अपने नरेंद्र मोदी ने शिवराज पाटिल का जमकर बाजा बजाया। बोले- 'पाटिल का सूचना से ज्यादा भोज पर जोर।' टाइम पर भोजन करना बुरी बात नहीं। पर जब बम फूट रहे हों। लोग तड़प-तड़प कर मर रहे हों। तो होम मिनिस्टर के मुंह से निवाला निकलता कैसे होगा। मोदी बोले- 'मैं जब आतंकियों से मिले सुराग बता रहा था, पाटिल बार-बार घड़ी देख रहे थे। मुझसे बोले- जानकारियां तो आती रहेंगीं, मेरे लंच का टाईम हो चुका।' लगते हाथों अपन पाटिल के कपड़े बदलने की पुरानी बात बताते जाएं।
पाटिल जब लोकसभा स्पीकर थे। तो उनने अपने दफ्तर में सफारी सूटों की अलमारी लगा ली थी। एक डेलीगेशन मिलकर निकलता, तो वह सूट बदलते। तब तक दूसरा डेलीगेशन बाहर बैठा रहता। अपन मोहन धारिया से सौ फीसदी सहमत। जिनने दो टूक कहा- 'पाटिल होम मिनिस्टर पद के लायक नहीं।' वह एक बार पानी-बिजली की समस्या बोल रहे थे। बोले- 'पानी की कोई कमी नहीं। पृथ्वी पर तीन हिस्से पानी। एक हिस्सा जमीन। पानी की समस्या नहीं, सो बिजली की भी कोई समस्या नहीं। जरूरत है- हाईडल प्रोजेक्ट लगाने की।' पता नहीं मनमोहन सिंह ने गौर क्यों नहीं किया। कितने काबिल बिजली मंत्री होते पाटिल। बिजली के लिए बुश से एटमी करार भी न करना पड़ता। बात एटमी करार की चली। तो बताते जाएं- मनमोहन सोमवार तड़के अमेरिका रवाना हो गए। बुश को फिक्र गुरुवार तक अमेरिकी कांग्रेस से हरी झंडी की। आज अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्ताव पेश होगा। करार विरोधी प्रस्ताव में जनवरी वाली चिट्ठी जुड़वाने की फिराक में। इसी चिट्ठी में बुश प्रशासन ने कहा था- 'फ्यूल की कोई गारंटी नहीं दी।' सोचो, प्रस्ताव में वह चिट्ठी जुडी। तो करार पर क्या मुंह दिखाएंगे मनमोहन। देखते हैं- गुरुवार को मनमोहन जब बुश के साथ भोज करेंगे। तो करार का स्वाद कैसा होगा। जैसा अपन ने बारह सितंबर को लिखा था- 'मुलाकात में वन-टू-थ्री एग्रीमेंट पर दस्तखत हो जाएंगे। मनमोहन 28 सितंबर को फ्रांस जाएंगे। हाथों हाथ फ्रांस से भी एटमी करार होगा।' मनमोहन जब उड़ चुके। तो प्रणव दा ने दोनों खबरें सच होने की उम्मीद जताई। पर अपन बात कर रहे थे पाटिल की। जिनने अपने येदुरप्पा, नवीन पटनायक, शिवराज चौहान को चेतावनी भिजवाई। भले ही 355 के तहत भिजवाने की हिम्मत नहीं हुई। पर येदुरप्पा तो खूब भड़के। उनने पलटवार करते कहा- 'दिल्ली में बम फूटते हैं, तो पाटिल चुप्पी साध लेते हैं। मुंबई में बम फूटते हैं, तो महाराष्ट्र को चेतावनी नहीं भिजवाते। आंध्र में होम मिनिस्टर मारा जाता है, तो चेतावनी नहीं भिजवाते। कश्मीर से बीस हजार हिंदू निकाले गए, तो होम मिनिस्ट्री ने चुप्पी साध ली।' उनने याद कराया- 'वीरप्पन नहीं पकड़ा गया था। तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- एसएम कृष्णा सरकार को बने रहने का नैतिक हक नहीं। तब केंद्र सरकार ने चेतावनी नहीं भेजी। कांग्रेसी सीएम मल्लिकार्जुन खड़के के राज में दलितों पर हिंसा हुई। तब की केंद्र सरकार ने चेतावनी नहीं भेजी। अब बीजेपी की सरकार है तो चेतावनी।' येदुरप्पा केंद्र की धमकियों से डरने वाले नहीं। सोमवार को उनने पाटिल को आईना दिखाया। तो धर्मांतरण की पोल भी खोली। न्यू लाइफ ट्रस्ट पर शिकंजा कसा। न्यू लाइफ ट्रस्ट के बारे में बता दें। ईसाईयों का यह संगठन घोर हिंदू विरोधी। चर्च भी न्यू लाइफ ट्रस्ट की कारगुजारियों से खफा। पर केंद्र सरकार को ऐसे संगठनों की फिक्र नहीं। पाटिल तो राजनीतिक विद्वेष में एक कदम और आगे बढ़े। उनने आतंरिक सुरक्षा के स्पेशल सेक्रेट्री कुमावत को बेंगलुरु भेज दिया। वह मंगलोर भी जाएंगे। तैयारियां 355 के तहत नोटिस की। ऐसी चेतावनी सोमवार को कांग्रेसी प्रवक्ता मनीष तिवारी ने भी दी। यों येदुरप्पा को चेतावनियों-नोटिसों की फिक्र नहीं। वह पाटिल को मुंहतोड़ जवाब देकर दौरे पर निकल गए। बेलगांव, हुबली, मैसूर होकर गुरुवार को लौटेंगे। सोमवार को येदुरप्पा ने जैसे पाटिल को आईना दिखाया। अपन को नरेंद्र मोदी की डुप्लीकेट कापी दिखाई दी। यानी बीजेपी को मिल रहा है एक और मोदी। जो केंद्र को ईंट का जवाब पत्थर से दे सके।
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