हार-जीत सिर्फ इन चौदह सांसदों की मुट्ठी में ही

Publsihed: 15.Jul.2008, 07:33

मनमोहन की किस्मत अगले मंगलवार तय होगी। मंगल और शनि का मिलन कैसा रहेगा। ज्योतिषियों ने भी घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए। आधे ज्योतिषी ठीक निकलेंगे। आधे गलत साबित होंगे। जमा-घटाओ ही तेज नहीं हुआ। अब अफवाहों का बाजार भी तेज। सोमवार की अफवाहें सुनिए। बीजेपी के तीन सांसद एबस्टेन करेंगे। यानी तटस्थ रहेंगे। गैर हाजिर भी रह सकते हैं। आठों अकाली भी एबस्टेन रहेंगे। ममता बनर्जी भी बीच का रास्ता अपनाएंगी। भाषण देकर वाकआउट करेंगी। वोट के समय गायब हो जाएंगी। एबस्टेन करेंगी, वगैरह-वगैरह। पर असली खबरें- सरकारी कैंप से पांच सांसद खिसक चुके।

कांग्रेस के कुलदीप विश्नोई। मुलायम खेमे से मुनव्वर, भदोरिया, रावत, अतीक अहमद। करात से मुलाकात के बाद मायावती की हिम्मत बढ़ गई। उनने सपा कैंप में घोड़े दौड़ा दिए। अपन अफवाहों पर भरोसा करें। तो अगले मंगलवार तक दो-चार और ले मरेंगी। आज की तारीख में कांग्रेस के पास सिर्फ 262 सांसद। कुलदीप विश्नोई के बाद 152 सोनिया के। चार घटाकर 36 मुलायम के। लालूवादी चौबीस। करुणानिधि के सोलह। शरद पवार के ग्यारह। रामदौस के छह। अपन को आखिरी दिन इनके खिसकने का डर। पासवान के चार। वाईको की पार्टी से टूटे दो। इन ढाई सौ सांसदों के अलावा बारह इक्का-दुक्का। ताकि आप किसी भुलावे में न रहें। सो आप उनके नाम भी नोट कर लें। ओवेसी, देलकर, जार्ज फ्रांसिस, महबूबा, ई. अहमद, आठवाले, नुकुल दास, नरेंद्र, वनलालवमा, बालेश्वर यादव, थुप्सत्न चेवांग, विसमुथारी। सरकार के खिलाफ अब 265 पक्के। ममता के एबस्टेन रहने की बात अपन ने बता ही दी। पीसी थामस को वोट का हक नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने सदन में बैठने की इजाजत भर दे रखी है। दो सीटें खाली- बेल्लारी और मेरठ। अब दारोमदार पांच पार्टियों के चौदह सांसदों पर। शिबू सोरेन के पांच। देवगौड़ा के दो, अजित सिंह के तीन, चंद्रशेखर राव के दो, उमर अब्दुल्ला के दो। सभी से बातचीत जारी। राजनीति-आर्थिक दोनों। आर्थिक की बात चली। तो बताते जाएं- अभिषेक मनु सिंघवी सोमवार को एबी वर्धन पर दहाड़े। उनने कांग्रेस पर खरीद-फरोख्त का आरोप मढ़ा था। वैसे एक सांसद ने कहा है - 'मुझे पच्चीस करोड़ की ऑफर हुई।' अपने पास भरोसा न करने की कोई वजह नहीं। अपन कांग्रेस का इतिहास न जानते हों। तो आरोप हवा में उड़ाएं। बात आरोपबाजी की चली। तो सोमवार को हुई बाकी प्रेस कांफ्रेंस भी बता दें। भाजपा के शौरी ने सेफगार्ड ड्राफ्ट के परखचे उड़ाए। करात ने कांग्रेस की अमेरिकीपरस्ती पर एक और हमला किया। कहा- 'अमेरिकी दबाव में ईरान के खिलाफ वोट किया। अमेरिकी दबाव में ईरान-पाक-भारत गैस पाईप लाईन खटाई में। अमेरिका की ज्यादा फिक्र। आम आदमी की जरा नहीं।' बात ईरान की चली। तो बताएं नई खबर- 'अमेरिका ने इजराइल से ईरान पर हमले की तैयारी करने को कहा है।' मनमोहन सरकार की नई मुसीबत। सो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नवतेज सरन बोले- 'खबर से भारत फिक्रमंद। सैनिक कार्रवाई एटमी प्रोग्राम का हल नहीं।' पर बात एटमी करार की। यशवंत सिंह बोले- 'न बृजेश मिश्र रहेंगे, न अब्दुल कलाम। न मनमोहन सिंह रहेंगे, न यशवंत सिन्हा। रहेंगे, हाईड एक्ट, वनटूथ्री, सेफगार्ड। जो भारत के हाथ-पांव बांध चुके होंगे।' खैर आरोपबाजी तो अभी और शबाब पर आएगी। शराबखोरी का दौर भी चलेगा। अपन को 1993 का वह दिन नहीं भूलता। जब सदन में राव की अग्नि परीक्षा थी। तो दो सांसद गिरते- लुढ़कते सदन में आए थे। सदन में जमकर हंगामा हुआ। अब अपनी निगाह अगले सोम-मंगल पर। तब तक लेफ्ट-राईट की जुगलबंदी शुरू। किसी ने पूछा तो यशवंत सिन्हा बोले- 'मीडिया वालों को भी और काम नहीं। सरकार अविश्वास प्रस्ताव रखेगी। जो सरकार के खिलाफ होगा वोट डालेगा। हम अपना वोट डालेंगे, लेफ्ट अपना वोट डालेगा।' करात ने ज्यादा करारा जवाब दिया- 'बीजेपी के साथ मिलकर वीपी सरकार गिराने वाली कांग्रेस हमें सबक न सिखाए।' वैसे बीजेपी के हौवे पर आप कांग्रेस में छाई दहशत को समझिए। बहुमत की डींगे तो गुलाम नबी आजाद भी हांक रहे थे।

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