अपन ने बीस मार्च को ही लिखा था- 'नंदीग्राम में मुसलमानों की आबादी ज्यादा।' अब जब नंदीग्राम की आग मुस्लिम आंदोलन बनकर कोलकाता पहुंची। बुधवार को आल इंडिया माइनोरिटी फोरम सड़कों पर उतरा। तो लेफ्ट के सेक्यूलरिज्म की पोल खुल गई। प्रदर्शनकारी मुसलमानों पर जमकर गोलियां चली। फोरम के अध्यक्ष ईदरिश अली का दावा- 'हालात खुद सीपीएम काडर ने बिगाड़े।' कोलकाता में सेना बुलानी पड़ी। तो राज्यसभा में अपने दिनेश त्रिवेदी ने हंगामा कर दिया। सो सदन नहीं चला।
नंदीग्राम पर बहस भी टल गई। पर लोकसभा में बहस शुरू हो गई थी। सो विजय कुमार मल्होत्रा की मुद्दा उठाने की कोशिश नाकाम रही। सोमनाथ दादा ने डांट दिया- 'चुप बैठो, कोलकाता में कोई नहीं मरा।' नंदीग्राम पर बहस ने दादा को उखाड़ दिया। एक बार एक भाजपाई ने मोहम्मद सलीम को टोकने की कोशिश की। तो दादा बोले- 'सवाल उठाओगे, तो जवाब सुनना होगा।' दादा के उखड़ने की दूसरी झलक देखिए- 'मुझे मत सिखाओ। आप में यह क्षमता नहीं। जब आप पैदा भी नहीं हुए थे। तब से मैं यहां पर हूं।' एक बार तो उनने तांडव नृत्य की धमकी दे डाली। बोले- 'ऐसा कुछ न करें। जिससे मुझे तांडव नृत्य करना पड़े।' असल में दादा आडवाणी के सोमनाथ को शिव कहने पर गदगद थे। आडवाणी बोले- 'सदन को सत्य पता चलना चाहिए। सत्य ही शिव है। शिव को पाने के लिए नंदी को पार करना पड़ता है। और हमारे पास सोमनाथ भी है।' आडवाणी की इस शब्दावली पर कोई फुसफुसाया- 'आडवाणी को सोमनाथ से बहुत लगाव। उनने सोमनाथ से अयोध्या की रथयात्रा की।' अयोध्या को आडवाणी ने भी याद किया। उनने कहा- 'जब अयोध्या में आल पार्टी डेलिगेशन गया। तो नंदीग्राम क्यों नहीं। डेलिगेशन भेजा जाए। गवर्नर से रिपोर्ट मांगी जाए। रिपोर्ट के आधार पर 355 के तहत नोटिस जाए। जवाब संतोषजनक न हो। तो 356 लगाया जाए।' असल में कांग्रेस-बीजेपी ने होड़ ममता को पाने की। ममता की मांग- 'बंगाल में 356 की।' जिस पर कांग्रेस पिछड़ गई। आडवाणी ने बाजी मार ली। पर ममता के दिनेश त्रिवेदी दिन भर दासमुंशी के कानों में फुसफुसाते दिखे। दोनों में पता नहीं क्या खिचड़ी पकती रही। यों नंदीग्राम पर बहस हुई। तो सीपीएम ने मोहम्मद सलीम को उतारा। नंदीग्राम पर सलीम अब सीपीएम की मजबूरी। मुसलमानों की नजर में अब मोदी और बुध्ददेव में कोई फर्क नहीं। मोदी ने तो मुस्लिम विरोधी दंगाईयों पर पहले दिन ही गोली चलवा दी। पर बुध्ददेव ने तो खुद अपना कॉडर नंदीग्राम में गोली चलाने भेजा। जिसने बहुसंख्यक मुस्लिमों को निशाना बनाया। तभी तो माइनोरिटी फोरम के लिए तस्लीमा और नंदीग्राम का मुद्दा एक सा। सीपीएम के सेक्युलरिज्म की हवा निकल चुकी। पर बात हो रही थी सलीम की। उनने सदन में ताल ठोककर सारे मंत्रियों को ललकारा। कहा- 'केंद्र का कोई मंत्री बताए। नंदीग्राम में एसईजेड का कोई प्रस्ताव बंगाल सरकार ने भेजा था। बंगाल ने कोई प्रस्ताव भेजा ही नहीं। जो बच्चा पैदा ही नहीं हुआ। उसके नामकरण की कोशिश हुई।' यों सारे मंत्री सदन में चुप्पी साधे रहे। पर अपने पास एसईजेड का सबूत मौजूद। ताकि सनद रहे। सो अपन बता दें। बंगाल के स्पेशल सेके्रटरी कॉमर्स एंड इंडस्ट्री विक्रम सेन ने 25.9.2006 को एक चिट्ठी लिखी। चिट्ठी लिखी गई स्पेशल सेक्रेटरी मिनिस्ट्री आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के नाम। चिट्ठी का रेफरेंस नंबर है- '115-सीआईओएसईजेड2406एक्स।' उनने इस चिट्ठी में लिखा- 'राज्य सरकार एनकेआईडी की नंदीग्राम में एसईजेड बनाने की अर्जी पर अपनी सिफारिश करती है।' इस चिट्ठी में उनने यह भी लिखा- 'राज्य सरकार डेवलपर को जमीन अधिग्रहण में मदद करेगी।' चिट्ठी की कॉपी अपने पास। सो अपन संसद में सलीम के झूठ पर हैरान रह गए। झूठ संसद में होगा असंसदीय शब्द। पर जनसंसद में झूठ को झूठ कहना कोई पाप नहीं।
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