हस्तिनापुर का राजा था पांडु। पांडु की दो बीवियां थी मादरी और कुंती। पांडु को श्राप मिला- बच्चे पैदा करने की कोशिश करेगा तो मर जाएगा। डरकर पांडु ने अपना राज-काज धृतराष्ट्र को सौंप दिया। धृतराष्ट्र अंधा था। पर था पांडु का बड़ा भाई। पर बाद में कुंती को युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन पैदा हुए। मादरी को नकुल और सहदेव। ये पांचों बच्चे कैसे पैदा हुए। अपन इस कहानी की गहराई में नहीं जाते। वह कहानी बताने का आज वक्त नहीं। पर पांडु श्राप के कारण ही मर गया। मादरी सती हो गई। पांडु की मौत का कारण मादरी ही थी। पर सवाल सिहासन की विरासत का। धृतराष्ट्र ने पांडु के पांडव बेटों को राज गद्दी नहीं सौंपी। जबकि राज गद्दी के वारिस पांडव थे। महाभारत इसीलिए हुआ। कहानी हू-ब-हू भले नहीं। पर कुछ कुछ मिलती-जुलती।
इंदिरा गांधी के राजनीतिक वारिस थे संजय गांधी। संजय गांधी की विमान दुर्घटना में मौत हो गई। संजय की मौत के कारण उसके बड़े भाई राजीव को राजगद्दी मिली। अब राजीव और संजय के बेटों में राजगद्दी का महाभारत। मेनका ने आरोप लगाया है- 'वरुण को वोटों के लिए अभिमन्यु की तरह चारों तरफ से घेरा गया है।' शुरू में लगता था- बीजेपी वरुण से पल्ला झाड़ेगी। बीजेपी का इरादा इस बार सांप्रदायिक मुद्दा उठाने का नहीं था। सो पल्ला झाड़ा भी। पर अब बीजेपी पूरी तरह वरुण के पीछे। इसकी दो वजहें। पहली- कौरवों का अभिमन्यु के पीछे हाथ धोकर पड़ना। दूसरी- जंग-ए-मैदान में धर्म का अभिमन्यु के साथ होना। यहां धर्म का मतलब हिंदू नहीं। अलबत्ता इंसाफ-नाइंसाफी की जंग का होना। लालकृष्ण आडवाणी ने सही कहा- 'वरुण पर आचार संहिता उल्लंघन के आरोप थे। पर वरुण हत्यारा कैसे हो गया। वरुण राष्ट्र के लिए खतरा कैसे हो गया।' अब तक उस सीडी की जांच हो जाती। तो ठीक होता। न सोनिया-राहुल की कांग्रेस कटघरे में होती। न मायावती। वरुण के खिलाफ रासुका का मुकदमा न होता। तो बीजेपी भी वरुण के बचाव में ऐसे सामने न आती। जैसे आज आ चुकी। राजनाथ सिंह ने वेंकैया नायडू से कहा है- 'वरुण को जाकर एटा जेल में मिलो। संघर्ष की रणनीति तैयार होगी।' राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को रणनीति मीटिंग भी बुला ली। बीजेपी के तेवरों का अंदाज लगाना हो। तो सुषमा स्वराज का जवाब पढ़ लो। वह भोपाल के प्रेस क्लब में बोली- 'चुनाव आयोग का दोहरा मापदंड जाहिर हो चुका। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी, शाहबुद्दीन पर चुनाव आयोग चुप। पर वरुण के बारे में सलाह देता है- टिकट न दो।' अब सिर्फ सोनिया-माया पर हमले नहीं होंगे। अलबत्ता चुनाव आयोग भी कटघरे में होगा। जिसने बिना सीडी की जांच कराए पहली एफआईआर करवाई। सो यूपी में हिंदू-मुस्लिम विभाजन हुआ। तो चुनाव आयोग भी कम जिम्मेदार नहीं होगा। सांप्रदायिकता की आग धीरे-धीरे भभकने लगी। मायावती का निशाना मछली की आंख पर। वरुण पर सख्त कार्रवाई कर मुस्लिम वोट हासिल करना। बीजेपी के हाथों तो छींका फूटने वाली बात हो गई। यों तो रासुका रूपी चक्रव्यूह के खिलाफ वरुण अब सुप्रीम कोर्ट में। अपन नहीं जानते- कोर्ट क्या रुख अपनाएगी। पर लड़ाई दो तरफा होगी। एक तरफ कानूनी, तो दूसरी तरफ राजनीतिक। राजनीतिक लड़ाई का मतलब- हिंदू वोटरों को लुभाना। सो आने वाले दिनों में वरुण हीरो की तरह पेश होंगे। रणनीति शुक्रवार को बनेगी। बाल ठाकरे के तेवरों ने बीजेपी को रास्ता दिखा दिया। बुधवार को बाल ठाकरे सामना में बोले- 'इंदिरा गांधी का पौत्र देश के लिए खतरा कैसे हो गया। वरुण ने जो बात कही- अगर वह देश के लिए खतरा। तो देश के अस्सी करोड़ हिंदू भी देश के लिए खतरा।' कोई माने, न माने। चुनावी बुखार जैसे-जैसे तेज होगा। सांप्रदायिक धु्रवीकरण और बढ़ेगा। आडवाणी-राजनाथ ने ठीकरा सोनिया-माया के सिर फोड़ना शुरू भी कर दिया।
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