उमा भारती की सीडी पर अरुण जेटली के सबूत भारी पड़े। उमा भी अजीब-ओ-गरीब। एटमी करार का विरोध किया। करार पर सरकार गिरने की नौबत आई। तो सरकार बचाने वाले अमर सिंह से जा मिली। इसे कहते हैं- विनाशकाले विपरीत बुध्दि। अब जेटली के निशाने पर अमर सिंह। राजनाथ के बीजेपी चीफ बनने के बाद जेटली पहली बार इतने एक्टिव। इसकी वजह भी अपन बता दें।
सीएनएन को स्टिंग का मीडिया पार्टनर जेटली ने ही बनवाया था। सो जेटली की हालत जख्मी शेर जैसी। खरीद-फरोख्त साबित करना अब जेटली की प्राथमिकता। किशोर चंद्र देव कमेटी से साबित न हुआ। तो अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे। कांग्रेस को भी इसकी भनक लग चुकी। अपन को तो जल्द लोकसभा भंग होने का अंदेशा। जेटली जैसा वकील जी-जान से लग जाए। तो अमर सिंह क्या। सो अमर सिंह के हाथ-पांव फूल चुके। कांग्रेस बचाव करने को तैयार नहीं। सो सोमवार को अपने बचाव में मुलायम-लालू-पासवान को उतारा। इस पर जेटली ने पीएम पर हमला बोला। कहा- 'क्या उनने केबिनेट कमेटी ऑन फारजरी और फेब्रिकेशन बना दी है।' पर बात अमर सिंह की। उनने दूसरा रास्ता जेटली को समझाने-बुझाने का भी अपनाया। प्रेस कांफ्रेंस में बाकी तो हमलावर थे। पर खुद अमर सिंह बचाव मुद्रा में। जेटली से बोले- 'तेरा-मेरा शीशे का घर। मैं भी सोचूं, तू भी सोच। तेरे-मेरे हाथ में पत्थर। तू भी सोच, मैं भी सोचूं।' किसी ने यह शे'र जेटली को सुनाया। तो वह ठहाका लगाकर हंसे। बोले- 'मैं शीशे के घर में नहीं रहता।' मुलायम-लालू-पासवान ने कई चंडूखाने की दलीलें दी। पर अमर सिंह तो संजीव सक्सेना में ही उलझे रहे। पहले दिन बोले- 'मैं किसी संजीव सक्सेना को नहीं जानता।' दूसरे दिन बोले- 'बहुत पहले कभी मिला होगा।' फिर बोले- 'मेरे यहां से इक्कीस जुलाई को छोड़ गया था।' जेटली ने इतवार को बताया- 'अमर सिंह की बीस जुलाई की प्रेस कांफ्रेंस का न्यौता संजीव के मोबाइल से गया था।' तो अब अमर सिंह बोले- 'वह तो शाहिद सिद्दीकी के साथ काम करता था। उसी के साथ 19 जुलाई को चला गया।' पर अपने बुजुर्ग बता गए हैं- 'झूठ के पांव नहीं होते।' सो जेटली ने सोमवार को नया प्रूफ दिया। संजीव के बेटे समरथ ने दयाल सिंह कालेज का फार्म भरा। तो उस पर संजीव ने दस्तखत किए। अपनी नौकरी लिखी है- 'मैनेजर।'अपने दफ्तर का पता लिखा- '27-लोधी एस्टेट।' यानी वह सिद्दीकी के साथ काम नहीं करता था। वह अमर सिंह का मैनेजर था। अमर सिंह के पास इन सबूतों का जवाब नहीं। पर उनने भी एक सीडी जांच कमेटी को सौंप दी। जांच कमेटी को सौंपी सीडी में दो बातें। पहली- 'संजीव सक्सेना ने अर्गल को नकदी जरूर पहुंचाई। पर संजीव चला था सिद्दीकी के घर से। पैसे लिए जेटली के घर से। पहुंचाए अर्गल के घर।' यह सीडी उमा से मिलती-जुलती। दूसरी बात- 'सीडी में फग्गन सिंह कुलस्ते ने अमर सिंह से मुलाकात का खंडन किया।' कुलस्ते की बात पर जेटली बोले- 'कांट-छांट कर बनाई सीडी सबूत नहीं होती। कुलस्ते खुद जांच कमेटी को लिखित में दे चुके।' बात जांच कमेटी की। सोमवार को कमेटी की दूसरी मीटिंग हुई। सीएनएन-आईबीएन वाली सीडी देखी गई। अपन बता दें- सीडी की क्वालिटी खराब नहीं। बस एक ही खामी। विजुअल और ऑडियो अलग-अलग। चैनल को दोनों मिलाकर देने को कहा जा सकता है। यों शाम तक सभी मेंबरों को ट्रांसक्रिप्ट मिल चुका था। मीटिंग के बाद किशोर चंद्र देव बोले- 'उमा-अमर की सीडी जरूरत पड़ी, तो देखेंगे।' अब फिलहाल सात को तीनों सांसद तलब। ग्यारह को सीएनएन-आईबीएन तलब। यानी जांच तय वक्त पर पूरी नहीं होगी। पर बात शीशे के घर पर बैठकर पत्थर मारने की। सोमवार को चौंकाने वाली बात तो कांग्रेस दफ्तर में हुई। जहां जयंती नटराजन ने अमर सिंह का बचाव करने से परहेज किया। तो क्या कांग्रेस अमर सिंह के कामों से पल्ला झाड़ने के मूड में। यूपीए में फूट पड़ी (लक्षण तो दिखाई देने लगे।) तो लोकसभा जल्दी भंग होगी ही। जेटली कह रहे थे- 'जो होम मिनिस्टर बनने का ख्वाब देख रहे थे, वह अब अपने 'होम' जाएंगे।'
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