'नाईन-इलेवन' के बाद 'छब्बीस-ग्यारह'। और अब 'डबल थ्री'। सो अब अपन को आतंकवाद बड़ा चुनावी मुद्दा बनने का भरोसा। मुंबई के बाद राजस्थान दिल्ली में नहीं बना होगा। पर लोकसभा चुनावों में बनेगा। अपन को मनमोहन का स्टेटमेंट नहीं भूलता। जो उनने सोलह सितंबर 2006 को मुशर्रफ से मुलाकात के बाद दिया। मुलाकात हुई थी हवाना में। मौका था निर्गुट सम्मेलन। वहीं पर आतंकवाद के खिलाफ साझा मैकेनिज्म तय हुआ। मनमोहन ने कहा था- 'पाक भी आतंकवाद का शिकार।' मनमोहन ने यह कहकर पाकिस्तान के सारे पाप धो दिए। अपन तो दो दशक से पाकिस्तानी आतंकवाद के शिकार हैं। मनमोहन ने अमेरिकी दबाव में ऐसा काम किया। जो किसी भारतीय के पल्ले नहीं पड़ा।
कहां वाजपेयी ने दबाव में लाकर मुशर्रफ से कहलवाया था- 'आतंकवादियों को सर-जमीं पाक का इस्तेमाल न करने देंगे।' भले कांग्रेस संसद पर हमले के बाद बार्डर पर फौज के कूच को फिजूल कहे। पर यह बार्डर पर फौज का ही दबाव था। जो मुशर्रफ को यह कहना पड़ा। अब जब मुंबई में छब्बीस-इलेवन हुआ। तो मनमोहन का साझा मैकेनिज्म गले की हड्डी बना पड़ा है। पाक कभी कहता है- कसाब को भेजो। कभी कहता है- आतंकी समुद्र के रास्ते नहीं गए। कभी भेजता है तीस सवालों की लिस्ट। मनमोहन 'मोहब्बत जिंदाबाद' के नारे लगाते रहे। आतंकी पाक की सर-जमीं पर पांव फैलाते रहे। अब मनमोहन हों या सोनिया। आए दिन पाक को गाली देने में मशरूफ। खुद को आडवाणी से बड़ा आतंकवाद विरोधी बताने की होड़। खुद को पाक विरोधी बताने से भी नहीं हिचक रहे। नाईन-इलेवन के बाद छब्बीस-ग्यारह हुआ। अब छब्बीस-ग्यारह के बाद डबल थ्री। तीनों वारदातों का संबंध पाक से। पाक आतंकवाद का केंद्र बिंदु बन चुका। यह बात वाजपेयी 2001 से ही कह रहे थे। पर मनमोहन के पल्ले नहीं पड़ी। वह पाक को भी आतंकवाद का शिकार बता रहे थे। अब मंगलवार को लाहौर में श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर आतंकी हमला हुआ। तो मनमोहन सिंह का कोई स्टेटमेंट नहीं आया। प्रणव दा जरूर बोले- 'पाकिस्तान से चल रहे आतंकवाद से पूरी दुनिया को खतरा।' अपन को अभिषेक मनु सिंघवी का बयान सुनकर हंसी आई। सिंघवी को अभी भी पाक से आतंकवाद का खतरा नहीं दिखता। वह बोले- 'अगर पाक आतंकवाद का स्रोत है और केंद्र बिंदु बन गया है। तो दुनिया के हर देश को इसके खिलाफ एकजुट होना चाहिए।' सिंघवी अभी भी 'अगर' पर अटके पड़े दिखे। सिंघवी अपने नेता प्रणव दा का स्टेटमेंट ही देख लेते। उनने कड़े शब्दों में कहा- 'पाक आतंकवादी ढांचे को नष्ट नहीं करेगा। तो ऐसी घटनाएं और भी होंगी।' अब अपन को लगता है- मनमोहन 'मोहब्बत जिंदाबाद' के चक्कर में न पड़ते। पाक पर आतंकी ढांचा नष्ट करने का दबाव बनाते रहते। तो यह नौबत न आती। जो छब्बीस-इलेवन और डबल थ्री के रूप में आई। बात तीन मार्च यानि डबल थ्री के आतंकी हमले की। अब के हमला पाकिस्तान से बाहर नहीं। अलबत्ता पाक की सर-जमीं पर ही हुआ। पाकिस्तानी पंजाब की राजधानी लाहौर में। श्रीलंका की क्रिकेट टीम पर। छह श्रीलंकाई खिलाड़ी, एक अंपायर भी जख्मी हुए। क्रिकेट टीम को गद्दाफी स्टेडियम से फौजी हेलीकॉप्टर पर निकालना पड़ा। सोचो, छब्बीस-इलेवन के बाद भारतीय क्रिकेट टीम का दौरा रद्द न होता। तो क्या होता। अभी मानो न मानो। आतंकवाद पर मनमोहन सरकार का रुख चुनावी मुद्दा बनेगा। कांग्रेस ने 'जय हो' को चुनावी नारा भले बना लिया हो। पर बीजेपी ने भी सोच लिया है- 'कांग्रेस के खिलाफ नारा तो 'अफजल की जय हो' का लगेगा।' मनमोहन का पाक पर अपनाया सॉफ्ट कार्नर होगा ही चुनावी मुद्दा।
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