गुर्जरों के आंदोलन की आंच दिल्ली पहुंची। तो दिल्ली की राजनीतिक हलचल तेज हो गई। अपनी वसुंधरा ने गेंद केंद्र के पाले में फेंकी। तो मनमोहन ने हंसराज भारद्वाज के पाले में। अब भारद्वाज के पाले से गेंद फिर वसुंधरा के पाले में। इससे साबित हुआ- 'धरती गोल है।' राजनीति का चक्र घूमना शुरू। कर्नाटक के बाद अब सोनिया बाकी राज्य बचाने में जुटी। सो मुकुल वासनिक, वीरेंद्रसिंह, पी सी जोशी, हेमाराम चौधरी दौरा करेंगे। टीम में अपने गहलोत का नाम नहीं। टीम आंदोलन के शहीदों के घर जाएगी। हमदर्दी के दो शब्द कहेगी। जरूरत पड़ी तो स्टेंड पर भी आधा-अधूरा ही सही। मुंह खोलेगी।
पर असली मकसद लौटकर सोनिया को रिपोर्ट देना। यानी कांग्रेस अब खुलकर खेलने को तैयार। यह बात होम मिनिस्ट्री की मीटिंग से भी लगी। खुद शिवराज पाटिल ने मीटिंग ली। होम सेक्रेटरी मधुकर ने एनसीआर के राज्यों को अलर्ट किया। गुर्जरों का आंदोलन बुधवार को एनसीआर में भी दिखा। गुरुवार को मुकम्मल बंद की तैयारी। लालू को सबसे ज्यादा खतरा रेल पटरियों का। सो उनने जहां आंदोलन को समर्थन दिया। वहां रेल पटरियां न उखाड़ने की गुहार भी लगाई। पर बात कांग्रेस की। बुधवार को बारी जयंती नटराजन की थी। उनने वसुंधरा पर जहर बुझे तीर चलाए। कांग्रेस के तेवरों से राजस्थान की राजनीतिक जंग का आभास होने लगा। पर सोनिया जब राजस्थान की रणनीति बना रही थी। तभी नारायण राणे मुंबई से आ धमके। उनने सोनिया को दो टूक कह दिया- 'बस अब और नहीं। हफ्ते दस दिन में विलासराव को निपटा दो। मेरे सब्र का प्याला भर गया।' राणे अब सीएम पद का दावा छोड़ने को भी राजी। भले शिंदे जाएं या कोई और। पर विलासराव निपटने चाहिए। राणे प्रदेश अध्यक्ष बनने को भी राजी। लगता है राणे को अब भी कांग्रेस की समझ नहीं आई। सवाल यह है- राणे को सीएम बना कौन रहा था। प्रदेश अध्यक्ष की पेशकश भी किसने की। राणे पुराना वादा लिए घूम रहे हैं। जब वह कांग्रेस में आए थे। तो सीएम बनाने का वादा हुआ था। पर राणे जानते नहीं थे। कांग्रेस में वादे निभाने के लिए नहीं होते। सो राणे अब राज ठाकरे का दामन थामने की फिराक में। महाराष्ट्र की बात चली। तो अपन मुलायम की राजनीतिक बिसात बताते जाएं। अपने अमर सिंह ने संजय दत्त को न्योता दिया। साथ में यूपी से लोकसभा टिकट का वादा। ताकि सनद रहे सो याद कराते जाएं। सुनील दत्त जब मुंबई में कांग्रेस टिकट से लड़ रहे थे। तब संजय दत्त ने रामपुर में सपा की जयाप्रदा का प्रचार किया। अब टिकट के बहाने सुनील दत्त के परिवार में फूट की कोशिश। मनमोहन के नमक का ऐसा हक अदा करेंगे। सोनिया-मनमोहन ने सोचा नहीं होगा। मनमोहन ने तो नमक खिलाकर 'जेड' सुरक्षा की गिफ्ट भी दी। पर मनमोहन का नमक खाकर अमर सिंह परेशान। तीसरा मोर्चा टूट के कगार पर। मुलायम कांग्रेस के साथ जाएंगे। तो चंद्रबाबू, चोटाला कहां जाएंगे। जयललिता को पहले से शक था। सो वह वक्त रहते बिदक गई। तभी तो आडवाणी को एनडीए का दायरा बढ़ने की उम्मीद। पर तीसरे मोर्चे के चटकने से लेफ्ट ज्यादा परेशान। अब कांग्रेस लेफ्टियों की धमकी में क्यों आएगी। सो करात-येचुरी-वर्धन ने मुलायम को तलब किया। बुधवार को अमर सिंह सफाई देते दिखे। बोले- 'कांग्रेस में शिष्टाचार की वापसी हुई। इस पर मीडिया ज्यादा मतलब न निकाले।' राहुल को पीएम मेटीरियल बताने से इंकार किया। ताकि कांग्रेस विरोध की हवा बनी रहे। पर यूपी में कांग्रेस का बाजा तो मायावती बजाने लगी। सोनिया किस-किस राज्य को संभालेंगी। बुधवार को मायावती ने भी मोर्चा खोला। उनने अखिलेश दास के बाद नरेश अग्रवाल को भी टिकट दिया। वह भी एक के साथ एक फ्री वाली बाजारू नीति अपनाते हुए। बाप के साथ बेटे नितिन अग्रवाल को भी टिकट।
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