लो, अपना कहा सच निकला। अपन ने चार सितंबर को लिखा था- 'मोदी ने विलासराव-शिवराज की तरह ढिंढोरा नहीं पीटा। चुपके से न्योता उनने भी दिया। अपन को लगता है- खंडूरी की आधी मलाई मोदी ही खाएंगे।' बात हो रही थी उत्तराखंड के पंतनगर प्लांट से नैनो आने की। पर आखिर वही हुआ। मोदी चुपके से नैनो प्लांट ले उड़े। शिवराज चौहान और विलासराव भी बाट जोहते रह गए।
सिंगूर की बात बिगड़ती दिखी। तो दोनों टाटा को न्योता देने में आगे थे। बाद में चिरोरी तो अपने येदुरप्पा और राजशेखर रेड्डी ने भी खूब की। येदुरप्पा तो मंगलवार शाम तक उम्मीद लगाए थे। इंडस्ट्री मिनिस्टर की रहनुमाई में कमेटी भी बनाई। बात कर्नाटक की चली। तो बताते जाएं- आखिर सोमनाथ दादा ने मनमोहन सरकार बचाने वाले बागियों का मक्कू कस दिया। दो सांसद बर्खास्त कर दिए। कर्नाटक के भाजपाई सांगलियान। जेडीयू के रामस्वरूप प्रसाद। अभी बारह बाकी। पर खरीद-फरोख्त से बची सरकार पर अब बहुतेरे कांग्रेसियों को अफसोस। अपन को एक बड़ा नेता बता रहा था- 'अमर सिंह से प्रकाश करात बेहतर थे। अक्ल की बात करते थे।' अमर सिंह की नई धमकी सुनी आपने। मंगलवार को बोले- 'दिल्ली की मुठभेड़ फर्जी निकली। तो समर्थन वापस ले लेंगे।' अमर सिंह को अब मुस्लिम वोट बैंक खिसकता दिखने लगा। तो खुलकर आतंकियों की पैरवी करने लगे। सोमवार को मोहन चंद्र शर्मा की बीवी ने अच्छा किया। अमर सिंह का दस लाख का चेक मुंह पर दे मारा। पर अमर सिंह जरा शर्मसार नहीं। पकड़े गए आतंकियों की पैरवी का ठेका ले लिया। राम जेठमलानी की सारी फीस अमर सिंह देंगे। वही इंदिरा गांधी के कातिलों के वकील राम जेठमलानी। वही जेठमलानी जिन्हें सोनिया ने पहले वाजपेयी के खिलाफ लड़ाया। फिर राज्यसभा में नोमिनेट करवाया। सोनिया को बधाई। एक कांग्रेस मंत्री पाटिल संसद पर हमला करने वाले अफजल का वकील। तो दूसरा नोमिनेट सांसद दिल्ली में बम फोड़ने वालों का वकील। पर अपन बात कर रहे थे नैनो की। नैनो की बात तो अपन करेंगे ही। पहले झूठ और खरीद-फरोख्त का सहारा लेकर बची सरकार की। चार अक्टूबर को कोंडालीसा राइस आडवाणी से मिली। तो आडवाणी ने कहा- 'एटमी करार पर हमारी सारी आशंकाएं सही निकली।' कोंडालीसा ने चुप्पी साध ली। आडवाणी ने लगते हाथों मोदी के वीजे का सवाल भी उठाया। कटाक्ष करते पूछा- 'किसी अमेरिकी गवर्नर पर भारत भी ऐसे आरोप लगाकर वीजा न दे। तो आपको कैसा लगेगा?' खैर बात नैनो की। राजशेखर रेड्डी को तो टाटा ने बड़ी खूबसूरती से ठेंगा दिखाया। शर्त रख दी- 'सिंगूर के नुकसान की भरपाई कर दो। तो प्लांट लगाने को तैयार।' सोचो, ऐसी शर्त क्यों लगाई। ममता को आगे कर असली खेल दासमुंशी ने किया। सो टाटा को जितना गुस्सा ममता पर। उतना कांग्रेस पर भी। बंगाल में कांग्रेस-तृणमूल ने विकास विरोधी राजनीति की। तो टाटा ने विकास पुरुष का रुख किया। कांग्रेसी-लेफ्टिए मोदी पर कितना भी चिल्लाएं। विकास पुरुष का तमगा तो अब मोदी के कंधे पर। मोदी ने एक पारसी का दिल जीत लिया। सिंधी का दिल पहले ही जीत रखा था। पारसी को सिंधी के हवाले कर दिया। जानते हो- लखटकिया नैनो कार की फैक्टरी आडवाणी के हलके में लगेगी। उसी कस्बे सनंद में। जहां 108 साल पहले सूखा पड़ा था। तो टाटा के दादा जमशेद जी ने एक हजार रुपया दिया था। जिससे जानवरों के पानी पीने का तालाब बना। मोदी बोले- 'जमशेद का पोता अब उसी जगह हजारों करोड़ इंवेस्ट कर रहा है।' गुजरात में फैक्टरी लगने की दो वजहें। पहली- समुद्री रास्ते विदेशों में भेजने में आसानी। दूसरी- जमीन अधिग्रहण का फंडा नहीं। मोदी ने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी की जमीन सरकार को ट्रांसफर करा ली। टाटा को नब्बे साल के लिए लीज पर दे दी। चौबीस घंटे में हुआ सारा काम। बुध्ददेव चौबीस महीनों में नहीं निपटा पाए।
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