मुलायम-सोनिया साथ-साथ होंगे। तो सिमी का संकट काफी हद तक कम होगा। मुलायम तो खुल्लमखुल्ला सिमी समर्थन करते रहे। अब जब इंदौर में सिमी आतंकियों पर गाज गिरी। तो कई कांग्रेसी दिग्गजों की पोल भी खुलेगी। मुलायम-सोनिया की जुगलबंदी का अपन अंदाज नहीं लगा रहे। अलबत्ता केंद्र ने सीबीआई को मुलायम के खिलाफ जांच की इजाजत नहीं दी। समझदारों को इशारा काफी। मायावती जब सोनिया के साथ थी। तो ताज कोरिडोर घोटाला दबाने की कोशिश हुई। अब मुलायम को भ्रष्टाचार से निजात दिलाने की कोशिश। अपने बुजुर्ग एक भी कहावत बेसिर-पैर की नहीं कह गए। चोर-चोर मौसेरे भाई वाली कहावत को ही लो। फिट बैठेगी। एक और कहावत याद करिए। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। माया-मुलायम की दुश्मनी जगजाहिर।
मायावती की कांग्रेस से दुश्मनी भी शुरू हो चुकी। सो दुश्मन का दुश्मन दोस्त हुआ ना। पर राजनीति में दुश्मन कब दोस्त बन जाए। दोस्त कब दुश्मन हो जाए। कौन जाने? कर्नाटक को ही लो। पहले कांग्रेस-देवगौड़ा कैसे घी-शक्कर हुए। फिर बीजेपी-कुमारस्वामी घी-शक्कर हुए। अब बाप-बेटे की दोनों पार्टियों से कुट्टी। सो पिछली बार की तरह तिकोना चुनावी दंगल ही होगा। चुनाव भी तीन चरणों में होंगे। अपन ने कल ही लिखा था- 'चुनावों का ऐलान बस आज-कल में।' बुधवार को ही चुनावी डुगडुगी बज गई। दस-सोलह और बाईस मई को चुनाव होगा। गोपालस्वामी की मजबूरी अपन नहीं जानते। उनने 19 मई की लक्ष्मण रेखा क्यों लांघी। सोलह मई तक निपटा देते। तो राष्ट्रपतिराज की मियाद नहीं बढ़ानी पड़ती। भले ही असेंबली 28 नवंबर को भंग हुई। पर राष्ट्रपति राज लगा था- 19 नवंबर को। जो 19 मई को खत्म हो जाएगा। खैर चुनावी डुगडुगी बजते ही नेता मैदान में निकल आए। जैसे मानसून में बरसाती मेढक। अब तक नेता देवगौड़ा की नाव से उतर रहे थे। अब सोनिया की नाव से भी उतरने लगे। डुगडुगी बजते ही दिग्गज नेता एम महादेव कांग्रेस छोड़ गए। महादेव चलते-फिरते कांग्रेसी नहीं थे। उनका चालीस साल का कांग्रेसी इतिहास। बात कांग्रेस की चली। तो बता दें- कांग्रेस के सामने सबसे बड़ा संकट महंगाई का। बुधवार को कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी बोले- 'एनडीए राज में महंगाई ज्यादा बढ़ी थी। कांग्रेस ने तो महंगाई काबू की।' अब अपन इस पर क्या कहें। आम आदमी अब इतना मूर्ख नहीं रहा। इसलिए राहुल बाबा ने नारा बदल दिया। अब नया नारा होगा- 'कांग्रेस के दोनों हाथ, गरीबों के साथ।' एक हाथ तो आम लोगों के गले पर जा पहुंचा था। अब दूसरा हाथ भी। आम आदमी तो दहशत में होगा। पर अपन बात कर रहे थे इंदौर की। जहां सिमी पर 'क्रेक डाउन' हुआ। दस साल के दिग्गी राज में सिमी की जड़ें काफी मजबूत हुई थी। अपन बाकियों की बात भी करेंगे। पर पहले बात महमूद खान की। जो यदा-कदा दिग्गी राजा के साथ देखा गया था। कांति भूरिया की बगल में भी फोटू छपी। पहुंचने वाले कहां नहीं पहुंच जाते। उमा भारती सीएम बनी। तो महमूद खान उनके दरबार तक पहुंच गया। हाजी मस्तान का काफी करीबी रहा है महमूद खान। दस साल पहले इंदौर पुलिस ने कोर्ट में हल्फिया बयान दिया था। जिसमें मुनीर अहमद और महमूद खान का नाम था। पर वह खुल्ला दनदनाता रहा। अब जब 'क्रेक डाउन' हुआ। तो मुनीर-महमूद समेत अब तक चौबीस पकड़े जा चुके। तीन तो बुधवार को ही पकड़े गए। सबसे पहले 27 मार्च को जो 13 सिमी आतंकी पकड़े गए। उनमें एक था- मध्यप्रदेश का चीफ सफदर नागोरी। आंध्र प्रदेश का सिमी चीफ उसका भाई कमरुद्दीन। पर बात सफदर नागोरी की। जो सितंबर 2001 में दिल्ली पुलिस के हत्थे चढ़ा। पर हाथों से फिसल गया। अब दिल्ली पुलिस भी मध्यप्रदेश से नागोरी मांगेगी। सिमी के आतंकी किस-किस नेता का राज खोलेंगे। अपन को अब इसी का इंतजार।
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