नगालैंड में कांग्रेसी छेड़छाड़ की तैयारी

Publsihed: 18.Dec.2007, 20:45

सोचो, गुजरात-हिमाचल से निपटकर कांग्रेस क्या करेगी। गोवा-झारखंड के बाद अब कांग्रेस की नजर नगालैंड पर। अपन को कांग्रेसी इरादों की भनक तब लगी। जब नगालैंड के कांग्रेसी एमएलए चौबीस अकबर रोड पर देखे। नगालैंड कांग्रेस के अध्यक्ष होखेतो सुमी 30 एमएलए लेकर पहुंचे। साठ की एसेंबली में मौजूदा तादाद 54 की। गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने मुलाकात की। पर सबको दस जनपथ का रास्ता दिखा दिया। सोनिया के रायबरेली से लौटने का इंतजार। सोनिया की हरी झंडी हुई। तो कल केबिनेट नगालैंड सरकार बर्खास्तगी की सिफारिश कर देगी। कांग्रेस के एमएलए तीस का जुगाड़ कर चुके।

सो सोनिया की हरी झंडी तय समझिए। गवर्नर के. शंकर नारायणन से मन मुताबिक रपट भी आ चुकी। गुजरात-हिमाचल के चुनाव न होते। तो अब तक सीएम नीफू रियो नप चुके होते। नगालैंड पीपुल फ्रंट के रियो दूसरे टर्म के सीएम। साठ की एसेंबली में एनपीएफ के 28 एमएलए। तीन भाजपाईयों के समर्थन से बहुमत। दिल्ली में जब से यूपीए सरकार बनी। तब से नगालैंड कांग्रेस की आंख में किरकिरी। पिछले साल भी तोड़फोड़ की कोशिश हुई। तब संसद में खूब हंगामा हुआ। आडवाणी ने चेतावनी दी- 'कांग्रेस चीन के बार्डर प्रांत में अस्थिरता का खेल न खेले।' संसद में हंगामे के बाद कांग्रेस ने हाथ पीछे खींचे। पर अबके एसेंबली भंग करने की पूरी तैयारी। एसेंबली का मौजूदा टर्म 31 मार्च तक। सरकार गिराने की साजिश तेरह दिसम्बर को शुरू हुई। उस दिन एक दिन का सेशन था। कांग्रेस नौ कंफीडेंस मोशन ले आई। कांग्रेस तीन निर्दलीय एमएलए जुगाड़ चुकी थी। एनपीएफ के भी नौ एमएलए जुगाड़ लिए। इनमें आठ तो मंत्री थे। यों दल-बदल विरोधी कानून में फेरबदल हो चुका। दो तिहाई से कम एमएलए दल-बदल नहीं कर सकते। सो स्पीकर कियानिली पेसेई सरकार बचाने का कानूनी नुक्ता निकाला। वैसे कानूनी नुक्ता भले ठीक हो। नैतिकता के तकाजे से देखें, तो कतई ठीक नहीं। पर पहले बात कानूनी दांव-पेंच की। दल-बदल कानून के तहत स्पीकर नियम फ्रेम करता है। सो उसी के तहत 21 अगस्त 2006 को नियम फ्रेम हुए। यह तब की बात। जब कांग्रेस ने पिछले साल सरकार गिरानी चाही। सो उस नियम में लिखा गया- 'अगर दो तिहाई से कम एमएलए व्हिप के खिलाफ वोट करें। तो उनके वोट गिने नहीं जाएंगे।' दूसरा कानूनी नुक्ता- दल-बदल कानून के दूसरे पैरा के मुताबिक- 'निर्दलीय एमएलए किसी पार्टी में शामिल नहीं हो सकते।' पर तीनों निर्दलीय एमएलए एनपीएफ में शामिल हुए। तीनों की मेंबरी खत्म करने के लिए खुद कांग्रेस ने अर्जी लगाई। अब स्पीकर ने तीनों को फैसले तक वोट देने से रोका। तो कांग्रेस अपने ही बिछाए जाल में फंस गई। स्पीकर ने कानूनी दांव-पेंच से 12 वोट नहीं गिने। सो नतीजे में सरकार के हक में 23 वोट पड़े। खिलाफ 19 वोट। पर मंगलवार को होखेतो सुमी ने तीस एमएलए की राष्ट्रपति भवन में परेड करा दी। राष्ट्रपति भवन में परेड का मतलब साफ। कांग्रेस का इरादा सरकार गिराने का। वैसे अपन नया घटनाक्रम भी बता दें। परेड करने वाले तीनों निर्दलीय एमएलए एसेंबली से इस्तीफा दे चुके। मंगलवार को इधर राष्ट्रपति भवन में परेड हो रही थी। उधर कोहिमा में कांग्रेसी एमएलए न्यूमर्ट रोबोनिका ने इस्तीफा दे दिया। यानी पहले खरीद फरोख्त हुई। तो अब तोड़फोड़। पर अपनी निगाह गुरुवार को होने वाली केबिनेट मीटिंग पर। कांग्रेसी इरादे की भनक तो लग चुकी। गुजरात-हिमाचल में लोकतंत्र का कार्यक्रम निपट चुका। अब नगालैंड में लोकतंत्र के क्रियाक्रम की तैयारी।

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