पोलित ब्यूरो करेगा दादा का फैसला

Publsihed: 20.Jul.2008, 20:39

राष्ट्रपति के चुनाव में यूपीए से वोट तो नहीं मिले। एनडीए के अपने ही टूट गए थे। अपन को अबके विश्वासमत पर भी वैसा होने की आशंका। इसीलिए अपन ने इतवार को लिखा- 'सरकार बची तो बीजेपी के कारण ही बचेगी।' हू-ब-हू वही होता दिखने लगा। इतवार को ही बीजेपी के दो सांसद टूट गए। दो जनता दल यू के भी टूट गए। एक शिवसेना का भी टूट गया। अपन इस बहस में नहीं जाते- बीजेपी का सोमाभाई सस्पेंड था। बीजेपी का दूसरा बृजसरन दागी था। बीजेपी से दो ही घटते। तो गनीमत था। धर्मेन्द्र और कांतप्पा बिस्तर पर। दोनों के आने की अब बीजेपी को उम्मीद नहीं। पर बीजेपी को ममता बनर्जी के आने की उम्मीद। पर बात एनडीए से टूटने वालों की। जनता दल यू के लक्षद्वीप से सांसद कोया टूटे। तो नालंदा से रामस्वरूप। कोया जार्ज के खास। तो रामस्वरूप नीतीश कुमार के। जैसे अनंत कुमार अपने सांसदों को टूटता देख भागे। वैसे ही जार्ज दो साल बाद जनता दल की मीटिंग में गए। रामस्वरूप तीस साल कांग्रेस में रहे। बिहार में कांग्रेस की लुटिया डूबी। तो जनता दल में आ गए। नीतीश कुमार सीएम बने। तो अपनी नालंदा सीट रामस्वरूप को दी थी। अब कोया-रामस्वरूप को मनाने की जिम्मेदारी जार्ज-नीतीश की। भरोसेमंदों की मानें। तो दोनों मंगलवार तक लौट आएंगे। ऐसा नहीं जो सिर्फ टूटे ही हों। आंध्र प्रदेश के ए. नरेंद्र को बीजेपी ने पटा लिया। वह सारी उम्र संघी-भाजपाई रहे। वेंकैया नायडू से छत्तीस का आंकड़ा बना। तो बीजेपी छोड़ टीआरएस में गए थे। वहां चंद्रशेखर राव से नहीं पटी। तो अलग हो गए। अब जब वोट की जरूरत पड़ी। तो इतवार तक यूपीए के साथ थे। इतवार को खुद वेंकैया नायडू ने मान-मनोव्वल की। बीजेपी ने अब उसे अपनी लिस्ट में रखा है। बीजेपी की लिस्ट बताएं। तो टूट-फूट, गैर हाजिरी के बाद ममता समेत 270 हो गए। मजेदार बात यह- यूपीए दो को पटाती है। तो तीन खिसक जाते हैं। पतनाला वहीं का वहीं। इतवार सुबह शिबू सोरेन काबू में आए। तो देवगौड़ा-अजित खिसक गए। लद्दाख के थुप्सत्न चेवांग कल तक कांग्रेस के साथ थे। बीजेपी नेताओं से मुलाकात के बाद अंडरग्राउंड हो गए। नार्थ-ईस्ट के मणिचेरनामई -वनलालवजमा कल तक यूपीए की लिस्ट में थे। मणिचेरनामई विपक्ष में चले गए। वनलालवजमा से आस्कर-पृथ्वीराज का मोल-भाव जारी। भरपाई के लिए नगालैंड के डब्ल्यू वांगयू पर डोरे डाले। नगालैंड में नेफ्यूरियो की सरकार थी। कांग्रेस ने चुनाव से पहले राष्ट्रपति राज लगा दिया। चुनाव में हार गई। नेफ्यूरियो फिर मुख्यमंत्री बन गए। पर अबके बीजेपी-एनसीपी की मदद से। यों नार्थ-ईस्ट में एनसीपी का अलग करेक्टर। वहां पीए संगमा का दबदबा। जो कांग्रेस के साथ कतई नहीं। इसलिए नगालैंड में बीजेपी-एनसीपी एक साथ। पर अब शरद पवार सरकार बचाने में जुटे। तो इतवार को नेफ्यूरियो की दिल्ली में मान-मनोव्वल शुरू हुई। पर बीजेपी को वांगयू के साथ रहने की उम्मीद। सरकार गिराने वालों से बचाने वाले ज्यादा एक्टिव। मोल-भाव का ठेका अबके कमलनाथ के पास। शिबू के चारों सांसद तोड़कर मजबूर करने की रणनीति लाजवाब रही। एक तरफ तोड़-फोड़, जोड़-तोड़ जारी। तो दूसरी तरफ बयानबाजों की लफ्फाजी। मुलायम तीसरे मोर्चे का पीएम प्रोजेक्ट होने की फिराक में थे। पर जब वक्त आया। तो अचानक बाजी मायावती मार गई। सो इतवार को मुलायम खिजे हुए थे। वामपंथियों पर भी जमकर खिज उतारी। बोले- 'लाल झंडा और लाल कृष्ण आडवाणी एक साथ हो गए।' लेफ्टियों को लफ्फाजी कहा। चंद्रबाबू नायडू के बारे में बोले- 'छज्ज तो बोले, सो बोले। छलनी भी बोल रही है। जिसमें बहत्तर छेद।' राजनीति में लोग कैसे भाषा बदल लेते हैं। यह इसका जीता-जागता सबूत। करात भी क्यों चुप रहते। उनने कहा- 'मुलायम ने पहली बार धोखा नहीं दिया। पहले भी दो बार धोखा दे चुके। पहले 1999 में वाजपेयी सरकार गिराने के बाद। फिर केआर नारायणन को राष्ट्रपति बनाने के मुद्दे पर। अब एटमी करार पर तीसरा धोखा।' पर लेफ्ट की बात चली। तो बताते जाएं- सोमनाथ चटर्जी का मामला खत्म नहीं हुआ। फैसला पोलित ब्यूरो करेगी। सोमनाथ की पैरवी करने वाले सुभाष चक्रवर्ती की निंदा से अंदाज लगा लो। विश्वास मत के बाद सोमनाथ की खाट खड़ी होगी।

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