तो चुनावी डुगडुगी बज गई। गोपाल स्वामी जब डुगडुगी बजा रहे थे। तो नवीन चावला बाएं, कुरैशी दाएं बैठे थे। अपन ने तो शनिवार को ही लिख दिया था- 'सोमवार को होगा चुनाव का ऐलान।' पर चावला के छुट्टी पर जाने की खबर उड़ी। तो भाई लोगों को लगा- फिर झगड़ा शुरू। बात झगड़े की चल ही पड़ी। तो याद दिला दें- सीईसी गोपाल स्वामी की सिफारिश- ईसी चावला को हटाने की थी। दोनो अगल-बगल बैठे, तो सरकार की मेहनत साफ दिखी। सरकार अपनी तीन साल की मेहनत पर पानी क्यों फेरती। चुनाव में चावला सीईसी हों। इसीलिए तो तीन साल पहले ईसी बनाया था। सो, गोपाल स्वामी की सिफारिश कूड़ेदान में गई। अपन को सरकार से यही उम्मीद थी। इतवार को सिफारिश रद्द। सोमवार को चुनावों का ऐलान। यह कोई संयोग नहीं।
शांति के लिए सरकार ने मेहनत की। विपक्ष के नेता तक से गुजारिश की। वरना सोमवार को अरुण जेतली फिर कोर्ट चले जाते। आखिर कोर्ट की सलाह पर ही तो चावला के खिलाफ सीईसी को अलख जगाई थी। आयोग में भी शांति आसानी से नहीं हुई होगी। सब कुछ निपट गया। तो चुनावों की तारीख तय हुई। लीक तो इस बार भी हुई। शुक्रवार को प्रणव-आडवाणी बात हुई। तो साफ हुआ- 'सोमवार को चुनाव का ऐलान होगा।' यों आडवाणी को भनक तो बुधवार को भी थी। जब प्रणव दा ने पहली बार आडवाणी से बात की। गुरुवार को पार्लियामेंट्री मीटिंग में आडवाणी यों ही नहीं बोले थे- 'पांच-चार दिन में चुनावों का ऐलान।' फिर जब सरकारी इश्तिहारों का पिटारा खुला तो समझने वालों को इशारा काफी था। जब आयोग में शांति हो गई। तो अपन को उम्मीद थी- बीस अप्रेल तक दो दौर का चुनाव हो चुका होगा। वह दिन गोपाल स्वामी की रिटायरमेंट का। पर उनके रिटायरमेंट से पहले एक दौर का चुनाव ही होगा। ताकि सनद रहे सो, याद दिला दें- पिछली बार तो बीस अप्रेल को पहले दौर का चुनाव था। दस मई को आखिरी चौथा दौर हुआ। पर अब के चार दिन पहले चुनाव शुरू होगा। तीन दिन बाद तक चलेगा। यानि एक हफ्ता ज्यादा चलेगा चुनावी महाभारत। पूरे अट्ठाईस दिन पांच फेस में वोट पड़ेंगे। अप्रेल में सोलह, तेईस, तीस के तीन दौर। मई में सात, तेरह के दो दौर। गिनती होगी सोलह मई को। यानि जिन एक सौ चौबीस सीटों पर सोलह अप्रेल को वोट पड़ेंगे। वहां गिनती एक महीने बाद होगी। अपने राजस्थान के लिए तो संतोष की बात। सात मई को एक ही फेस में निपट जाएगा। पर अपने मध्य प्रदेश के लिए और संतोष की बात। भले ही तेईस, तीस अप्रेल के दो फेस होंगे। पर निपट जाएगा अप्रेल में ही। कर्नाटक भी इन्हीं दोनों तारीखों में निपट जाएगा। संतोष की बात गुजरात में भी। जहां सिर्फ एक दिन तीस अप्रेल को वोट पड़ेंगे। तमिलनाडु के लिए भी अच्छी खबर। भले सत्तर दिन की आचार संहिता लग गई। पर निपटेगा एक ही दिन तेरह मई को। अपना बंगाल कुछ ज्यादा ही संवेदनशील। तीस अप्रेल, सात-तेरह मई तीन दौर के चुनाव होंगे। जम्मू-कश्मीर, यूपी में चुनावी महाभारत सबसे लंबा चलेगा। पांचों फेस मे कहीं न कहीं चुनाव होंगे। अपने बिहार में चार फेस। साथ में होंगे आंध्र, उड़ीसा, सिक्किम असेंबलियों के चुनाव भी। चार राज्यों की खाली असेंबली सीटों पर भी चुनाव हाथों हाथ। इस बार बड़ी बात- बयासी फीसदी वोटर लिस्टों में वोटरों के फोटू भी होंगे। चुनावी डुगडुगी के साथ ही राजनीतिक उथल-पुथल भी शुरू। एनडीए का तृणमूल गया यूपीए में। तीसरे मोर्चे का लोकदल गया एनडीए में। अभी तो महीना भर उठापटक होगी। पर गठबंधनों में ज्यादा हेरफेर की उम्मीद नहीं। अब के चुनावों के बाद ही होगी उठापटक। एनडीए-यूपीए दोनों की निगाह तीसरे मोर्चे पर। तीसरे मोर्चे की निगाह इन दोनों मोर्चों में सेंध की।
आपकी प्रतिक्रिया