आडवाणी-जोशी का डेरा कुमारकुप्पा गेस्ट हाउस में लगा। बीजेपी के सीएम अशोका होटल में जमें। वर्किंग कमेटी के सारे मेंबर चांसलरी होटल में। सारे संगठन मंत्री रामनाश्री होटल में। मीडिया वाले होटल वुडलैंड में। इस तरह जमावडा हुआ बेंगलुरु में बीजेपी का। मजेदार बात बताएं। कन्नड भाषियों में मारवाडियों के दबदबे की। वर्किंग कमेटी का सारा बंदोबस्त अपने राजस्थानी लहर सिंह ने संभाला।
अपनी बात हुई। तो बोले- 'पिछले बीस दिन सोए नहीं।' ढाई सौ वर्करों की टीम की रहनुमाई कर रहे थे लहर सिंह। बेंगलुरु में अपन को राजनाथ के होर्डिंग ज्यादा दिखे। आडवाणी के कम। अपन ने पूछा। तो लहर सिंह बोले- 'गिन कर देख लो। दोनों के होर्डिंग बराबर।'
शायद लोकसभा चुनाव से पहले आखिरी वर्किंग कमेटी। सो सारा जोर आडवाणी को प्रोजैक्ट करने पर। वाजपेयी ने राजनाथ के हाथ आशीर्वाद भेजा। कहा- 'सारा जोर आडवाणी को पीएम बनाने पर लगा दो।' सो राजनाथ के भाषण में तीन बार आडवाणी को पीएम बनवाने की बात आई। इस बार राजनाथ ने भोपाल वाली गलती नहीं दोहराई। भोपाल में वाजपेयी की चिट्ठी से बवाल हो गया था। चिट्ठी पर वाजपेयी के दस्तखत नहीं थे। यों फच्चर की कोशिश तो इस बार भी हुई। मंगलवार को वाजपेयी हनुमान के मंदिर क्या गए। अटकलबाज मैदान में आ गए। राजनाथ बेंगलुरु आने से पहले वाजपेयी से मिले। इस बार वाजपेयी ने साफ कह दिया- 'अब आडवाणी, सिर्फ आडवाणी।' अपन ने गुरुवार को लिखा था- 'वाजपेयी ने संसद मार्ग अब आडवाणी के लिए छोड दिया।' पर इस बार यूपी का नया बवाल खड़ा हो गया। अरुण जेतली की चुनावी रणनीति में अजित सिंह से गठबंधन। इससे नाराज हो कर कल्याण सिंह-विनय कटियार नहीं आए। पर रविशंकर प्रसाद ने कहा- ' गठबंधनों का फैसला पार्लियामेंटरी बोर्ड करेगा।' बात गठबंधनों की चली। तो तमिलनाडु में जयललिता से अंदरखाते बात बता दें। रविशंकर प्रसाद से पूछा। तो उनने डीएमके को खारिज कर दिया। रामसेतु का मुद्दा और और डीएमके साथ-साथ कैसे चलेंगे। बीजेपी इस बार रामसेतु, अमरनाथ यात्रा, 370 धारा, आतंकवाद, मुसलिम परस्ती मुद्दे बनाएगी। यह राजनाथ के भाषण में साफ दिखा। एटमी करार का विरोध तो हुआ। यूरेनियम सप्लाई की गारंटी का नया विवाद भी उछला। जो अपन ने कल लिखा ही था। पर बीजेपी अब एटमी करार से ज्यादा चीन पर हमलावर। अपन मनमोहन की नई मुसीबत बता दें। करार की पूरी पोल खुलने लगी। चीन न्यूक टेस्ट करने को तैयार। पाकिस्तान से न्यूक टेस्ट करवाएगा चीन। पर मनमोहन सिंह ने अपने हाथ-पांव बांध दिए। वहीं पहुंच गए, जहां से इंदिरा गांधी ने शुरू किया था। यानि 1974 से पहले। न अपन एटमी ताकत रहे, न कभी बन जाएंगे अब। यूरेनियम की बिना रुकावट सप्लाई की गारंटी भी नहीं। आज मनमोहन पर आडवाणी का हमला कुछ और तेज होगा।
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