ट्वंटी-20 विश्व कप आखिरी मैच में जैसा हुआ। हू-ब-हू वही चंडीगढ़ में हुआ। जहां अपने धोनी ने आस्ट्रेलिया को धो डाला। भले ही दो मैच हार कर धोया। पर बात ट्वंटी-20 के आखिरी मैच की। जो भारत-पाक में हुआ था। आखिरी ओवर ने खेल बदल डाला। हारता-हारता भारत जीत गया। जीत के करीब पहुंचकर पाक हार गया। अब कर्नाटक के ट्वंटी-20 में आखिरी ओवर रोमांचक। एक पल लगा बीजेपी-जेडीएस मैच फिक्स हो जाएगा। दूसरे पल लगा। बीजेपी-जेडीएस शादी टूटनी तय।
तीसरे पल लगा। बीस महीने पहले हुआ कांग्रेस-जेडीएस तलाक रद्द होगा। तलाक के बाद दूसरी बार शादी करेंगे। पर हुआ वही। जिसका अपन को अंदेशा था। कांग्रेस ने तलाक रद्द करने का भ्रम जरूर फैलाया। पर अपन को पहले से पता था। कांग्रेस राष्ट्रपति राज की हिमायती। सो कांग्रेस को जब लगा- 'कुमारस्वामी कहीं कांग्रेसी एमएलए न तोड़ लें।' सो कांग्रेस सारे एमएलए घेरकर राजभवन ले गई। गवर्नर रामेश्वर ठाकुर को बता दिया- 'कांग्रेस किसी का समर्थन नहीं करेगी।' कुमारस्वामी की किसी चालाकी की गुंजाइश नहीं छोड़ी। एक-एक एमएलए से लिखा कर दे दिया। जैसे गोवा की सरकार बचाने दासमुंशी गए थे। वैसे ही कर्नाटक में खेल करने पृथ्वीराज चह्वाण पहुंचे। केंद्र की सत्ता का दुरुपयोग करने में कोई परहेज नहीं। तमाशा देखिए। केंद्रीय मंत्री राजभवन में जा बैठा। ताकि गवर्नर अपना कांग्रेसी बैकग्राउंड न भूल सकें। सो अपन ने तो पहले ही कह दिया था। गवर्नर कोई टीएन चतुर्वेदी तो हैं नहीं। सो कर्नाटक के ट्वंटी-20 में कांग्रेस का 'हाथ' ऊपर। सो जब बीजेपी ने समर्थन वापस लिया। कांग्रेसी एमएलए भी बर्खास्तगी की मांग कर आए। तो कुमारस्वामी का खेल खत्म था। सो गवर्नर ने बुलाकर समझाया- 'बहुमत साबित करने की बात छोड़ दें। बहुमत एमएलए तो आकर बता चुके।' गवर्नर की सलाह अपनी जगह। पर वह कुमारस्वामी को बर्खास्त तो नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट कह चुका 'राजभवन में नहीं। बहुमत विधानसभा में तय होगा।' सो कुमारस्वामी ने कर्नाटक का आखिरी नाटक खेला। पर जैसे ही विधानसभा भंग होती दिखी। जेडीएस के एमएलए खिसकने लगे। कम से कम तीस एमएलए बीजेपी की तरफ दौड़े। येदुरप्पा को लगा 'कुर्सी फिर करीब।'सो वह जेडीएस विरोधी रैलियां छोड़ बेंगलूर दौड़े। अपन ने बीजेपी लीडर लहर सिंह को फोन किया। तो वह बोले- 'हालात तो पल-पल बदल रहे हैं। अगले पल क्या होगा? कोई नहीं जानता।' कभी जेडीएस कांग्रेस को तोड़ता दिखा। तो कभी खुद जेडीएस टूटती दिखी। देवगौड़ा परिवार की नौटंकी सिरे न चढ़े। यह बंदोबस्त कांग्रेस ने ठीक वक्त पर किया। टीएन चतुर्वेदी को घर भेज रामेश्वर ठाकुर को भेज दिया। कर्नाटक की तस्वीर साफ। वहां वही होगा। जो कांग्रेस चाहेगी। सो येदुरप्पा किसी भ्रम में न रहे। येदुरप्पा के लिए अंगूर अभी खट्टे। पर कर्नाटक का नाटक अभी चालू था। दिल्ली भी कनार्टक बनने लगा। जैसा अपन ने शनिवार को लिखा। मंगलवार से मनमोहन सरकार का पटिया उलाल शुरू। सोनिया इतवार को हरियाणा में गरज आई। जैसे कुमारस्वामी ने बीजेपी को कोसा। वैसे सोनिया ने लेफ्ट को। पर सोनिया की तैयारी पूरी। मनमोहन को साथ लेकर प्रतिभा पाटिल को मिल आई। जैसे पृथ्वीराज चह्वाण कर्नाटक राजभवन में ठाकुर से मिले। यहां भी चुनाव। वहां भी चुनाव। जित देखो तित चुनाव।
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