अपन ने बीस जुलाई को लिखा था- 'सरकार बची तो बीजेपी के कारण ही बचेगी।' आखिर वही हुआ। बीजेपी के 127 वोट पड़ने थे। वाजपेयी समेत चारों बीमार स्टेचर पर आए। पर बीजेपी खेमे से वोट पड़े 121 ही। तीन और यूपीए के खेमे में चले गए। एक आकर एबस्टेन कर गया। दो ठीक वोटिंग के समय गायब हो गये। अपन की लिस्ट 268-268 की थी। पर यूपीए को मिले 275 वोट। विपक्ष में पड़े 256 वोट।
यूपीए में जब नेशनल कांफ्रेंस के दो जुड़ गए। तो 270 हो गए थे। विपक्षी खेमे के पांच वोट यूपीए को पड़े। दो बीजेपी के, दो टीडीपी के, एक जेडीएस का। पर इतना ही नहीं। यूपीए खेमे से बीजेपी के बागी सोमाभाई जाने ही थे। शिवसेना के बागी तुकाराम पहले ही चले गये थे। जेडी यू का एक बागी भी गायब था। यानी विपक्षी खेमे से तीन वोट और टूटे। विपक्षी खेमे के सात सांसद गायब न होते। तो विपक्ष में 263 वोट तो पड़ते ही। विपक्ष के गायब थे ममता, डब्ल्यू वांगयू, एस एस लिबरा, के जार्ज फ्रांसिस, चंद्रभान सिंह और हरिभाई राठौर। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका तो कर्नाटक में लगा। कर्नाटक के सांसद सांगलियान और मंजूनाथ कुनूर ने भी यूपीए को वोट दिया। कर्नाटक के ही बीजेपी एम पी मनोरमा मदवाराज ने एबस्टेन किया। जेडीएस के शिवन्ना को अपन बीजेपी में बता रहे थे। पर उनने यूपीए को वोट दिया। कर्नाटक में राज आ गया। पर कर्नाटक से ही यूपीए को चार वोटों का फायदा हुआ। मध्यप्रदेश के अशोक अर्गल और फग्गन सिंह कुलस्ते ने तो यूपीए का स्टिंग ऑपरेशन कर दिया। पर दमोह के सांसद चंद्रकांत और महाराष्ट्र के हरिभाई राठौर वोट के वक्त खिसक गए। कांग्रेस सोमवार को मध्यप्रदेश, कर्नाटक, गुजरात का दावा ठोक रही थी। वह नब्बे फीसदी सही निकला। सिर्फ गुजरात में सेंध नहीं लगी। एनडीए को जमकर झटका लगा। यूएनपीए भी नहीं बचा। एनडीए से जद यू के दो सांसद गायब हुए। अकाली दल के एसएस लिबरा नदारद दिखे। नगालैंड से डब्ल्यू वांगयू नहीं आए। ममता बनर्जी तो गायब होनी ही थी। तेलगूदेशम के एम. जगन्नाथ और आदिकेश्वरलू नायडू ने यूपीए को वोट दिया। लेफ्ट खेमे के केरल कांग्रेसी जार्ज फ्रांसिस गायब हो गए। कांग्रेस से कुलदीप विश्नोई ही बागी हुए। कांग्रेस के दूसरे बागी अरविंद शर्मा ने आया राम, गया राम याद कराया। सोमवार को दो बार पाला बदले थे। मंगलवार को फिर कांग्रेस की झोली में आ गिरे। बोले- 'कांग्रेस तो मेरी माई-बाप।' अपन ने लोकसभा का ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा। सोमवार को ही साफ था- सरकार तो जीतेगी। याद करो, अपन ने लिखा था- 'एक कांग्रेसी मंत्री बोला- हम बीजेपी जैसे मूर्ख नहीं। जो एक वोट पर सरकार गिरने दें।' वही हुआ। जमकर खरीद-फरोख्त हुई। मंगलवार को उसके सबूत भी मिले। सोमवार को मनमोहन सिंह ताल ठोककर कह रहे थे- 'कोई भी आरोप लगा सकता है। कोई सबूत है तो सामने लाएं।' अपन ने सोमवार को ही सबूतों को सूंघ लिया था। अपन जब सेंट्रल हाल में शिवराज सिंह चौहान के साथ बतिया रहे थे। तो अशोक अर्गल-फग्गन सिंह कुलस्ते आकर शिवराज को उठा ले गए। मंगलवार को कुलस्ते और महावीर भगोरा के साथ अशोक अर्गल वैल में पहुंचे। दो बैग खोलकर हजार-हजार के नोटों की गड्डियां निकालने लगे। तो अपना माथा ठनका। असल में अर्गल और कुलस्ते को उस समय फोन आ रहे थे। जब उनने शिवराज चौहान को बताया था। रात को दोनों अमर सिंह से मिले। अहमद पटेल से फोन पर बात भी हुई। सुबह एक करोड़ रुपए की अदायगी हो गई। लोकसभा में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। पच्चीस-पच्चीस हजार वाले ग्यारह सांसद बर्खास्त कर दिए गए। पच्चीस-पच्चीस करोड़ पाकर विपक्ष के वोट सरकारी हो गए। उनकी सदस्यता भी कायम। अगले चुनाव का बंदोबस्त ही नहीं। पोते-पोतियों का भी बंदोबस्त हो गया। मनमोहन सरकार जीत भले गई। पर साख नहीं बची। नरसिंह राव से भी आगे निकल गए मनमोहन सिंह।
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