क्या रोज-रोज महंगाई का घिसा-पिटा सवाल पूछते हो

Publsihed: 03.May.2008, 04:43

अपन बेटी को रेलवे स्टेशन छोड़ने गए। तो वहां पर जाकर पता चला। वह कंटेक्ट लैंस की डिब्बी भूल आई। अपन ने सोचा मार्केट से खरीदकर नई दे देंगे। सो अपन मार्केट में घुसे। तो पता चला दिल्ली में हड़ताल थी। महंगाई के खिलाफ शुक्रवार को पूरे देश में हड़ताल रही। दिल्ली पर तो महंगाई का सबसे ज्यादा असर। वैसे हर बंदे को अपनी थाली का लड्डू छोटा लगता है। सो अपन को दिल्ली की महंगाई सबसे ज्यादा लगती है। अपन यह नहीं कहते- देश की बाकी जगहों पर महंगाई कम। ऐसा होता- तो केरल, असम, मेघालय जैसे राज्यों में हड़ताल इतनी सफल नहीं होती। अपन ने इन जगहों का नाम जान-बूझकर लिखा। वरना राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, यूपी, एमपी, एचपी, जेके में भी हड़ताल कम सफल नहीं हुई।

केरल-असम-मेघालय में बीजेपी की कोई औकात नहीं। फिर भी हड़ताल सफल रही। तो जनता की नाराजगी जग-जाहिर हुई। वरना कांग्रेस तो कहती है- 'हड़ताल कोई मुद्दा नहीं।' कांग्रेस के हरकारे ने क्या कहा। उसका जिक्र अपन बाद में करेंगे। पहले बात दिल्ली की हड़ताल पर। एक खान मार्केट ही खुली थी। उसमें घुसे तो भीड़ में फंस गए। बामुश्किल ट्रेन चलने तक कंटेक्ट लैंस की डिब्बी पहुंचा पाए। मतलब यह- महंगाई से आवाम दु:खी। तो हड़ताल से भी मुश्किलों का पहाड़। जनता जाए, तो किधर जाए। मनमोहन-चिदंबरम से सुनते-सुनते अपने कान पक गए। पर वे यह कहते नहीं थके- 'महंगाई पर जल्द काबू पा लिया जाएगा।' शुक्रवार को महंगाई ने एक सीढ़ी और चढ़ ली। अब मुद्रास्फीति 7.57 हो गई। पहले पहल अपन ने अभिषेक मनु सिंघवी के मुंह से सुना- 'सरकार के पास कोई जादू की छड़ी नहीं।' तो अपन को जोरदार झटका लगा। सत्ता का इतना घमंड अपन ने पहले न देखा, न सुना। फिर तो यही बात हर कोई दोहराने लगा। कपिल सिब्बल से लेकर मनमोहन सिंह तक। आम आदमी कांग्रेस के एजेंडे से कैसे काफूर हुआ। यह इन बयानों से जाहिर। पहले अपन कांग्रेसियों के मुंह से सुनते थे- 'भ्रष्टाचार कोई मुद्दा नहीं।' अब कांग्रेस महंगाई को भी मुद्दा नहीं मानती। कांग्रेस ने राहत की सांस ली। जब एक चैनल और अखबार ने मिलकर चुनावी सर्वेक्षण में नतीजा निकाला- 'वोटर महंगाई को कोई मुद्दा नहीं मानते।' गरीब अब सरकार के लिए उतने सिरदर्द नहीं। जितने सत्तर के दशक में हुआ करते थे। एनडीए सरकार गरीबों को भूल गई थी। मिडिल क्लास ही एनडीए के एजेंडे पर थे। सो सोनिया गांधी ने आम आदमी को जमकर लुभाया। पर यूपीए सरकार 'मिडिल क्लास' से तो खार खाए बैठी है। 'आम आदमी' को हिकारत की नजर से देखने लगी। यूपीए सरकार 'अपर क्लास' की होकर रह गई। अपन ने पहले दुनिया के अमीरजादों में कभी भारतीयों का नाम नहीं सुना था। पर अब दुनिया के हजार अमीरजादों में पचास से ज्यादा भारतीय। अपन लंदन के एक टीवी पर देख रहे थे- 'भारतीय अमीरजादे लंदन में जमीनें खरीद रहे हैं। जमीनों के दाम इतने बढ़ गए। लंदन वालों के बस में नहीं रहे।' तो यह हुआ है पिछले पांच सालों का कमाल। अमीर और अमीर हो गए। अब जब चुनाव नजदीक। तो बीपीएल परिवारों को घटाने का नायाब नुस्खा निकल आया। कर्नाटक में कांग्रेस ने गरीबों को 'कलर टीवी' फ्री देने का वादा किया है। 'कलर टीवी' मिलते ही बीपीएल कार्ड छिन जाएगा। बीपीएल परिवार अपने आप घट जाएंगे। फिर लोकसभा चुनाव में आंकड़े दिखाए जाएंगे- 'यूपीए राज में गरीबों की तादाद घटी।' सो मौजूदा महंगाई सरकार का सिरदर्द नहीं। यह अपन को अभिषेक मनु सिंघवी के जवाब से लगा। वह बोले- 'क्या रोज-रोज एक ही घिसा-पिटा सवाल पूछते रहते हो।'

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