अपन ने कल जब लिखा- 'मुशर्रफ अब एलानिया अमेरिकी एजेंट। पाक में कोई साख नहीं। सो जो मुशर्रफ से सौदा करे। वह भी अमेरिकी एजेंट। बेनजीर की वापसी से ठीक पहले तालिबान ने धमकी दी।' तो अपनी आशंका साफ थी- हो, न हो तालिबानी फिदायिन हमला जरूर करेंगे। तालिबानी बेतुल्ला महमूद ने कह दिया था- 'बेनजीर का स्वागत फिदायिन करेंगे।' आखिर बेनजीर के काफिले पर फिदायिन हमला हो ही गया। अपन को रायसिना रोड का वह मंजर याद आया।
जब मनिंदर सिंह बिट्टा पर बम फेंके गए। अपन ने तब सड़क पर सिर-धड़-बाहें-टांगें बिखरी देखी थी। उससे भी भयानक नजारा गुरुवार को आधी रात के बाद कराची में दिखा। पर यह आतंकी हमला अमेरिका के खिलाफ। मुशर्रफ ने अमेरिकी दबाव में ही बेनजीर कबूल की। बेनजीर के आने से मुशर्रफ की चौकड़ी में भी हताशा। पीएम शौकत अजीज कतई खुश नहीं। उनने कुछ दिन पहले कहा था- 'बेहतर हो, बेनजीर-शरीफ चुनाव के बाद लौटें।' नवाज शरीफ को तो हवाई अड्डे से लौटा दिया। पर बेनजीर के मामले में अजीज की नहीं चली। अजीज के तेवर पौने दो सौ लाशों के बाद भी ठंडे नहीं हुए। उनने शुक्रवार को लाहौर में कहा- 'आवाम चुनाव में भ्रष्टाचारियों को ठुकरा दे।' सीधा निशाना बेनजीर ही थी। यों आतंकी हमले तो मुशर्रफ पर भी हुए। पर बेनजीर दोतरफा निशाने पर। एक तरफ अल कायदा और तालिबान। तो दूसरी तरफ जियाउल हक समर्थक फौज की टोली। जिसके निशाने पर फिलहाल मुशर्रफ नहीं। बेनजीर पर फिदायिन हमला तय था। तभी तो बीस हजार रेंजर-पुलिसिए लगाए गए। पर बेनजीर को तो मुशर्रफ सरकार पर ही शक। वैसे मुशर्रफ ने बेनजीर को फोन कर मिजाजपुर्सी की। मिजाजपुर्सी तो सिंधी भाई लाल कृष्ण आडवाणी ने भी की। बात हुई तो बेनजीर ने आडवाणी को पाक आने का न्यौता दिया। दो साल पहले आडवाणी जब कराची गए। तो बेनजीर खुद वनवास में थी। पर बात बेनजीर पर हमले की। शक के दायरे में आईबी चीफ ब्रिगेडियर एजाज शाह। हमला कैसे हुआ। जरा उसे समझ लें। बेनजीर का पहला सुरक्षा घेरा पीपीपी के वर्करों का था। जिसमें थे रिटायर्ड सिपाही और रेंजर। दूसरा घेरा सिंध पुलिस का था। जिसमें कुछ भुट्टो समर्थक होंगे। पर एमक्यूएम समर्थक भी। जो बेनजीर के खिलाफ। पर परवेज मुशर्रफ के साथ। तीसरा घेरा सफेद कपड़ों में आईबी का था। कोई बीस-इक्कीस साल के फिदायिन ने यही घेरा तोड़ा। बम-बम चिल्लाता हुआ ट्रक के पास तक जा पहुंचा। पर पीपीपी वर्करों का घेरा नहीं तोड़ सका। तो वहीं बम फेंक दिया। इसीलिए बेनजीर बच गई। शुक्रवार को लंदन टाइम्स ने कहा- 'विस्फोटों से एक घंटा पहले बेनजीर को बताया गया- फिदायिन हमले का खतरा।' इससे भी आईबी पर शक गहराया। हमले के बाद बिलावल हाऊस पहुंची बेनजीर ने 'पेरिस मैच' की रिपोर्टर से कहा- 'बिना लोकल मदद के तालिबान फिदायिन हमला नहीं कर सकते।' बेनजीर का शक आईबी चीफ एजाज पर। सो उसकी गिरफ्तारी की मांग उठाई। पर आईबी चीफ मुशर्रफ का खास-उल-खास। जरा एजाज का इतिहास बता दें। जब वह आईएसआई चीफ था। तो ओसामा लादेन और मुल्ला उमर का ख्याल रखने का जिम्मा था। मुशर्रफ ने नवाज का तख्ता पलट सत्ता संभाली। तो एजाज को पंजाब का होम सेके्रट्री बना दिया। तभी अमेरिकी खबरची डेनियल पर्ल की हत्या हुई। मुशर्रफ पर अमेरिकी दबाव पड़ा। तो उनने एजाज को राजदूत बनाने की कोशिश की। पर कोई देश तैयार नहीं हुआ। तो मुशर्रफ ने आईबी चीफ बना लिया। सुप्रीम कोर्ट ने आईबी के गुनाहों की फाइल खोली। तो एजाज के कहने पर ही मुशर्रफ ने जस्टिस इफ्तिकार चौधरी को बर्खास्त किया। अब मुशर्रफ पर अमेरिकी दबाव पड़ा। तभी एजाज हटेंगे। वरना कतई नहीं। कौन नहीं जानता। बुश ने भले ही बेनजीर को मुशर्रफ की ढाल बनाकर भेजा। पर अब पाक में भी तालिबान-आईएसआई का गठजोड़ मुशर्रफ पर भारी। बुश पर भी भारी।
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