल पर हुई हनुमान जी की कृपा

Publsihed: 11.Feb.2020, 21:55

अजय सेतिया / अरविन्द केजरीवाल ने नेता और जनता के बीच संवाद का पुराना नजरिया बदल दिया है | भाजपा को अविश्वसनीय पटकनी देने के बाद जनता को मुखातिब होते हुए उन्होंने भाईयो और बहनों नहीं , अलबत्ता दोस्तो कह कर पुकारा | उन्हें पता था कि उन के ज्यादातर समर्थक और वोटर युवा हैं | इस लिए जहां उन्होंने अपने से ज्यादा उम्र वालों को सम्मान देते हुए खुद को उन सब का बेटा कहा,वहीं युवाओं को उन्हीं की भाषा में “ आई लव यूं “ कह कर अपनत्व दिखाया | अपनी पत्नी के जन्मदिन की घोषणा करते हुए उन्होंने अपने हम उम्रों को भी अपने साथ जोड़ा | एक संकेत भी दे दिया कि लालू यादव की पत्नी की तरह अब उन की पत्नी भी राजनीति में कदम रख रही है |  

दिल्ली विधानसभा का चुनाव जीत कर अरविन्द केजरीवाल ने लालू-तेजस्वी , ममता, अखिलेश को हौंसला दिया है | बुरी तरह हार कर कांग्रेस भी खुश है | न तीन में, न तेरह वाली कम्युनिस्ट पार्टी भी खुश है | इन दोनों पार्टियों को खुशी इस बात की है कि अरविन्द केजरीवाल के माध्यम से मोदी-शाह विरोध की राष्ट्रीय राजनीति की शुरुआत होगी | कांग्रेस कम्युनिस्ट न सही , कम से कम क्षेत्रीय दल भारतीय जनता पार्टी का विकल्प बन कर उभर सकते हैं | कांग्रेस अब क्षेत्रीय दलों के नीचे काम करने की मनोस्थिति बना चुकी है | महाराष्ट्र और झारखंड इस के ताज़ा उदाहरण हैं | कर्नाटक में पहला प्रयोग हुआ था | बंगाल ,बिहार के आगामी चुनावों में इसी प्रयोग को दोहराया जाएगा, जो आगे चल कर 2022 में उत्तर प्रदेश में होगा |

चुनाव प्रचार के आख़िरी दिनों में राम भक्त हनुमान जी आ धमके थे | भाजपा ने केजरीवाल के हनुमान मंदिर जाने को दो तरह से भुनाने की कोशिश की थी | कुछ नेताओं ने तो कहा कि हिन्दू वोट बैंक के लिए केजरीवाल ने शाहीन बाग़ की बजाए हनुमान जी के चरण पकड़ लिए , तो कुछ ने कहा कि जिस हाथ से जूते उतारे उसे धोए बिना उसी हाथ से हनुमान जी को चढाने के लिए माला पकड़ ली | पर केजरीवाल ने खुद को हनुमान भक्त घोषित करते हुए कहा कि हनुमान जी भाजपा को सबक सिखाएंगे और अंतत: मंगलवार को आए परिणाम हनुमान जी को समर्पित करते हुए केजरीवाल ने कहा-“ हनुमान जी ने दिल्ली पर कृपा बरसाई , हनुमान जी का बहुत बहुत धन्यवाद |” फिर वह हनुमान जी का आभार प्रकट करने बाकायदा उन के मंदिर भी गए |

मुद्दे की बात यह है कि केजरीवाल की जीत नागरिकता संशोधन क़ानून के खिलाफ जनादेश नहीं है , क्योंकि केजरीवाल ने हिन्दू वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए शाहीन बाग़ में चल रहे धरने से दूरी बना ली थी | वह धरने पर नहीं गए और न ही उस के समर्थन में कोई बयान जारी किया , अलबत्ता अमित शाह से अपील की कि वह धरना हटवाएं | भारतीय जनता पार्टी शाहीन बाग़ के धरने को मुद्दा बना रही थी, लेकिन केजरीवाल को सलाह दे रहे प्रशांत किशोर ने उन्हें मंत्र दे दिया था कि वह भाजपा के एजेंडे को मुद्दा न बनने दें | इस लिए दिल्ली के चुनाव को नागरिकता संशोधन क़ानून , जनसंख्या रजिस्टर या नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ जनादेश नहीं माना जा सकता |

हाँ , भाजपा शाहीन बाग़ को मुद्दा बना कर हिन्दू मतदाताओं को अपने पक्ष में एकजुट करने में नाकाम रही | अलबत्ता मोदी-शाह को यह समझ आ जानी चाहिए कि देश की जनता बहुत समझदार हो चुकी है | वह राष्ट्रीय चुनावों और राज्यों के चुनावों में फर्क जानती है | वह राष्ट्रीय मुद्दों और राज्यों के मुद्दों में फर्क जानती है | जहां राष्ट्रीय मुद्दों का सवाल है तो दिल्ली ही नहीं , मध्य प्रदेश, राजस्थान, छतीसगढ़ , झारखंड की जनता भी उस के साथ खडी है | लेकिन जब राज्यों की बात होगी तो भाजपा को न सिर्फ राज्यों के मुद्दे चुनने होंगे , अलबत्ता राज्यों का नेतृत्व भी दिखाना होगा | राष्ट्रीय मुद्दे और राष्ट्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनावों में टाएँ टाएँ फिस्स हो रहे हैं | सामूहिक नेतृत्व कभी भाजपा का यूएसपी होता था , जो मोदी-शाह के भाजपा संभालने के बाद खत्म हो गया , जिस के नतीजे राज्यों में देखे जा रहे हैं |

2014 में दिल्ली की सातों सीटें देने के बाद 2015 में उसी जनता ने केजरीवाल के मुकाबले मोदी को ठुकरा दिया था | तो 2019 में फिर दिल्ली की सातें सीटें दे कर केजरीवाल के मुकाबले अमित शाह को ठुकरा दिया | अरविन्द केजरीवाल ने रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाले बिजली , पानी , सडक , शिक्षा और स्वास्थ्य पर ही जोर दिया | यही उन की यूएसपी थी , मोहल्ला क्लिनिक , आधुनिक स्कूल , मुफ्त पानी –बिजली , मोहल्लों में अच्छी सडकें | वह अपनी यूएसपी के मुद्दों से भटके नहीं | भाजपा को यह समझना होगा कि अमीरों और उच्च मध्यम वर्ग से टेक्स ले कर उस का फायदा गरीबों को देना मुफ्तखोरी नहीं समाजवाद होता है |

 

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