बुश ने बनाया बेनजीर को मुशर्रफ की ढाल

Publsihed: 19.Oct.2007, 07:46

बेनजीर भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसी। तो अदालती फैसले से ठीक पहले इंग्लैंड भाग गई। बेचारे पति आसिफ अली जरदारी ने जेल की हवा खाई। बेनजीर दुबई-इंग्लैंड में दुबकी रही। हां, जरदारी के लिए दुआ करने अजमेर शरीफ जरूर आई। यों भी बेनजीर का अपने राजस्थान से गहरा रिश्ता। पर पहले आठ साल बाद लौटने पर कराची में हुए स्वागत की बात। अपनी बेटी के स्वागत में सारा शहर सड़कों पर आ गया। बेनजीर पहले उसी जिन्ना की मजार पर गई। जहां जाकर अपने आडवाणी संघ परिवार में अछूत हो गए थे। आडवाणी-बेनजीर दोनों सिंधी। अब राजस्थानी रिश्ते की बात। बेनजीर के दादा थे जूनागढ़ के वजीर-ए-आजम सर शाहनवाज भुट्टो। शाहनवाज की दूसरी पत्नी रतन बाई अपने जोधपुर की थी।

जो बाद में खुर्शीद हो गई। सो बेनजीर की दादी राजस्थानी। रतनबाई के भाई पुरुषोत्तम रतनलाल आखिर तक जोधपुर में थे। जिनके पास भांजे जुल्फिकार की चिट्ठियां आती रहीं। अब बेनजीर की बात। जुल्फिकार की दूसरी ईरानी बीवी नुसरत की बेटियां हैं बेनजीर-सनद। बेटे थे मुर्तजा और शाहनवाज। जुल्फिकार को जियाउल हक ने 1979 में तख्ता पलट फांसी दे दी। बड़ा बेटा शाहनवाज 1985 में फ्रांस में मरा पाया गया। दूसरे बेटे मुर्तजा को 1996 में राष्ट्रपति फारुक लेघारी ने मरवा दिया। जिस शख्स की हत्या में भुट्टो को फांसी हुई। वह पाक के मौजूदा विदेशमंत्री मुहम्मद कसूरी के पिता थे। जियाउल ने बेनजीर को भी कई बार जेल में डाला। फिर 1984 में देश निकाला दे दिया। दो साल बाद इंग्लैंड से लौटी। तब भी बेनजीर का हू-ब-हू ऐसा ही स्वागत हुआ था। जियाउल हक 1988 में हवाई हादसे में मारे गए। तो पाक में लोकतंत्र लौटा। चुनाव के समय बेनजीर गर्भवती थी। फिर भी चुनाव जीतकर पीएम बनी। पर एक मजेदार बात बताते जाएं। बेनजीर दो बार पीएम बनी। दोनों बार पीएम रहते प्रेगनेंट हुई। बेनजीर की पार्टी का नाम पीपीपी। यानी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी। पर लोग मजे से परमानेंट प्रेगनेंट प्राइम मिनिस्टर कहते थे। पहली बार पीएम बनी। तो बीस महीने में ही फौज से टकराव हो गया। भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दी गई। दूसरी बार 1993 में फिर पीएम बनी। तो राष्ट्रपति लेघारी ने भी भ्रष्टाचार के आरोपों में बर्खास्त कर दिया। चुनाव में भुट्टो की पीपीपी हार गई। नवाज शरीफ भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनाव जीते। तो बेनजीर पर मुकदमा चला। फैसले से ठीक पहले 1999 में बेनजीर इंग्लैंड चली गई। अदालत ने बेनजीर की राजनीति पर रोक लगा दी। पति आसिफ अली जरदारी को जेल में डाल दिया। हालांकि यह अदालती फैसला बाद में रद्द हुआ। पर बेनजीर आठ साल से इंग्लैंड में ही रही। हालांकि भारत में आती-जाती रही। पर राजनीति की चक्कर घिनी ऐसी। ऐसे को तैसा मिल ही जाता है। नवाज शरीफ ने बेनजीर का जीना हराम किया। तो नवाज शरीफ का जीना परवेज मुशर्रफ ने हराम कर दिया। बेनजीर तो मजबूरी में भागी। नवाज शरीफ को मुशर्रफ ने देश निकाला दिया। पर पिछले साल इंग्लैंड में बेनजीर-नवाज मिले। तो मुशर्रफ के खिलाफ जुगलबंदी की। जो ज्यादा देर नहीं चली। शरीफ पाक आने की तैयारी कर रहे थे। तो मुशर्रफ का नुमाइंदा दुबई में बेनजीर से सौदा कर रहा था। खैर दस सितंबर को शरीफ पाक लौटे। तो चार घंटे हवा खिलाकर सऊदी अरब भेज दिए गए। पर 18 अक्टूबर को बहन सनद के साथ बेनजीर लौटी। तो सिर्फ कराची ने पलक पावड़े नहीं बिछाए। अलबत्ता सौदा वाया अमेरिका हुआ था। सो मुशर्रफ सरकार ने भी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया। मुशर्रफ अब एलानिया अमेरिकी एजेंट। पाक में कोई साख नहीं। सो जो मुशर्रफ से सौदा करे। वह भी अमेरिकी एजेंट। बेनजीर की वापसी से ठीक पहले तालिबान ने धमकी दी। सो बीस हजार सिपाही-रेंजर सुरक्षा पर लगाए। गुरुवार को बेनजीर को लोगों ने सिर-आंखों पर बिठाया। पर यह कितने दिन? कौन नहीं जानता बुश ने बेनजीर को मुशर्रफ की ढाल बनाकर भेजा।

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