अब्दुल रहमान अंतुले मुसीबत में नहीं। मुसीबत में मनमोहन सिंह। उनसे भी ज्यादा प्रणव मुखर्जी। सबसे ज्यादा मुसीबत कांग्रेस की। अपन ने कल अंतुले का करकरे पर बयान बताया ही था। उनकी मांग थी- 'करकरे की हत्या पर अलग से जांच होनी चाहिए। वह ऐसे केसों की जांच कर रहे थे। जिनमें गैर मुस्लिम शामिल थे।' वैसे महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को यह मांग ठुकरा दी। अंतुले ने यह भी कहा था- 'बड़ी वारदात तो होटल में हुई। करकरे को कामा अस्पताल की तरफ किसने भेजा।' अब जब अंतुले का बयान मुसीबत बना। कांग्रेस ने पल्ला झाड़ा। तो अंतुले कह रहे हैं- 'मैंने तो सिर्फ गलत दिशा में जाने की बात उठाई थी।' बवाल गुरुवार को भी नहीं थमा। संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। हंगामा तो महाराष्ट्र विधानसभा में भी हुआ। पर अंतुले लोकसभा में बिना टस से मस हुए बैठे रहे। विपक्ष मंत्री पद से हटाने की मांग करता रहा। अंतुले का घमंड देखिए। बोले- 'मैं किसी को जवाबदेय नहीं। मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। जो सरकार को मुश्किल में डाले। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया। जिससे कांग्रेस मुसीबत में फंसे। अलबत्ता मैंने तो सरकार की मदद की।'
सरकार की कैसी मदद की। वह तो कोई मनमोहन, सोनिया, प्रणव से पूछे। जिन्हें अंतुले का बयान न उगलता पड़ रहा है, न निगलता। सिर्फ अभिषेक मनु सिंघवी सफाई देते घूम रहे हैं। बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कहा- 'कांग्रेस अंतुले के बयान से कतई सहमत नहीं।' वही बात गुरुवार को राज्यसभा में दोहराई। अलबत्ता विपक्ष पर आरोप लगाया- 'आप पाकिस्तान को भड़का रहे हैं।' सिंघवी शायद नहीं जानते- कबूतर के आंख बंद करने से बिल्ली नहीं भागती। सिंघवी को भले नहीं पता हो। पर यह बात प्रणव मुखर्जी को पता है। सो उनने वादा किया है। आज लोकसभा में सरकार सफाई देगी। आज नहीं, तो अगले हफ्ते। अपन तो कांग्रेस और सरकार की हालत देखकर दंग रह गए। कांग्रेस की तरफ से दिनभर अफवाहें उड़ाई गई। पहले कहा गया- अंतुले ने पीएम को चिट्ठी लिखकर माफी मांग ली। फिर कहा गया- अंतुले ने सोनिया से मिलकर माफी मांगी। दिनभर अफवाहें चली। विदेश राज्यमंत्री भी अफवाहें उड़ाते देखे गए। कांग्रेस महासचिव भी। मंत्री पद से हटाने की अफवाह भी उड़ाई। पर शाम होते-होते अंतुले बोले- 'मैं किसी से नहीं मिला। न कांग्रेस अध्यक्ष से, न प्रधानमंत्री से। न ही किसी को कोई चिट्ठी लिखी।' अंतुले का इरादा कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा। अंतुले खुद पर कोई मुसीबत नहीं मान रहे। न कांग्रेस और सरकार पर। इस्तीफे की उठ रही मांग पर बोले- 'अगर मुझे लगेगा- मैंने सरकार को मुसीबत में डाला। तो आप मेरी आदत जानते हो। मैं अपनी बात पर अड़ा नहीं रहता। मुझे नहीं लगता- मैंने सरकार को किसी मुसीबत में डाला।' पर एक विदेश राज्यमंत्री कह रहा था- 'पहले एटीएस के वकील ने पुरोहित को समझौता एक्सप्रेस से जोड़कर मुसीबत में फंसाया। अब यह अंतुले।' एटीएस ने तो अगले ही दिन वकील के बयान से पल्ला झाड़ लिया था। पर पाकिस्तान नजरअंदाज क्यों करता। उसने किया भी नहीं। अपन ने विदेशमंत्री कुरैशी तक के मुंह से सुना- समझौता एक्सप्रेस विस्फोट में भी पाक का हाथ बता रहे थे। बाद में पता चला- भारतीय सेना का अफसर पुरोहित था। पाक ने बजरिया मीडिया पुरोहित की मांग भी शुरू कर दी। यही बात एसएस आहलुवालिया ने राज्यसभा में कही थी। जिस पर अभिषेक ने सफाई दी। पर अपन को सबसे बढ़िया बात गुरुदास दासगुप्त की लगी। बोले- 'अंतुले बुजुर्ग हो चुके। केंद्रीय मंत्री बनने की आयु सीमा पार कर चुके।' यानी अंतुले को सठिया गए बोला दासगुप्त ने। देखा अंतुले का राष्ट्रविरोधी सेक्युलरवाद लेफ्ट को भी पसंद नहीं।
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